पूरे दिन का अवकाश मà¥à¤à¥‡ कम ही मिलता है , à¤à¤• होली वाले दिन और दूसरा दीपावली के अगले दिन , जब कà¥à¤²à¥€à¤¨à¤¿à¤• बनà¥à¤¦ रहती है । शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ जाने का मन कई सालों से था , लेकिन संयोग बना गत वरà¥à¤· दीपावली के अगले दिन । सोच कर गये थे कि दो घंटे मे शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€Â का अतीत देख लेगें लेकिन लगे पूरे छ घंटे । à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ , अंगà¥à¤²à¤¿à¤®à¤¾à¤²Â और कई जैन तीरà¥à¤¥à¤¾à¤•रों की कहानियाठकई जगह पढी थी लेकिन सजीव ही अतीत के उन अवशेषों को देखने का मौका मिला । देर रात घर लौटते हà¥à¤¯à¥‡ लगा कि कà¥à¤› पल और शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ में रà¥à¤• लेते ।  शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ à¤à¥à¤°à¤®à¤£Â की यह यादें मानो मन:पटल मे आज à¤à¥€ सजीव रà¥à¤ª से अंकित है । यह पोसà¥à¤Ÿ शायद पिछले वरà¥à¤· ही डाल देनी चाहिये थी लेकिन समयà¤à¤¾à¤µ के कारण संà¤à¤µ न हो पाया । पूरी यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान मेरे पà¥à¤°à¤¿à¤¯ मितà¥à¤° शà¥à¤°à¥€ राजेश चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ जी का साथ फ़ोन के माधà¥à¤¯à¤® से बना रहा , देर रात घर लौटने तक वह मेरे और मेरे परिवार के कà¥à¤¶à¤²à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤®Â की बार –२ खबर लेते रहे । उनके पà¥à¤°à¥‡à¤® रà¥à¤ªà¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° की मधà¥à¤° सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ मà¥à¤à¥‡Â हमेशा उनकी याद दिलाती रहेगी । साथ ही में पूरà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾à¤® विहार के à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ शà¥à¤°à¥€ विमल तिसà¥à¤¸ जी का à¤à¥€ जिनके सहयोग के बगैर कई तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जानना मेरे लिये संà¤à¤µ नही होता ।
शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ से à¤à¤—वानà¥â€Œ बà¥à¤¦à¥à¤§ का गहरा रिशता  रहा है । यह तथà¥à¤¯ इसी से पà¥à¤°à¤•ट होता है कि जीवन के उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ के २५ वरà¥à¤·à¤¾à¤µà¤¾à¤¸( चारà¥à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤¸ ) बà¥à¤¦à¥à¤§ ने शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ मे ही बिताये । बà¥à¤¦à¥à¤§ वाणी संगà¥à¤°à¤¹ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¿à¤Ÿà¤• के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त ८à¥à¥§ सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ ( धरà¥à¤® उपदेशॊ ) को à¤à¤—वानà¥â€Œ बà¥à¤¦à¥à¤§ ने शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ मे ही दिये थे , जिसमें ८४४ उपदेशों को जेतवन – अनाथपिंडक महाविहार में व २३ सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को मिगार माता पूरà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾à¤® मे उपदेशित किया था । शेष ४ सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ समीप के अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ मे दिये गये थे । à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ के महान आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• गौरव का केनà¥à¤¦à¥à¤° बनी शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ का सांसà¥à¤•ृतिक पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ मे à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• विधà¥à¤µà¤‚सों के बाद वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ मे à¤à¥€ यथावत है ।
इतिहास मे दृषà¥à¤Ÿà¤¿ दौडायें तो कई रोचक तथà¥à¤¯ दिखते हैं । पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में यह कौशल देश की दूसरी राजधानी थी। à¤à¤—वान राम के पà¥à¤¤à¥à¤° लव ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ बौदà¥à¤§ व जैन दोनो का तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है।
माना गया है कि शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आज आधà¥à¤¨à¤¿à¤• सहेत महेत गà¥à¤°à¤¾à¤® है जो à¤à¤• दूसरे से लगà¤à¤— डेढ़ फरà¥à¤²à¤¾à¤‚ग के अंतर पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं। यह बà¥à¤¦à¥à¤§à¤•ालीन नगर था, जिसके à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤· उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ राजà¥à¤¯ के, बहराइच à¤à¤µà¤‚ गोंडा जिले की सीमा पर, रापà¥à¤¤à¥€ नदी के दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ किनारे पर फैले हà¥à¤ हैं।
इन à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤·à¥‹à¤‚ की जाà¤à¤š सनà¥â€Œ 1862-63 में जनरल कनिंघम ने की और सनà¥â€Œ 1884-85 में इसकी पूरà¥à¤£ खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ डा. डबà¥à¤²à¥‚. हà¥à¤ˆ (Dr. W. Hoey) ने की। इन à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤·à¥‹à¤‚ में दो सà¥à¤¤à¥‚प हैं जिनमें से बड़ा महेत तथा छोटा सहेत नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ है। इन सà¥à¤¤à¥‚पों के अतिरिकà¥à¤¤ अनेक मंदिरों और à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ के à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤· à¤à¥€ मिले हैं। खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ के दौरान अनेक उतà¥à¤•ीरà¥à¤£ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ और पकà¥à¤•ी मिटà¥à¤Ÿà¥€ की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ हैं, जो नमूने के रूप में पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¥€à¤¯ संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ (लखनऊ) में रखी गई हैं। यहाठसंवतà¥â€Œ 1176 या 1276 (1119 या 1219 ई.) का शिलालेख मिला है, जिससे पता चलता है कि बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® इस काल में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ था। जैन धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤• à¤à¤—वानà¥â€Œ महावीर ने à¤à¥€ शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿ में विहार किया था। चीनी यातà¥à¤°à¥€ फाहियान 5वीं सदी ई. में à¤à¤¾à¤°à¤¤ आया था। उस समय शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿ में लगà¤à¤— 200 परिवार रहते थे और 7वीं सदी में जब हà¥à¤à¤¨ सियांग à¤à¤¾à¤°à¤¤ आया, उस समय तक यह नगर नषà¥à¤Ÿà¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿ हो चà¥à¤•ा था। सहेत महेत पर अंकित लेख से यह निषà¥à¤•रà¥à¤· निकाला गया कि ‘बल’ नामक à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ ने इस मूरà¥à¤¤à¤¿ को शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿ के विहार में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया था। इस मूरà¥à¤¤à¤¿ के लेख के आधार पर सहेत को जेतवन माना गया। कनिंघम का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ था कि जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ मूरà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ वहाठ‘कोसंबकà¥à¤Ÿà¥€ विहार’ था। इस कà¥à¤Ÿà¥€ के उतà¥à¤¤à¤° में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कà¥à¤Ÿà¥€ को कनिंघम ने ‘गंधकà¥à¤Ÿà¥€’ माना, जिसमें à¤à¤—वानà¥â€Œ बà¥à¤¦à¥à¤§ वरà¥à¤·à¤¾à¤µà¤¾à¤¸ करते थे। महेत की अनेक बार खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ की गई और वहाठसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सामगà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ, जो उसे शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿ नगर सिदà¥à¤§ करती है। शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿ नामांकित कई लेख सहेत महेत के à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤·à¥‹à¤‚ से मिले हैं।
महामंकोल थाई मनà¥à¤¦à¤¿à¤°
पà¥à¤°à¤¾à¤¤: दस बजे तक हम शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ की सडकों पर थे । दूर से ही विशाल महामंकोल थाई मनà¥à¤¦à¤¿à¤° और बà¥à¤¦à¥à¤§ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ दिख रही थी । लेकिन मनà¥à¤¦à¤¿à¤° मे परà¥à¤µà¥‡à¤¶ करने पर जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हà¥à¤† कि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों के लिये मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤° २ बजे के बाद खà¥à¤²à¤¤à¥‡ है । मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की फ़ोटॊ लेने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ नही है । हाà¤à¤²à¤¾à¤•ि बाहर से फ़ोटॊ ले सकते हैं । दोपहर २.३० बजे हम इस विशाल फ़ैले हà¥à¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण के अनà¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गये । मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का संचालन थाई यà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और उनà¥à¤•े सà¥à¤Ÿà¤¾à¤«à¤¼ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया जाता है । थाई शैली पर बना यह मनà¥à¤¦à¤¿à¤° बेहद दरà¥à¤¶à¥€à¤¨à¥€à¤¯Â है ।
जेतवन अनाथपिणà¥à¤• महाविहार ( सहेठवन )
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µ विà¤à¤¾à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ इस आशà¥à¤°à¤® ( विहार ) में अब केवल कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦ मातà¥à¤° रह गयी है । कहते हैं कि बà¥à¤¦à¥à¤§ विहार के निरà¥à¤®à¤¾à¤£Â लिये राजकीय जेतवन का चयन सà¥à¤¦à¥à¤¤à¥à¤¤ ने किया था । सà¥à¤¦à¤¤à¥â€Œ ने राजकà¥à¤®à¤¾à¤° जेत से उधान के लिये किसी à¤à¥€ कीमत पर आगà¥à¤°à¤¹ किया । कà¥à¤®à¤¾à¤° जेत ने à¤à¥‚खनà¥à¤¡ के बराबर सोने की मोहरों में सà¥à¤¦à¤¤ ने लेन देन सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¤šà¤¿à¤¤ किया । १८ करोड में विशाल à¤à¤µà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤œà¤¨à¤• विहार का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† । राजकीय गौरव समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के साथ यह अति रमणीय सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ को दानारà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया । यही कारण है कि धरà¥à¤® कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° मे सà¥à¤¦à¤¤ – अनाथपिडंक का नाम चिरसà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ हो गया । इसी तपोà¤à¥‚मि पर à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ ने विशाल à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ संघ के साथ उनà¥à¤¨à¥€à¤¸ चारà¥à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤¸ ( वरà¥à¤·à¤¾à¤µà¤¾à¤¸ ) वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ किये । समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ ८à¥à¥§ उपदेशों में से ८४४ सूतà¥à¤° इस जेताराम मे ही à¤à¤—वानà¥â€Œ बà¥à¤¦à¥à¤§ ने दिया था ।
मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सं. १ à¤à¤µà¤‚ मोनेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€
धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगाते हà¥à¤¯à¥‡ विदेशी तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€
à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि इस तपसà¥à¤¥à¤²à¥€ पर नैसरà¥à¤—िक शानà¥à¤¤à¤¿ की  सदोऊरà¥à¤œà¤¾ सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° आज à¤à¥€ विधमान है । कà¥à¤› कà¥à¤·à¤£ आà¤à¤–ों को बनà¥à¤¦ कर के गनà¥à¤§ कà¥à¤Ÿà¥€ के सामने खडा रहकर इस उरà¥à¤œà¤¾ का सà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤à¤µ किया जा सकता है । यह मेरा दिवà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤ªà¤¨ था या कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¶à¥€à¤²à¤¤à¤¾ , यह कहना मà¥à¤¶à¤•िल है ।
जेतवन मे ही आगे बढने पर वयोवृदà¥à¤§ पीपल वृकà¥à¤· ‘ आननà¥à¤¦ बोध ’ के दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं । इसे पारिबोधि चैतà¥à¤¯ à¤à¥€ कहते हैं । à¤à¤¨à¥à¤¤à¥‡ आननà¥à¤¦ व à¤à¤¨à¥à¤¤à¥‡ महामौदगलà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¨ के सदà¥â€Œ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ से बोध गया के महायोगी वृकà¥à¤· की संतति तैयार की गयी , जिसे आनाथपिडंक ने यहाठआरोपित किया था । कहते हैं कि à¤à¤—वानà¥â€Œ बà¥à¤¦à¥à¤§ ने इसके नीचे à¤à¤• रातà¥à¤°à¤¿ की समाधि लगाई थी ।
             आननà¥à¤¦ बोधि वृकà¥à¤· ( पारिबोधि चैतà¥à¤¯)
आननà¥à¤¦ बोधि वृकà¥à¤· के आस पास कई कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦à¥‡à¤‚ शेष हैं जो बà¥à¤¦à¥à¤§à¤•ाल के सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® यà¥à¤— की à¤à¤• à¤à¤²à¤• दिखाती हैं । इनमें से पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं : कौशामà¥à¤¬à¥€ कà¥à¤Ÿà¥€ ( मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सं० ३ ), चकà¥à¤°à¤®à¤£ सà¥à¤¥à¤² , आननà¥à¤¦ कà¥à¤Ÿà¤¿ , जल कूप , धरà¥à¤® सà¤à¤¾ मणà¥à¤¡à¤ª , करील कà¥à¤Ÿà¥€( मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सं० १ ) , पà¥à¤·à¥à¤•रिणी , शवदाह सà¥à¤¥à¤², सीवली कà¥à¤Ÿà¥€ (मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सं० ॠ), आंगà¥à¤²à¤¿à¤®à¤¾à¤² कà¥à¤Ÿà¥€ , धातॠसà¥à¤¤à¥‚प, जनà¥à¤¤à¤¾à¤§à¤° सà¥à¤¤à¥‚प, अषà¥à¤Ÿ सà¥à¤¤à¥‚प , राजिकाराम ( मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सं० १९ ) , पूतिगत तिसà¥à¤¸ कà¥à¤Ÿà¥€ ( मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सं० १२ ) । शेष à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤· à¤à¥€ कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अथवा धातॠसà¥à¤¤à¥‚पों के हैं ।
अषà¥à¤Ÿ सà¥à¤¤à¥‚प
                गनà¥à¤§ कà¥à¤Ÿà¤¿ ( मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सं० २ )
इन सà¥à¤¤à¥‚पों के अलावा जिस सà¥à¤¤à¥‚प का सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µ है, वह है गनà¥à¤§ कà¥à¤Ÿà¤¿ ( मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सं० २ ) । à¤à¤—वानà¥â€Œ बà¥à¤¦à¥à¤§ का यह निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ था । चंदन की लकडी से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ यह सात तल की सà¥à¤‚दर à¤à¤µà¥à¤¯ कà¥à¤Ÿà¥€ थी । इसे अनाथपिणà¥à¤• ने बनवाया था । वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ खणà¥à¤¡à¤° के ऊपर का à¤à¤¾à¤— बà¥à¤¦à¥à¤§à¥‹à¤¤à¤° काल का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ है । नीचे का à¤à¤¾à¤— बà¥à¤¦à¥à¤§à¥à¤•ालीन है , इसमें à¤à¤—वानà¥â€Œ बà¥à¤¦à¥à¤§ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ बाद में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ की गयी थी । चीनी यातà¥à¤°à¥€ फ़ाहà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ने इस विधà¥à¤µà¤‚स पर दो मंजिला ईंट का बना à¤à¤µà¥à¤¯ बà¥à¤¦à¥à¤§ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° देखा था । हà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¨à¤¸à¤¾à¤‚ग के यातà¥à¤°à¤¾ काल मे वह मनà¥à¤¦à¤¿à¤° नषà¥à¤Ÿ हो चà¥à¤•ा था । ढांचें से सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होता है कि दीवारों की आशारीय मोटाई छ: फ़à¥à¤Ÿ व पà¥à¤°à¤•ारों की आठफ़à¥à¤Ÿ है । समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ गनà¥à¤§à¤•à¥à¤Ÿà¥€ परिसर की माप ११५ * ८६ फ़ीट है ।
                       धरà¥à¤® सà¤à¤¾ मणà¥à¤¡à¤ª
गनà¥à¤§ कà¥à¤Ÿà¤¿ से लगा हà¥à¤†Â धरà¥à¤® सà¤à¤¾ मणà¥à¤¡à¤ª à¤à¤—वानà¥â€Œ बà¥à¤¦à¥à¤§ का धरà¥à¤®à¥‹à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶ देने का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ था । यहाà¤Â à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥à¤“ं और अनà¥à¤¯ जनों को बैठाकर à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ धरà¥à¤®à¥Œà¤ªà¤¦à¥‡à¤¶ करते थे । इनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ८४४ धरà¥à¤® उपदेश यही से दिये गये थे ।
कà¥à¤› अनà¥à¤¯ सà¥à¤¤à¥‚पों के चितà¥à¤° :
मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सं. ११ à¤à¤µà¤‚ १२
                मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सं. १९ à¤à¤µà¤‚ मोनेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€
सà¥à¤¤à¥‚प संखà¥à¤¯à¤¾ ५
जेतवन से हम चलते हैं महेठवन की ओर ( लेकिन अगले अंक में )
…….. शेष अगले à¤à¤¾à¤— में …..