२ अगसà¥à¤¤ २०१६ को मानसून ने नासिक में कहर बरसा दिया था. गोदावरी उफान पर थी. साथ ही सारे छोटे-बड़े नदी-नाले à¤à¥€ अपनी सीमा लांघ कर चà¥à¤•े थे. बारिश से मची दहशत के तरह-तरह की किसà¥à¤¸à¥‡ मोबाइल फ़ोन और वà¥à¤¹à¤¾à¤Ÿà¥à¤¸ à¤à¤ª पर फैल रहे थे. उन किसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में नासिक के समीप नदी का पà¥à¤² बह जाने के किसà¥à¤¸à¥‡ ही सबसे खतरनाक थे. पर हमारी गाड़ी जलगाà¤à¤µ से नासिक की तरफ बढ़ी जा रही थी. साढ़े पांच घंटो के सफ़र के दौरान पूरे २६० किलोमीटर के रासà¥à¤¤à¥‡ में बारिश से सामना होता रहा, पर हमलोग बिना रà¥à¤•े चलते रहे. अचानक à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ ने साथ देना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया और नाशिक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के पहले बारिश बंद हो गई. इस तरह रात के घने अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ में हमलोग सकà¥à¤¶à¤² नासिक पहà¥à¤‚चे और उस शहर के पूरी तरह से à¤à¥€à¤—े और कहीं-कहीं डूबे हà¥à¤ रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से होते हà¥à¤ अपने गेसà¥à¤Ÿ हाउस आ गà¤.
पहाड़ की तलहटी पर पांडव लेनी जाने का मारà¥à¤—
अगला दिन यानि ०३ अगसà¥à¤¤ २०१६ à¤à¥€ à¤à¤• à¤à¥€à¤—ा दिन था और हमारे लिठपूरी तरह से वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ à¤à¥€. पूरे दिन बारिश होती रही और हमलोग à¤à¥€ अपने कारà¥à¤¯ समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करते रहे. लगता था कि बारिश के बीच ही शाम गहरा जायेगी और हमलोग पांडव लेनी (गà¥à¤«à¤¾) की पैदल यातà¥à¤°à¤¾ नहीं कर सकेंगे. पर हम à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ थे कि बारिश ने à¤à¤• बार फिर साथ दिया. ०५.०० बजे शाम को बारिश रà¥à¤•ी तो हमलोग à¤à¤• कार में सवार हो कर पांडव लेनी की तरफ चल पड़े. गà¥à¤«à¤¼à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूर नहीं थी. परà¥à¤µà¤¤ के निकट पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही, सड़क से ही, यह गà¥à¤«à¤¾à¤à¤‚ नजर आने लगतीं हैं, जिससे पता चलता है कि ये परà¥à¤µà¤¤ के ठीक बीचो-बीच बनीं हैं. परà¥à¤µà¤¤ के तलहटी से ही सीढियां शà¥à¤°à¥‚ हो जाती है. यह à¤à¤• सामानà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ का छोटा टà¥à¤°à¥‡à¤• था, जिसमें लगà¤à¤— ५०० सीढियां रहीं होंगी.
पांडव गà¥à¤«à¤¾à¤“ं का à¤à¤• विहंगम दृशà¥à¤¯
बारिश के कारण परà¥à¤µà¤¤ पर हरियाली छाई हà¥à¤ˆ थी. सà¤à¥€ वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से वरà¥à¤·à¤¾ का जल टपक रहा था. घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° सीढियां बारिश में धà¥à¤²à¥€ हà¥à¤ˆà¤‚ थीं. गरà¥à¤®à¥€ के दिनों में उड़ने वाले असंखà¥à¤¯ धूलकण à¤à¥€ वरà¥à¤·à¤¾-जल से मिल कर धरती पर घà¥à¤²-मिल चà¥à¤•े थे. पहाड़ी पर à¤à¤• हलà¥à¤•ा कà¥à¤¹à¤¾à¤¸à¤¾ सा छाया हà¥à¤† था. कहीं-कहीं तो वरà¥à¤·à¤¾ का जल à¤à¤• छोटा à¤à¤°à¤¨à¤¾ बनाता हà¥à¤† सीढ़ियों पर à¤à¥€ बह रहा था. मà¥à¤à¥‡ उस छोटे-छोटे à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ के पास रà¥à¤• कर कà¥à¤› समय बिताने का बहà¥à¤¤ ही मन कर रहा था. कà¥à¤² मिला कर बारिश के समय की पà¥à¤°à¤•ृति अपने चरम सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ पर थी और à¤à¤¸à¥‡ मौसम में गà¥à¤«à¤¾à¤“ं की यातà¥à¤°à¤¾ बेहद रोमांचक होती है. परनà¥à¤¤à¥ संधà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ धीरे-धीरे गहराठजा रही थी और गà¥à¤«à¤¾ के चौकीदार सीटियाठबजा-बजा कर बारमà¥à¤¬à¤¾à¤° गà¥à¤«à¤¾à¤“ं के बंद होने का इशारा कर रहे थे. अतà¤à¤µ हमलोग निरंतर आगे बढ़ते रहे.
पांडव लेनी टà¥à¤°à¥‡à¤• का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
वहां पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• घà¥à¤®à¤¾à¤µ पर à¤à¤• बोरà¥à¤¡ लगा हà¥à¤† था, जो उन गà¥à¤«à¤¾à¤“ं का इतिहास बखान कर रहा था. कà¥à¤› कà¥à¤·à¤£ वहां रà¥à¤• कर उन पर लिखी सूचनाओं को पढ़ते हà¥à¤ जानकारी à¤à¥€ मिलती थी और साथ ही ऊपर चढ़ते समय उखड़ने वाली साà¤à¤¸ को à¤à¥€ विराम मिलता था. वहीठपता चला कि सहà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥€ परà¥à¤µà¤¤à¤®à¤¾à¤²à¤¾ के इस परà¥à¤µà¤¤ का नाम “तà¥à¤°à¤¿à¤°à¤¶à¥à¤®à¤¿ परà¥à¤µà¤¤â€ है और इन गà¥à¤«à¤¾à¤“ं को “तà¥à¤°à¤¿à¤°à¤¶à¥à¤®à¤¿ गà¥à¤«à¤¾â€ के नाम से à¤à¥€ जाना जाता है. गà¥à¤«à¤¾ के महान शिलà¥à¤ªà¤•रà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने ईसा पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¥à¤® शताबà¥à¤¦à¥€ में à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ जगह चà¥à¤¨à¥€ थी, जिसे सूरà¥à¤¯-रशà¥à¤®à¤¿à¤¯à¤¾à¤ दिन à¤à¤° आलोकित रखतीं थीं.
वाह! कà¥à¤¯à¤¾ नामकरण था. पर मेरे मन में यह जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ à¤à¥€ थी कि इन गà¥à¤«à¤¾à¤“ं का दूसरा नाम “पांडव गà¥à¤«à¤¾â€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पड़ा? तब पता चला कि यहाठके बौदà¥à¤§ à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥à¤• पीले रंग (पांडू वरà¥à¤£) के वसà¥à¤¤à¥à¤° पहनते थे जिससे इन गà¥à¤«à¤¾à¤“ं का नाम ही पांडव गà¥à¤«à¤¾ पड़ गया. वैसे तो à¤à¤¸à¥€ गà¥à¤«à¤¾à¤“ं को सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासी मानव-निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ मानते ही नहीं हैं. सà¤à¥€ लोग इन गà¥à¤«à¤¾à¤“ं को महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल का और पांडवों का निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मानते हैं, जब पांडव वनवास में थे.
तà¥à¤°à¤¿à¤°à¤¶à¥à¤®à¤¿ गà¥à¤«à¤¾ के बारे में बोरà¥à¤¡
नामकरण के किसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ को जानने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ मैं इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखने के लिठऔर लालायित हो उठा. कदम तेजी से बढ़ने लगे और मैं गà¥à¤«à¤¾-वृनà¥à¤¦ के गेट पर आ गया. वहां २४ लाजवाब गà¥à¤«à¤¾à¤à¤‚ थीं. पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µ विà¤à¤¾à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• बोरà¥à¤¡ à¤à¥€ लगा हà¥à¤† था, जिसमें बताया गया की वे गà¥à¤«à¤¾à¤à¤‚ लगà¤à¤— २०० वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में बनीं थीं. कई गà¥à¤«à¤¾à¤à¤‚ ततà¥à¤•ालीन समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¥‹à¤‚ और धनिक-समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ लोगों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दान में दी गयी राशि से बनाई गयीं थीं और बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® के हीनयान समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उपयोग में लाई जातीं थीं. मैं उस बोरà¥à¤¡ में पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ सूचनाà¤à¤ बड़ी धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से पढ़ रहा था.
पर उसी वक़à¥à¤¤ चौकीदार ने गà¥à¤«à¤¾ के बंद होने के समय के बारे में ताकीद करना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया. उसकी बात à¤à¥€ सही थी. हमारे अलावा वहां और कोई à¤à¥€ नहीं था. उसकी बात मान कर हमलोग à¤à¤• तरफ चल पड़े, जहाठहमें à¤à¤• परà¥à¤µà¤¤ शिला पर à¤à¤• लाल रंग की मूरà¥à¤¤à¥€ तराशी हà¥à¤ˆ दिखी, जो देखने से हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ के जैसी लगी. अब यह तो मालूम नहीं कि कब और कैसे à¤à¤¸à¥€ मूरà¥à¤¤à¥€ तराशी गई थी.
लाल रंग की मूरà¥à¤¤à¤¿
मूरà¥à¤¤à¤¿ के बाद मैं गà¥à¤«à¤¾ संखà¥à¤¯à¤¾ १८ में घà¥à¤¸à¤¾. वह à¤à¤• चैतà¥à¤¯ था, जिसमें à¤à¤• मनोहारी सà¥à¤¤à¥‚प बना हà¥à¤† था. ऊà¤à¤šà¥‡-ऊà¤à¤šà¥‡ खमà¥à¤à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ उस हौल में आवाज गूंजती थी. हीनयान बौध चैतà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की इसी पà¥à¤°à¤•ार की सरंचना मैंने कानà¥à¤¹à¥‡à¤°à¥€ गà¥à¤«à¤¾ की यातà¥à¤°à¤¾ में देखा था. पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ सूचना बताती थी की वह हॉल २१ फीट चौड़ा और ३४ फीट लमà¥à¤¬à¤¾ था. ततà¥à¤•ालीन शाही अधिकारी “अगियातानाका†की पतà¥à¤¨à¥€ “à¤à¤¤à¥à¤¤à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤•ा†ने इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया था. निरà¥à¤®à¤¾à¤£à¤•रà¥à¤¤à¤¾à¤“ं के बारे में इस पà¥à¤°à¤•ार की सूचनाà¤à¤ मà¥à¤ पर असर डालती हैं. मैं सोचने लगता हूठकि कौन होंगे वे लोग, कैसी उनकी शान होगी और कैसे उनके विचार.
गà¥à¤«à¤¾ नंबर १८ का सà¥à¤¤à¥‚प
सà¥à¤¤à¥‚प वाली गà¥à¤«à¤¾ से बाहर आ कर मैं गà¥à¤«à¤¾ नंबर २० के पास आ गया. वहां बड़ा ही मनोरम दृशà¥à¤¯ था. बारिश का à¤à¤°à¤¨à¤¾ बड़े वेग से गà¥à¤«à¤¾-दà¥à¤µà¤¾à¤° के सामने गिर रहा था. पृथà¥à¤µà¥€ पर उसके आघात से निरंतर जल के गिरने की आवाज आ रही थी. हवा के à¤à¥‹à¤‚कों से जल की छोटी-छोटी बूंदे उड़ कर मà¥à¤à¥‡ हलके-हलके à¤à¤¿à¤—ोये जा रहीं थीं. अब à¤à¤¸à¥‡ में, हजारों साल पहले बनी इन गà¥à¤«à¤¾à¤“ं के सामने चल रहे पà¥à¤°à¤•ृति के उस खेल को देख कर, कोई à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा किये बिना नहीं रह सकता. à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था मानों हमलोग à¤à¥€ अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के माफ़िक à¤à¤• गà¥à¤«à¤¾-मानव हो गà¤à¤ हैं, जिसे वह वरà¥à¤·à¤¾-कालीन दिन उस गà¥à¤«à¤¾ में ही बिताना है.
गà¥à¤«à¤¾ नंबर २० के आगे गिरता बरसाती à¤à¤°à¤¨à¤¾
काश “गà¥à¤«à¤¾-टूरिजà¥à¤®â€ का कà¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ विकास हो कि किसी गà¥à¤«à¤¾ में गà¥à¤«à¤¾-मानवों की तरह रातà¥à¤°à¤¿-काल बिताने वाले पैकेज आने लगें. यही कà¥à¤› सोच रहा था तो दिखाई दिया कि गà¥à¤«à¤¾ नंबर २० का चौकीदार गà¥à¤«à¤¾ के दरवाजे पर ताला लगा कर जा चà¥à¤•ा था. फिर कà¥à¤¯à¤¾ था, वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•ता के धरातल पर लौट आया. इधर-उधर देखने पर वह चौकीदार नज़र आ ही गया. तब काफी मिनà¥à¤¨à¤¤à¥‹à¤‚ के बाद उसने गà¥à¤«à¤¾ नंबर २० का गेट इस शरà¥à¤¤ पर खोला कि वह वहीठसामने खड़ा रहेगा और ५ मिनट में गेट बंद कर चला जायेगा. चलो अचà¥à¤›à¤¾ हà¥à¤†. कहाठमैं रात à¤à¤° बिताने की सोच रहा था कहाठवह ५ मिनट. उसके à¤à¤¸à¤¾ कहते ही हमलोग सीढ़ी चढ़ कर à¤à¤°à¤¨à¥‡ के नीचे से होते ही गà¥à¤«à¤¾ नंबर २० में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गà¤.
गà¥à¤«à¤¾ नंबर २० का हौल
वहां बिलकà¥à¤² ही घà¥à¤ªà¥à¤ª अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ था. मैंने अब तक इतनी बड़ी और अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥€ गà¥à¤«à¤¾ नहीं देखी थी. हाथ को हाथ नहीं सूठरहा था. घने अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ में मोबाइल का टोरà¥à¤š शà¥à¤°à¥‚ करना पड़ा. कà¥à¤› देर में जब आà¤à¤–े अà¤à¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हà¥à¤ˆà¤‚ तो देखा कि मैं à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़े हौल में हूà¤, जिसका फरà¥à¤¶ समतल था. परà¥à¤µà¤¤ पर टà¥à¤°à¥‡à¤• करते समय à¤à¤• बोरà¥à¤¡ के सूचना अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वह हौल ४४ फीट चौड़ा और ६१ फीट लमà¥à¤¬à¤¾ था. इस हौल के दोनों बाजà¥à¤“ं पर कमरे बने हà¥à¤ थे, जिसमें बौदà¥à¤§ à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ रहते होंगे. और जिसमें हमें रहना पड़ता यदि वह चौकीदार गà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ में आ कर ५ मिनट के बाद गेट बंद कर देता.
गà¥à¤«à¤¾ नंबर २० की बà¥à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾
मोबाइल-टोरà¥à¤š की रौशनी के साथ मैं उस विशाल हौल में चलने लगा. अंत में गरà¥à¤-गृह में à¤à¤—वानॠबà¥à¤¦à¥à¤§ की धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¿à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¨ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में बैठे हà¥à¤ à¤à¤• विशाल पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ लगी थी. उसी गरà¥à¤-गृह के बाà¤à¤‚ और दाहिने दीवालों पर à¤à¥€ बोधिसतà¥à¤µ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ लगी थी. वरà¥à¤·à¤¾-ऋतू की à¤à¥€à¤‚गी हà¥à¤ˆ ढलती शाम में, घने अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ हौल में, मोबाइल-टोरà¥à¤š की मदà¥à¤§à¤¿à¤® रौशनी में यदि आप उन मानवाकार पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤“ं को देखेंगे तो यकीन मानिये कि दिल में खौफ़ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जायेगा.
गà¥à¤«à¤¾ नंबर २० की बोधिसतà¥à¤¤à¥à¤µ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾
या तो चौकीदार के कसीदों का दर था या फिर अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥€ गà¥à¤«à¤¾ का, मैं उस हौल-नà¥à¤®à¤¾ गà¥à¤«à¤¾ से बाहर निकल आया और गà¥à¤«à¤¾ नंबर १ॠके दरवाजे पर जा खड़ा हो गया. इस गà¥à¤«à¤¾ में चार खमà¥à¤à¥‹à¤‚ वाला à¤à¤• बरामदा था. खमà¥à¤¬à¥‹à¤‚ की नकà¥à¤•ाशियों में हाथियों की सवारी तराशी गयी थी. सूचनापट के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यह गà¥à¤«à¤¾ “इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤—à¥à¤¨à¤¿à¤¦à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾â€ नामक à¤à¤• गà¥à¤°à¥€à¤• नागरिक दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनवाई गई थी. à¤à¤¸à¥€ ही हाथियों की मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤“ं से अलंकृत खमà¥à¤à¥‡ गà¥à¤«à¤¾ नंबर १० में à¤à¥€ दिखे. नकà¥à¤•ाशीदार खमà¥à¤à¥‡, सीढियां, और पहाड़ के अनà¥à¤¦à¤° काट कर बनायीं गयीं जल वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ काफी सराहनीय थीं. परनà¥à¤¤à¥ मà¥à¤à¥‡ जिस अलंकरण ने सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤šà¤•ित किया, वह था गà¥à¤«à¤¾ के दरवाजों पर बने छजà¥à¤œà¥‡, जो चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को काट कर बने थे.
गà¥à¤«à¤¾ नंबर १à¥
इस पà¥à¤°à¤•ार मà¥à¤–à¥à¤¯ गà¥à¤«à¤¾à¤à¤ देखने के बाद हमलोग उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ चौकीदारों के साथ-साथ नीचे उतरे. पहाड़ से उतरना कà¤à¥€-à¤à¥€ कषà¥à¤Ÿà¤¦à¤¾à¤¯à¥€ नहीं हो सकता यदि रासà¥à¤¤à¥‡ में सीढियां बनी हों. परंतॠउतरने के पहले नाशिक शहर का मनोरम दृशà¥à¤¯ देखा और कà¥à¤› तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ लीं. उसी पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤® में देखा की पहाड़ की तलहटी पर à¤à¤• आधà¥à¤¨à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¥‚प बना हà¥à¤† है और कà¥à¤› गोल सरंचना à¤à¥€ बगल में बनी हà¥à¤ˆ है. बस हमलोग पहाड़ से उतर कर आधà¥à¤¨à¤¿à¤• बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¾ सà¥à¤¤à¥‚प की तरफ पैदल ही चल पड़े. नजदीक à¤à¥€ था और पकà¥à¤•ा रासà¥à¤¤à¤¾ था, इसीलिठकोई परेशानी नहीं थी. बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¾ सà¥à¤¤à¥‚प के चारों तरफ काफी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पारà¥à¤• बना था, जिसके बीच में लोगों के चलने के लिठफूटपाथ à¤à¥€ बना था. वरà¥à¤·à¤¾-ऋतू की ठंडी हवा चल रही थी और कई जोड़े उस पारà¥à¤• में हाथों-में-हाथ डाले मगà¥à¤¨ हो कर चल-फिर रहे थे. कà¥à¤› बà¥à¤œà¤¼à¥à¤°à¥à¤— लोग à¤à¥€ बैठकर वहां जलवायॠका मजा ले रहे थे. सà¥à¤¤à¥‚प में जाने के लिठजूते इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ उतरने पड़ते हैं. वहीठà¤à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है, जिसमें पà¥à¤°à¤¤à¤¿-वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ २ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ जूतों के लिठलगते हैं.
बà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¤à¥‚प का संधà¥à¤¯à¤¾-कालीन सजावट
अपने जूते उतार कर मैं सà¥à¤¤à¥‚प के अनà¥à¤¦à¤° गया. à¤à¤—वानॠबà¥à¤¦à¥à¤§ की à¤à¤• विशाल सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥‡ रंग की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ थी. वहां बड़ी शांति थी. उस à¤à¤µà¤¨ की बनावट à¤à¤¸à¥€ की गई थी कि à¤à¤• चà¥à¤Ÿà¤•ी की आवाज à¤à¥€ जोरों से गूà¤à¤œ उठती थी. उस à¤à¤µà¤¨ के नीचे मंजिले पर à¤à¤• बà¥à¤¦à¥à¤§ विषयक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•ालय à¤à¥€ था. शाम होने पर इस सà¥à¤¤à¥‚प को रंगीन बतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से सजाया जाता था. बà¥à¤¦à¥à¤§ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ के ऊपर बतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ इस पà¥à¤°à¤•ार लगाई गयीं थीं जिससे कि पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ चमक उठे. इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बैठकर कà¥à¤› मनन करने का मन करता है. पर उस दिन हमलोगों के पास जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय नहीं था और सतत बारिश का à¤à¥€ मौसम था. इसीलिठहमलोग आधà¥à¤¨à¤¿à¤• बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¾-विहार से बाहर आ गà¤. बाहर “दादा साहेब फालà¥à¤•े मà¥à¤¯à¥‚जियम†का बोरà¥à¤¡ लगा हà¥à¤† था, जो नजदीक ही था.
सà¥à¤¤à¥‚प के अनà¥à¤¦à¤° à¤à¤—वानॠबà¥à¤¦à¥à¤§ की चमकती पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾
अतà¤à¤µ सà¥à¤¤à¥‚प से निकल कर हमलोग पैदल ही दादा साहेब फालà¥à¤•े मà¥à¤¯à¥‚जियम देखने चले. वह मà¥à¤¯à¥‚जियम à¤à¤• विशाल à¤à¥‚मि पर बना हà¥à¤† है, जिसमें मà¥à¤¯à¥‚जिकल फाउंटेन, चिलà¥à¤¡à¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¸ पारà¥à¤• इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ à¤à¥€ हैं. यहाठबिजली के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• खमà¥à¤¬à¥‹à¤‚ पर मà¥à¤¯à¥‚जिकल सिसà¥à¤Ÿà¤® लगा हà¥à¤† है, जिससे गानों की मधà¥à¤° धà¥à¤¨à¥‡à¤‚ बजतीं रहतीं हैं. उतà¥à¤¤à¤® पारà¥à¤• à¤à¥€ है, जिसमें पैदल यातà¥à¤°à¤¾ करने के लिठकाफी जगह है. बारिश में हरा-à¤à¤°à¤¾ पारà¥à¤• बहà¥à¤¤ ही खूबसूरत लग रहा था. परनà¥à¤¤à¥ कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर वरà¥à¤·à¤¾ का जल तेज बहाव के साथ जमीन पर बह रहा था, जिसे पार किये बगैर आगे नहीं जाया जा सकता है. बचपन के दिनों में तो à¤à¤¸à¥‡ जल-पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ पर छपाक करने में बड़ा मजा आता था. अब जूते बचा कर चलना पड़ रहा था.
दादा साहेब फालà¥à¤•े मà¥à¤¯à¥‚जियम के परिसर का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
दादा साहेब फालà¥à¤•े हिंदी फिलà¥à¤® इंडसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ के पिता माने जाते हैं. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नासिक शहर में ही रह कर फिलà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कारà¥à¤¯ किया था. १९१३ के साइलेंट à¤à¤°à¤¾ की फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ से शà¥à¤°à¥‚ कर के उनहोने फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपना जीवन समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया. उनà¥à¤¹à¥€ की याद में बना यह मà¥à¤¯à¥‚जियम हिंदी फ़िलà¥à¤® के इतिहास को à¤à¥€ बयां करता है. आप यहाठदेख सकते हैं कि फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚, अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾à¤“ं, परिधानों तकनीकों में किस दौर में कौन पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ और कैसा पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ था. à¤à¤•-à¤à¤• कर के फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ के पोसà¥à¤Ÿà¤°à¥à¤¸ के माधà¥à¤¯à¤® से सारी पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€ देखी जा सकती है. “शोलेâ€, “मà¥à¤—़ल-à¤-आज़म†और “दिलवाले दà¥à¤²à¥à¤¹à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ ले जायेंगे†इन तीन फ़िलà¥à¤®à¥‹à¤‚ को सेंटेनरी सेलिबà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ का ख़िताब मिला हà¥à¤† है. यहाठà¤à¤¸à¤¾ लगता है कि यह मà¥à¤¯à¥‚जियम फिलà¥à¤® इंडसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ के लिठà¤à¤• “हॉल ऑफ़ फेम†के जैसा है, जिसमें अपना नाम अंकित करवाना à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ी उपलबà¥à¤§à¤¿ हो.
दादा साहब फालà¥à¤•े मà¥à¤¯à¥‚जियम के अनà¥à¤¦à¤° का परिदृशà¥à¤¯
कà¥à¤› दिनों से सतत बारिश के कारण मौसम काफी सरà¥à¤¦ था. इसीलिठउस दिन जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ नहीं थी. यहाठमà¥à¤¯à¥‚जिकल फाउंटेन के पास à¤à¤• रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚ à¤à¥€ है, जहाठआप चाय-काफी ले सकते हैं. पर उस दिन à¤à¥€à¤¡à¤¼ न होने की वजह डिबà¥à¤¬à¤¾-बंद वसà¥à¤¤à¥à¤“ं के अलावा कà¥à¤› नहीं मिला. हमलोग कà¥à¤› देर उसी रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚ में बैठे और मà¥à¤¯à¥‚जिकल फाउंटेन शà¥à¤°à¥‚ होने का इंतज़ार किया. ०à¥.३० बजे संधà¥à¤¯à¤¾ को फाउंटेन शà¥à¤°à¥‚ किया गया. देखते-देखते उसका लà¥à¤¤à¥à¤«à¤¼ उठाते हà¥à¤ हमलोग दादा साहेब फालà¥à¤•े मà¥à¤¯à¥‚जियम की परिधि से बाहर आ गà¤. बारिश फिर पड़ने लगी थी. मैं यही सोच रहा था कि कà¥à¤› लोग à¤à¤¸à¥€ बारिश में अपने डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤‚ग रूम में बैठकर गरम-गरम पकोड़े के साथ-साथ चाय की चà¥à¤¸à¥à¤•ियां ले रहे होंगे. इधर मैं गà¥à¤«à¤¾à¤“ं में, सà¥à¤¤à¥‚प में और फिलà¥à¤® मà¥à¤¯à¥‚जियम घूम रहा था. चाहे कà¥à¤› à¤à¥€ कहो, उस मौसम में उस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में घूमने का अनà¥à¤à¤µ à¤à¥€ कà¥à¤› और था.