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जिम कॉर्बेट का जंगल, बाघ और हम – २

हाथी से उतर कर हम अपने कमरे मे नहीं गए, हम इतने ज्यादा उत्साहित थे कि वहा खड़े लोगो के पास ही रुक गए क्योकि वो लोग बहुत ज्यादा उत्सुक थे सब कुछ जानने के लिए वैसे भी ये बहुत दुर्लभ अनुभव था। कुछ देर वहा रहने के बाद हम अपने कमरे की और चल दिए, कुछ थकान भी महसूस हो रही थी इसलिए चाहते थे कि नहा कर थोड़ी देर कमर सीधी कर ले। थोड़ी देर कमर सीधी तो कि लेकिन दिमाग मे सिर्फ दिन का अनुभव था। साढ़े सात के करीब हमने रूम सर्विस के लिए आये लड़के को भरपूर सलाद का इन्तेजाम करने को कहा जो कि उसने सिर्फ १५ मिनट मे कर दिया, बाकी सब कुछ हमारे पास था वैसे भी आज २ पैग ज्यादा लगने थे। लगभग २ घंटे तक हम व्यस्त रहे अभी तक जोश और ज्यादा बढ़ गया था, हमारे मे से भाटिया जी, मनोज और योगेश ने उससे पहले कभी खुली जिप्सी मे सफारी नहीं की थी और वो चाहते थे की किसी तरह खुली जिप्सी का इंतजाम किया जाये. हमने अपनी इच्छा रूम सर्विस वाले लड़के से जाहिर कि तो उसने कुछ प्रतीक्षा करने को कहा और बहार चला गया, लेकिन थोड़ी देर बाद ही वो वापिस आया और बोला कि सर इंतजाम हो जाएगा लेकिन ड्राईवर एक हजार रूपये लेगा और आपको लगभग २ घंटे घुमा देगा, हमने तुरंत ओके कर दिया, उसने हमें सुबह छ बजे तक तैयार रहने को कहा क्योकि ८ बजे तक ड्राईवर को वापिस आना था इसलिए जितना विलम्ब हम जाने मे करेगे उतना ही कम समय हमें घुमने को मिलेगा। तभी एक दूसरा लड़का भागता हुआ आया और बोला कि सर साढे नौ बज रहे है आप जल्दी से खाने के लिए डाइनिंग रूम मे आ जाइये, हमें बाहर जाकर इतनी जल्दी खाने की आदत नहीं थी लेकिन उसने बोला सर आप पहले ही बहुत देर कर चुके है और सिर्फ आप ही लोग बचे है तो हमने उसको बोला कि वो खाना कमरे मे ले आये हम अपने आप बाद मे खा लेगे लेकिन वो भी संभव नहीं था क्योकि खाना सिर्फ डाइनिंग रूम मे ही किया जा सकता था, अब हमारे पास कोई चारा नहीं था इसलिए हमने अपने कमरों को लॉक किया और खाने के लिए चल दिये. उस समय वहा खाना प्रति प्लेट दो सौ रूपये था और खाने मे तीन तरह की सब्जी, रोटी, चावल सलाद और बाद मे खीर भी थी मतलब पूरी तरह से पैसा वसूल भोजन था अब तो सभी कुछ पैकेज मे है। पेट भर खाने के बाद हमने लगभग एक घंटा वह गेस्ट हाउस के चारो तरफ घूमने मे लगाया चूंकि गेस्ट हाउस चारो तरफ से कंटीले तारो से घिरा था और रात के समय उसमे करंट छोड़ दिया जाता था इसलिए अंदर हम सुरक्षित थे लेकिन जंगल मे पूरा ध्यान रखना चाहिए क्योकि सांप, बिच्छू जैसे जानवर कही भी आ सकते है, हाथी के लिए भी ऐसे तार और करंट कोई मायने नहीं रखता लेकिन हाथी फिजूल मे हमला नहीं करता। लगभग ग्यारह बजे के करीब हम अपने अपने कमरों की तरफ चल दिए ताकि सुबह पांच बजे तक उठ कर छ बजे तक तैयार हो जाए जिससे कि समय ख़राब न हो।

सुबह सभी अपने निर्धारित समय पर उठ गए और नहा धो कर छ बजे तक तैयार हो गए, सही समय पर वो लड़का भी आ गया और उसने बताया की बाहर जिप्सी तैयार है। हमने तुरंत कमरे लॉक किये और बाहर आ गए, सुबह के वक़्त वहा बहुत सारे बन्दर थे जो इधर उधर हर जगह भागे फिर रहे थे। हम गेट पर पहुचे तो उस लड़के ने हमें जिप्सी ड्राईवर से मिलवाया, वो भी हमारा ही इन्तजार कर रहा था, उसने तुरंत हमें बैठने को कहा और जिप्सी स्टार्ट कर दी। हमने उस लड़के को भी साथ चलने को कहा तो वो भी ख़ुशी ख़ुशी साथ चलने को तैयार हो गया। दरअसल वो जिप्सी जिन लोगो के साथ थी उनको सुबह हाथी की सफारी करनी थी इसलिए वो २ घंटे खाली था और ये हजार रूपये उसके लिए अतिरिक्त कमाई थी।

गेस्ट हाउस मे वानर

शायद इन्ही की जिप्सी हमको मिली थी

गेट से थोडा सा आगे निकलते ही उन्होंने हमें जंगली सूअर दिखाया जो जमीन मे कुछ खोद रहा था, थोडा सा आगे चलते ही उसने हमें शेर के पैरो के निशान दिखाए और बोला कि शेर कुछ समय पहले ही यहाँ से गया है, लेकिन हर जंगल मे शेरो के पग मार्क दिख ही जाते है लेकिन शेर नहीं दिखता, हमने कुछ देर उन पग मार्क्स का पीछा किया लेकिन वो आगे जाकर झाड़ियो मे जाकर ख़तम हो गये। उसके बाद थोडा से आगे जाने पर बड़े बड़े घास के मैदान दिखने लगे, थोडा सा आगे जाने पर हाथियों का बड़ा झुण्ड दिखाई दिए जिसमे छोटे बड़े सभी तरह के हाथी थे, हमने एक साथी इतने सारे हाथी पहली बार देखे थे इसलिए उसको गाडी आगे ले जाने को कहा तो ड्राईवर ने जिप्सी को बेक किया और उल्टा उनके कुछ और नजदीक ले गया, उसने बताया की हाथी की सूंघने की शक्ति गजब की होती है और हाथी का शारीर भारी होने के बावजूद भी वो तेज भाग लेता है ऐसे मे गाडी ज्यादा नजदीक ले जाना खतरनाक हो सकता है इसलिए वो गाडी बैक करके ले गया था ताकि ऐसी परिस्थिती मे तेजी से भाग सके, हम कुछ देर वही खड़े रहे लेकिन उनमे से एक हथिनी बार बार हमारी तरफ ही देख रही थी। एक दो बार उसने हमारी तरफ आने की कोशिश भी कि लेकिन हम गाडी आगे कर लेते थे, शायद वो किसी छोटे हाथी की माँ थी और उसे हमसे खतरा महसूस हो रहा था। थोड़ी देर बाद वो पूरा झुण्ड वह से दूसरी तरफ चला गया।

जंगली सूअर

हमारी तरफ आते हुए एक हाथी

जाते हुए हाथियों का झुण्ड

हम भी वहा से चल दिए, थोडा सा आगे चले तो हिरनों और सांभर का झुण्ड दिखाई दिया जो तेजी से दौड़ लगाते हुए चले जा रहे थे। ऐसे नज़ारे हमने अभी तक सिर्फ डिस्कवरी और एनिमल प्लेनेट पर ही देखे थे, विश्वास नहीं हो रहा था कि ये सब भारत मे भी है हम तो अभी तक इन्हें अफ्रीकन ग्रास लैंड पर ही देखते थे। ड्राईवर ने बताया की गर्मियों का समय है इसलिए सुबह के समय सभी जानवर बाहर घूम रहे है लेकिन थोड़ी ही देर मे गर्मी बढ़ जायेगी तो कही छाया मे जाकर आराम करेगे या पानी के आस पास दिखाई देगे। इसी बीच मेरे फ़ोन की घंटी बजी जो कि एक आश्चर्य था क्योकि कल जब से हम जंगल मे आये थे तब से सभी फ़ोन के नेटवर्क गायाब थे, फ़ोन मेरे दिल्ली के एक मित्र का था, फ़ोन उठाते ही वो बोला कि भाई कहा हो कल से भाभी जी आपका फ़ोन मिला रही है लेकिन किसी का भी फ़ोन नहीं लग रहा, सब ठीक तो है। मुझे याद आया जंगल मे प्रवेश करते समय मैने फ़ोन लगाया था तो उस वक़्त फ़ोन नहीं लग रहा था और उसके बाद से किसी के फ़ोन मे नेटवर्क नहीं था इसलिए बात नहीं हो पायी थी इसलिए उनका चिंता करना लाजिमी था, मैंने मित्र को समस्या बता दी तभी फ़ोन से फिर नेटवर्क गायाब हो गया।

दौड़ लगते हुए हिरन

गिन नहीं सकते

जले हुए पेड़ शायद काल फिल्म मे इन्ही को दिखाया गया है

उसके बाद ड्राईवर गाडी को घने जंगल मे ले गया, वहा किसी ने बताया कि शेर के लिए कॉल है तो हमारे ड्राईवर ने भी गाडी वहा ले जाकर खड़ी कर दी, वहा पानी का एक पोखर था जहा बीती रात शेर ने शिकार किया था और उम्मीद थी कि वो अभी भी वही कही छाया मे लेटा है। हम लोग भी वहा शांति से इन्तजार करते रहे की शायद शेर बाहर आ जाए लेकिन आधा घंटा प्रतीक्षा करने के बाद भी शेर महाराज बाहर नहीं आये, पता नहीं वो वहा थे या नहीं लेकिन हमें तो दर्शन नहीं दिए। आखिर जंगल के राज है इतनी आसानी से दर्शन तो देने से रहे। देर हो रही थी इसलिए ड्राईवर ने गाडी वहा से आगे बढ़ा दी।

एक फोटो इनका भी

यहाँ शेर ने शिकार किया था

थोडा सा आगे ही वन अधिकारियो के लिए कोई कॉटेज था जहा उसने थोड़ी देर के लिए जिप्सी रोक दी, हम भी थोड़ी देर के लिए गाडी से बाहर आ गए ताकि उतरकर एक दो फोटो ले सके। फिर पांच मिनट बाद ही वहा से वापिस गेस्ट हाउस के लिए चल दिए क्योकि आठ बजने वाले थे और ड्राईवर को समय से वहा पहुचना था। गेस्ट हाउस पहुचते ही हमने ड्राईवर को एक हजार रूपये दिए और सौ रूपये उस लड़के को भी इनाम के दिए और चाय के लिए आर्डर करके अपने कमरे की तरफ चल दिए, अपने बैग हमने सुबह ही पैक कर लिए थे, वैसे तो आज सभी को ऑफिस ज्वाइन करना था जिप्सी सफारी योजना मे नहीं थी लेकिन अब काफी विलम्ब हो गया था फिर भी योजना थी कि अगर एक बजे तक पहुच गए तो एक दो लोग ऑफिस चले जायेगे। हमने सामान उठाकर गाडी मे रखा तब तक चाय तैयार हो गयी थी, जल्दी से चाय पी और वहा से विदा ली, अभी दो घंटे जंगल से बाहर निकलने मे लगने थे इसलिए ऑफिस तो हो ही नहीं सकता था इसलिए ऑफिस जाने का विचार दिमाग निकाल दिया।

शानदार गलियारा

क्या देख रहे हो

अब कुछ डर भी हमारे अन्दर था, वैसे थो बंद गाडी के अन्दर किसी जानवर का डर नहीं था लेकिन इस ट्रिप ने हाथी का दर हमारे अन्दर पैदा कर दिया था। जिप्सी के ड्राईवर ने भी हमें यही राय दी कि अगर सामने हाथी हो और पीछे जाने का रास्ता ना हो तो गाडी किनारे लगा कर हाथी को निकलने देना। हमारे ड्राईवर ने भी गाडी बाहर के गेट की तरफ दौड़ा दी लगभग अभी दस किलोमीटर ही चले थे कि सामने से आती एक जिप्सी ने हमें रूकने का इशारा किया, हमने भी गाडी रोक दी उसमे दो पुरुष और एक महिला बैठे हुए थे, उनमे से एक पुरुष हमारे पास आया और बोला कि भाईसाहब मुझे आप बाहर मेरे होटल छोड़ देगे, मै कल से यहाँ हूँ लेकिन मेरा पेट ख़राब हो गया है इसलिए अब अन्दर नहीं रूक सकता, हमारी गाडी मे जगह थी इसलिए हमने तुरंत दरवाजा खोल दिया। उसका नाम मोनू त्यागी था और वो दिल्ली से ही था और वो हर दो महीने बाद जिम कॉर्बेट आता था, वो गजब का जंगल का दीवाना था, काम कुछ नहीं करता था क्योकि उसके अनुसार बाप दादा का बहुत पैसा था जो खर्च करने वाला भी कोई चाहिए था।
अभी हम उससे बात कर ही रहे थे कि हमारा ड्राईवर जोर से चिल्लाया कोबरा कोबरा, हम भी हडबडा गए कि अचानक क्या हो गया उसने बीच रास्ते की तरफ इशारा किया, एक बार को तो लगा कि कोई मोटी रस्सी है लेकिन उस ने जब तेजी से सड़क पार की तो एहसास हुआ कि वो तो एक ६-७ फीट लम्बा साँप है। हमने गाडी किनारे लगायी और उधर ही देखने लगे, साँप ने भी पलट कर अपना फन उठा कर पूरी तरह से दर्शन दिए ताकि हम फोटो ले सके और फिर पलट कर एक पेड़ पर चढ़ गया। सभी के मुह से एक बार फिर सिसकारी सी निकल गयी। वाकई मे इतना कुछ थो हमने सोचा ही नहीं था, उसी समय ये एहसास भी हुआ की आते हुए जंगल मे रास्ते मे गाडी से उतर कर हमने कितनी बड़ी गलती की थी। अपने कान पकडे और एक बार फिर बाहर की तरफ गाडी दौड़ा दी।

नाग देवता दर्शन देते हुए

असली न सही लेकिन नकली शेर के साथ योगेश

वापिस गेट पर परमिट दिखाया तो वहा के एक गार्ड ने नम्रता से बोला कि सर गलती से गेस्ट हाउस पर आपसे छ चाय के पैसे नहीं लिए तो हमने वो पैसे उनको दिए और गेट के बाहर आ गए। रास्ते मे मोनू त्यागी को उसके होटल पर उतारा और दिल्ली की सड़क पकड़ ली। गेट से बाहर निकलते ही मैंने अपनी धर्मपत्नी को फ़ोन लगाया और अपनी समस्या बताई लेकिन वो नाराज थी ऊपर से मेरा चार साल का भतीजा जो बार बार उनको डरा रहा था कि चाचा जंगल गए है उनको शेर खा गया होगा। सबको इन्तजार था जल्दी से जल्दी घर पहुचने का ताकि अपने अनुभव सभी को बता सके।
इस तरह एक बहुत ही रोमांचक और छोटी सी यात्रा खत्म हुई, जिसको हमारे मे से कोई भी कभी भूल नहीं पायेगा। इसको पढ़कर उम्मीद है कि एक बार तो आपकी इच्छा भी जरूर होगी जिम कॉर्बेट जाने की।

जिम कॉर्बेट का जंगल, बाघ और हम – २ was last modified: March 16th, 2025 by Saurabh Gupta
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