Devbhoomi Uttarakhand Yatra …3 Â Â : Badrinath
26 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 2010 चायवाले के पास चाय पीते समय à¤à¤• यà¥à¤µà¤• आया और अपनी बस छूट जाने की बात बताते हà¥à¤¯à¥‡ रामपà¥à¤° तक साथ ले चलने के लिये पूछा। वह वहाठबैंक में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ था। शीघà¥à¤° ही हम दोनों रवाना हà¥à¤¯à¥‡à¥¤ रसà¥à¤¤à¥‡ में उसने बताया कि पूजा करवाने वाले उसके मामाजी हैं | सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उसकी अà¤à¤¿à¤à¥‚त à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने विचार वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किये कि उसका अà¤à¥€ गृहसà¥à¤¥ आशà¥à¤°à¤® है, बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की परवरिश कर, समाज में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने तक तो उसे इस तरफ समय देना तो दूर, सोचना ही नहीं चाहिये। रामपà¥à¤° में उसे उतारते हà¥à¤¯à¥‡ उखीमठचोपटा, चमोली, पीपलकोटी होते हà¥à¤¯à¥‡ जोशीमठपहूà¤à¤šà¤¤à¥‡ अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ हो गया। जोशीमठमें बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के लिये समयानà¥à¤¸à¤¾à¤° टà¥à¤°à¥‡à¤«à¤¿à¤• के लिये बैरियर है जो उस दिन कि लिये बनà¥à¤¦ हो चà¥à¤•ा था। परंतॠमेरी जानकारी में नहीं होने से बैरियर में अलà¥à¤Ÿà¥‹ जितनी जगह पाकर मैं आगे निकल गया। सड़क पर गाड़ीयों का आवागमन नहीं देख रà¥à¤•कर पास दà¥à¤•ान में किसी से बात की तो उसने आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ से पूछा कि आप इस वकà¥à¤¤ आ कैसे गये ? संकड़ी सड़क पर कार घà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‡ की बजाय वहीं जगह देखकर पारà¥à¤• की और पैदल ही वापिस जा रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤£à¥à¤Ÿ में चाय पीते व मेडिकल सà¥à¤Ÿà¥‹à¤° से बी.पी.की दवाई लेते जानकारी मिली कि सà¥à¤¬à¤¹ सात बजे बैरियर खà¥à¤² जायेगा। पास करीबन 30-40 फिट नीचे मनà¥à¤¦à¤¿à¤° से आरती की आवाज आ रही थी। आखिरी दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये पट खà¥à¤²à¥‡ थे। ऑफ सीजन के कारण दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ कम ही थे।
27 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 2010 की सà¥à¤¬à¤¹ मैं जोशीमठसे रवाना हà¥à¤†à¥¤ गोविनà¥à¤¦à¤˜à¤¾à¤Ÿ के पास à¤à¤• और बैरियर मिला। जानकारी न होने से मैं लाईन मे खड़े 6-7 वाहनों से आगे तक चला गया, बैक लौटाने के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ मे देखा कि अब संखà¥à¤¯à¤¾ 15-16 तक हो गई है। वहीं बसों के बीच कार को ‘à¤à¤¡à¤œà¤¸à¥à¤Ÿâ€™ किया। ठणà¥à¤¡à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ का समय। दà¥à¤•ानों पर चाय व गरà¥à¤® पकौड़ीयों के लिये गहमागहमी थी। à¤à¥‚-सà¥à¤–लन के कारण कई जगह रेंगते हà¥à¤¯à¥‡ चलना पड़ा। सड़क दà¥à¤°à¥à¤¸à¥à¤¤ होने का कारà¥à¤¯ तीवà¥à¤° गति से चल रहा था। बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ दोपहर को पहूà¤à¤šà¤¾à¥¤ मà¥à¤–à¥à¤¯ सड़क से मनà¥à¤¦à¤¿à¤° व माना, तिराहे पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गढवाल मणà¥à¤¡à¤² के विशà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¸à¥à¤¥à¤² से किसी सà¤à¥à¤°à¤¾à¤‚त परिवार को रवाना होते देख वहाठà¤à¤• कमरा ले सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ से निवृत हो टहलते हà¥à¤¯à¥‡ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की ओर चला। नर और नारायण दोनों परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ की चोटियाठशà¥à¤à¥à¤° बरà¥à¤« से ढक़ीं, सूरà¥à¤¯-पà¥à¤°à¤•ाश से चमक रहीं थीं। मà¥à¤à¥‡ शà¥à¤°à¥€ खà¥à¤¶à¤µà¤‚तसिंह के लेख में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ घटना याद आई जिसमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जिकà¥à¤° किया था कि किस पà¥à¤°à¤•ार वहां होटल में रà¥à¤•े हà¥à¤¯à¥‡ उनकी आà¤à¤– अकसà¥à¤®à¤¾à¤¤ अलसà¥à¤¬à¤¹ खà¥à¤² गई और खिड़की का परà¥à¤¦à¤¾ हटाने पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पहाड़ों पर नर और नारायण की विशाल आकृतियाठदिखाई दीं, जो देखते देखते विलीन हो गईं। वे लिखते हैं कि उनकी इन देवताओं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कोई आसà¥à¤¥à¤¾ नहीं है परंतॠउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उनके साथ घटी यह घटना विवश करती है मानने को कि ईशà¥à¤µà¤° जैसी कोई शकà¥à¤¤à¤¿ तो अवशà¥à¤¯ है। अलकननà¥à¤¦à¤¾ के किनारे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के लिये पैदल पà¥à¤² से जाना पड़ता है। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के बगल में तपà¥à¤¤ कà¥à¤£à¥à¤¡ से à¤à¤¾à¤ª छोडता गरà¥à¤® पानी अलकननà¥à¤¦à¤¾ में गिर रहा था। मन सà¥à¤¬à¤¹ दरà¥à¤¶à¤¨ करने का था परंतॠपà¥à¤² पार करते ही दà¥à¤•ानदार ने पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की थाली आगे कर दी तो वहाठचपà¥à¤ªà¤² खोल थाली ले मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ चढा दरà¥à¤¶à¤¨ कर लिये। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के चारों ओर विशाल आहाते का फरà¥à¤¶ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° तरीके से लकड़ी का बना हà¥à¤† है। लौटकर रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤£à¥à¤Ÿ में चाय लेते वकà¥à¤¤ यू.पी.से आये à¤à¤• दमà¥à¤ªà¤¤à¤¿ से बाते होने लगी। पà¥à¤°à¥à¤· कई सालों से आ रहे हैं, इस बार पतà¥à¤¨à¤¿ के साथ आये हैं, यहाठकम से कम चार-पाà¤à¤š दिन तो रà¥à¤•ेंगें। उनका कहना था कि अगला दिन वृहषà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤° है जो कि विषà¥à¤£à¥ à¤à¤—वान का होने के कारण बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये अहमॠवार है।
28 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 2010 को सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठमनà¥à¤¦à¤¿à¤° के पास सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ तपà¥à¤¤ कà¥à¤£à¥à¤¡ में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ व निकटसà¥à¤¥ नारदकà¥à¤£à¥à¤¡ आदि पर नमन-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर तैयार होने में करीबन à¤à¤• घणà¥à¤Ÿà¤¾ लग गया होगा। कà¥à¤£à¥à¤¡ में कपड़े à¤à¤¿à¤—ोना-निचोड़ना, कà¥à¤²à¥à¤²à¥‡ करना, साबà¥à¤¨ लगाना सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ है। पानी इतना गरà¥à¤® कि इसमें à¤à¤•साथ पूरा उतर नहीं सकते और पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹-बीस मिनट बाद तो à¤à¤•बार बाहर आना ही पड़ता है। देव-दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये कोई दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ विशिषà¥à¤Ÿ परिवार आया हà¥à¤† था। सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे। विधिवत वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ सहित आरती व दरà¥à¤¶à¤¨ मिला। पà¥à¤°à¤¦à¤•à¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ कर आहाते में धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ कà¥à¤› समय उपरांत पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ लेने की आवाज व गहमागहमी सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ दी। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की तरफ से चावल, दाल, खिचड़ी का à¤à¥‹à¤—-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ था। दà¥à¤•ान से खाली पतà¥à¤¤à¤² खरीद à¤à¥€à¤¡à¤¼ का हिसà¥à¤¸à¤¾ बन पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ लिया। आम दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ को देवकृपा सà¥à¤µà¤°à¥‚प आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ मानते हैं और इसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने-देने में अमीरी-गरीबी आदि का कोई à¤à¥‡à¤¦-à¤à¤¾à¤µ नही होता है। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° से लौटते रासà¥à¤¤à¥‡ होटल में थाली सिसà¥à¤Ÿà¤® से खाना लिया। खाना बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ था परंतॠखिचड़ी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ खाये हà¥à¤¯à¥‡ होने के कारण, पूरा नहीं खा पाया। टी.सिरीज दà¥à¤•ान से महामृतà¥à¤¯à¥à¤‚जय की ऑडियो सी.डी. खरीदी जो वापिसी यातà¥à¤°à¤¾ मे बहà¥à¤¤ उपयोगी रही। बॉरà¥à¤¡à¤° के आखिरी गाà¤à¤µ माना से कà¥à¤› दूर आगे गणेश मनà¥à¤¦à¤¿à¤° तक गया उससे आगे वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ गà¥à¤«à¤¾, à¤à¥€à¤®à¤ªà¥à¤² आदि तक पैदल ऊपर चढने में कठिनाई महसूस कर तथा वापिस जयपà¥à¤° 30 तारीख तक पहूà¤à¤šà¤¨à¤¾ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ किये होने के कारण, नहीं गया। मेरी सबसे छोटी चौथी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ जो कि हैदराबाद रहती है, जयपà¥à¤° आई हà¥à¤ˆ थी और उसके शà¥à¤µà¤¸à¥à¤° शà¥à¤°à¥€à¤•ैलाशजी ने 30 तारीख को अपने साथ ले जाने के लिये पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ किया था और सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ फोन पर मà¥à¤à¤¸à¥‡ बातें करते वकà¥à¤¤ काफी à¤à¤¾à¤µà¥à¤• हो गई थी इसकारण ऋषिकेश सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शिवाननà¥à¤¦ आशà¥à¤°à¤® में कà¥à¤› समय बिताने, बाबा रामदेव आशà¥à¤°à¤® अवलोकन आदि पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤®à¥‹à¤‚ को सà¥à¤¥à¤—ित कर शीघà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤¶à¥€à¤˜à¥à¤° जयपà¥à¤° लौटना निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होने से रासà¥à¤¤à¥‡ में अवलोकनारà¥à¤¥ जगहों को à¤à¥€ नजरानà¥à¤¦à¤¾à¤œ करते हà¥à¤¯à¥‡ यातà¥à¤°à¤¾ करनी थी। बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ में साढे गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ बजे बैरियर खà¥à¤²à¤¨à¥‡ के इंतजार में दो घणà¥à¤Ÿà¥‡ लाइन में लगे रहना पड़ा। रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में रातà¥à¤°à¥€ विशà¥à¤°à¤¾à¤® लेने का विचार किया था परंतॠइचà¥à¤›à¤¿à¤¤ धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ निकल जाने से किसी दà¥à¤•ान पर सà¥à¤à¤¾à¤µ मिला कि मैं समय रहते शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र पहà¥à¤à¤š सकता हूं और मà¥à¤à¥‡ वहाठरातà¥à¤°à¥€ विशà¥à¤°à¤¾à¤® लेना चाहिये।
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