सà¥à¤¬à¤¹ गौहाटी सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर उतरे और पलà¥à¤Ÿà¤¨ बाज़ार तरफ ढेर सारी गाडिया टैकà¥à¤¸à¥€ वाले शिलोंग के लिठआवाज़ लगा रहे थे। उनमे से à¤à¤• मारà¥à¤¤à¥€ डिजायर में रà¥.300/-पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ किराये में दोनों सवार होके शिलोंग के लिठचल पड़े जो की 100 किमी की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अतà¥à¤¯à¤‚त मोहक पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ मेघालय की राजधानी à¤à¥€ है। जैसे जैसे आगे बढे खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° 4 लेन राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— शà¥à¤°à¥‚ हो गया। साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¤¾ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥¤ ढाई घंटे की मनमोहक यातà¥à¤°à¤¾ के बाद गेसà¥à¤Ÿ हाउस पहà¥à¤šà¥‡à¥¤à¤¸à¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ टैकà¥à¤¸à¥€ लेकर लोकल à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ घà¥à¤®à¤¨à¥‡ निकले।(टैकà¥à¤¸à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° आपसे 1000 से 1500 तक मांग करेंगे)सबसे पहला पॉइंट à¤à¤²à¥€à¤«à¥ˆà¤‚ट फालà¥à¤¸à¥¤ रà¥.10/- à¤à¤‚टà¥à¤°à¥€ टिकट ले के नीचे उतरना शà¥à¤°à¥‚ किया। काफी नीचे जा के à¤à¤• के नीचे à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ 3 सà¥à¤Ÿà¥‡à¤ª में है ये सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सा वॉटरफॉल जिसमे बारहों महीने पानी बहता है ।साफ़ सà¥à¤µà¤šà¥à¤› ठंडा पानी ऊपर से नीचे बहता है।
अगला पॉइंट शिलोंग टॉप था। ये जगह सबसे ऊपर की पहाड़ी पे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और पूरा कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° à¤à¤¯à¤° फ़ोरà¥à¤¸ के नियंतà¥à¤°à¤£ में है और सà¤à¥€ को पास ले के ही पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ मिलता है। यहाठयह बताना जरà¥à¤°à¥€ है की पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° में कही à¤à¥€ आपको अपने परिचय पतà¥à¤° दिखाना पड़ सकता है अतः कà¥à¤› न कà¥à¤› अवशà¥à¤¯ साथ रखना चाहिठआधार या पैन या वोटर कारà¥à¤¡ आदि।
पास ले के टॉप पे पहà¥à¤šà¥‡ और देख के लगा पूरा शिलोंग शहर मानो किसी ने नीचे वादियों में बिछा रखा था।हरे à¤à¤°à¥‡ पेड़ो से घिरा ये सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों से à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† था। बहà¥à¤¤ रमणीय वातावरण था। वही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ खासि आदिवासियों के वसà¥à¤¤à¥à¤° और आà¤à¥‚षण पहन कर सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¥à¤· फोटो खिचवा रहे थे और कà¥à¤› फोटो पतà¥à¤¨à¥€ ने à¤à¥€ खिचवाये। यही लंच लेने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ à¤à¥€ है।
शिलोंग का विहंगम दृशà¥à¤¯ और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ वेशà¤à¥‚षा में
इसके बाद कई छोटे छोटे सà¥à¤ªà¥‰à¤Ÿ घूमते हà¥à¤ वहा सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ डॉन बोसà¥à¤•ो मà¥à¤¯à¥‚जियम पहà¥à¤šà¥‡à¥¤à¤¸à¤¾à¤¤ मंजिल का ये मà¥à¤¯à¥‚जियम बेहद अचà¥à¤›à¥€ तरह से बनाया हà¥à¤† है जो टूरिसà¥à¤Ÿ की निगाहों से महज इसलिठदूर है कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि इसमें 3 से 4 घंटे या अधिक समय लगता है। इसमें पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° के सà¤à¥€ सात राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¤à¥€ टà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¬à¥à¤¸ के बारे में समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जानकारी के साथ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के बारे में सà¤à¥€ जानकारियों का à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤° है।आप जब à¤à¥€ जाठवक़à¥à¤¤ निकाल के इसे जरूर देखिये।
इसके सबसे ऊपर छत पर सà¥à¤•ाई वाक बनाया गया है जिससे चारो तरफ के शहर की जगहों के निशानो के बोरà¥à¤¡ लगे हà¥à¤ है।
लगà¤à¤— 3 घंटे बिता कर मà¥à¤¯à¥‚जियम से बाहर निकले और गेसà¥à¤Ÿ हाउस का रà¥à¤– किया।कल का दिन चेरापूंजी और उसके आसपास के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ देखने का तय किया है।
दूसरा दिन – चेरापूंजी
मेघालय टूरिसà¥à¤Ÿ कारपोरेशन की बस सà¥à¤¬à¤¹ ठीक आठबजे यहाठके मà¥à¤–à¥à¤¯ बाज़ार पà¥à¤²à¤¿à¤¸ बाज़ार से रवाना हà¥à¤ˆ जिसमे रà¥.350/-पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ किराया लगता है। इसके अलावा आप पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ टैकà¥à¤¸à¥€ से à¤à¥€ जा सकते है जो 2000/- से 3500/- में उपलबà¥à¤§ है। दिन à¤à¤° लगà¤à¤— 180 किमी का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ होता है।
पहला पॉइंट mawkdoc valley था जो गहरी घाटी है पर पूरी घाटी बादलो से à¤à¤°à¥€ थी अतः कà¥à¤› देख नही पाà¤à¥¤
अगली जगह इको पारà¥à¤• है जहा से सेवेन सिसà¥à¤Ÿà¤° फालà¥à¤¸ का उदगम होता है पर यहाठà¤à¥€ नà¥à¤¯à¥‚नतम पानी होने से अधिक रà¥à¤šà¤¿à¤•र नही लगा और फालà¥à¤¸ लगà¤à¤— सूखा था।किनà¥à¤¤à¥ रासà¥à¤¤à¤¾ इतना ऊंचाई à¤à¤°à¤¾ घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° और रमà¥à¤¯ था की फालà¥à¤¸ में पानी ना होने का किसी को मलाल नही था।
अगली जगह बेहद रोमांचक थी।मेघालय में इसकी खोज कà¥à¤› ही वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ हà¥à¤ˆà¥¤ चेरापूंजी के निकट Mawsmai Caves।
मॉसà¥à¤®à¤ˆ गà¥à¤«à¤¾ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये सबसे आसान गà¥à¤«à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यातà¥à¤°à¥€ इनमें बिना किसी तैयारी या गाइड की सहायता के बहà¥à¤¤ ही आसानी से घूम सकते हैं। 150 मीटर लमà¥à¤¬à¥€ इस गà¥à¤«à¤¾ के अनà¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤•ाश का समà¥à¤šà¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ होने के कारण वे आसानी से रासà¥à¤¤à¤¾ खोज सकते हैं।
गà¥à¤«à¤¾ के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤° बड़ा है किनà¥à¤¤à¥ जलà¥à¤¦ ही यह सà¤à¤•रा हो जाता है। कई मोड़ों और घà¥à¤®à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के साथ इसमें काफी रोचक अनà¥à¤à¤µ होता है, लेकिन यदि काफी à¤à¥€à¤¡à¤¼ हो तो साà¤à¤¸ लेने में परेशानी हो सकती है। बहà¥à¤¤ सी जगह लगà¤à¤— लेट कर पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करना होता है।
बारिश के दिनों में बहते टपकते पानी से पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ पर बनी विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° बनावटें पà¥à¤°à¤•ृति का à¤à¤• और चमतà¥à¤•ार हैं।
पà¥à¤°à¤•ृति की बनावटे अकà¥à¤¸à¤° इंसान को सà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§ करती आयी है ये à¤à¥€ उनमे से à¤à¤• जगह है।
यहाठसे à¤à¤• बोटैनिकल गारà¥à¤¡à¤¨ और रामकृषà¥à¤£ मिशन होते हà¥à¤ हम अपने आज के अंतिम सà¥à¤ªà¥‰à¤Ÿ पे पहà¥à¤šà¥‡à¥¤
नोह-कालि-काई वाटर फॉल
घने जंगलों के बीच से गिरते इस अदà¥à¤à¥à¤¤ जल पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ के पास आप जा नहीं सकते। ये à¤à¤¾à¤°à¤¤ का सबसे ऊà¤à¤šà¤¾ पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ है ।परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों को इसे देखने के लिठवà¥à¤¯à¥‚ पà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤‚ट बनाया गया है वहाठसे नीचे की ओर सीढ़ियाठतो हैं पर वो à¤à¥€ à¤à¤°à¤¨à¥‡ से पहले ही खतà¥à¤® हो जाती हैं।
इस à¤à¤°à¤¨à¥‡ और इसके आस पास की हरियाली और घने जंगल की छटा मन को लà¥à¤à¤¾ जाती है। इतने हरे à¤à¤°à¥‡ दरखà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के बीच पानी की गिरती पतली सी धार(फोटो में मोटी धारा गिरती दिखती है वो नवमà¥à¤¬à¤° से पतली होना शà¥à¤°à¥‚ हो जाती है) और नीचे बने हà¥à¤ छोटे से नीले तालाब की छवि आà¤à¤–ों में बस जाती है।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ का सबसे ऊà¤à¤šà¤¾ जलपà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤
उपरोकà¥à¤¤ सारे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ चेरापूंजी और उसके आसपास के हिसà¥à¤¸à¥‡ है जो विशà¥à¤µ में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• वरà¥à¤·à¤¾ के रूप में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। किनà¥à¤¤à¥ वरà¥à¤·à¤¾ के दिनों के अलावा यहाठउस गीलेपन का कोई चिनà¥à¤¹ नही दिखता।
इसके बाद जलपà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ पर ही लंच किया और दो घंटे की पहाड़ी घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत जंगल के बीच से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¥‡ वाली सड़क से होते हà¥à¤ वापस शिलोंग पहà¥à¤šà¥‡ तब तक रात (शाम के छह)हो चà¥à¤•ी थी वहा सामानà¥à¤¯ से जलà¥à¤¦à¥€ दिन ढल जाता है।
तीसरा दिन
आज मेरे जीवन का बहà¥à¤ªà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ दिन आने वाला था कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि जिस जगह मैं आज जानेवाला था उसके बारे में 20/25 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ से सà¥à¤¨ रखा था और सोचता था कि कà¤à¥€ जा सकूà¤à¤—ा à¤à¥€ या नही ? Living Root Bridge of Meghalay और कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿà¤² कà¥à¤²à¤¿à¤¯à¤° Dawki River!
सबसे पहले पहà¥à¤šà¥‡ à¤à¤¾à¤°à¤¤ बांगà¥à¤²à¤¾ देश सीमा पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ डोकी नदी पर जो अपने सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤šà¥à¤› पानी के कारण पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ थी और जब पहà¥à¤š के देखा तो सच में हम में से हर à¤à¤• अवाक रह गया।इतना साफ़ की गहरा तल à¤à¥€ पूरी तरह दिखाई दे रहा था। उसपर तैरती नाव मानो हवा पे à¤à¥‚ल रही हो। हमने तà¥à¤°à¤‚त à¤à¤• नाव की सवारी करने की ठानी और बढ़ चले नदी के बीचोबीच। शबà¥à¤¦ नही है कि विवरण लिख सकू। इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ पर इतने फोटो और विडियो उपलबà¥à¤§ है कि मैं कà¥à¤¯à¤¾ नया जोड़ पाऊंगा ?यही सोच कर पूरा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ इस खूबसूरती पे लकà¥à¤·à¤¿à¤¤ कर दिया।
लिविंग रूट बà¥à¤°à¤¿à¤œ…
अगली जगह वो थी जो मैं पिछले 20 वरà¥à¤·à¥‹ से जाना चाह रहा था और संयोग नही बन पाया।
चेरापूंजी के लीविंग रूट बà¥à¤°à¤¿à¤œ (Living Root Bridge) का नाम सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही मन में रोमांच सा पैदा हो जाता है । मेघालय में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ ये कà¥à¤¦à¤°à¤¤ का गजब नजारा है । à¤à¤• पेड जिसका नाम (Ficus elastica tree)फिकस इलासà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ा टà¥à¤°à¥€ होता है , की जडो से ये पà¥à¤² बनाये जाते हैं । यह पेड अपनी जडो की दूसरी सीरीज पैदा करता है ।
यहां के लोगो ने इस पेड को देखा और इसकी जडो की खूबी को जाना जो कि लचकदार होने के साथ साथ बांधने लायक थी पर साथ ही बहà¥à¤¤ मजबूत à¤à¥€ थी । उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ इसका उपयोग नदी पार करने के लिये किया । हम इस पेड को रबर के पेड की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ का à¤à¥€ मान सकते हैं ।
à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤²à¥‹ में से कà¥à¤› की लमà¥à¤¬à¤¾à¤ˆ सौ फà¥à¤Ÿ तक है । जहां खासी (यहाठके आदिवासी)लोगो को जरूरत होती है इस पेड की जडो को वे दिशा देते हैं और काफी समय à¤à¥€ । कई वरà¥à¤·à¥‹ में ये पेड इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में आ जाते हैं कि दोनो किनारो के पेडो की जडें आपस में जà¥à¤¡à¤¼ जाती हैं।
ये इतने मजबूत à¤à¥€ होते हैं कि 50 लोगो का वजन à¤à¤• साथ à¤à¥‡à¤² सकते हैं । इनà¥à¤¹à¥‡ पूरा होने में दस से पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ साल का समय लगता है । ये जडे हमेंशा जिंदा हैं और बढ à¤à¥€ रही हैं इसलिये इनकी ताकत à¤à¥€ बढती रहती है ।
इस पà¥à¤² के चारो तरफ का नज़ारा à¤à¥€ बेहद खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत है। मà¥à¤–à¥à¤¯ सड़क से गाà¤à¤µ में से होते होते हà¥à¤ लगà¤à¤— डेढ़ किमी का रासà¥à¤¤à¤¾ नीचे नदी की ओर जाता है जिस पर ये पà¥à¤² बना हà¥à¤† है। आने जाने में थकान महसूस हो सकती है पर नज़ारा देख के सब कà¥à¤› à¤à¥‚ल जाते है।
अगर कà¤à¥€ उतà¥à¤¤à¤° पूरà¥à¤µ आठतो मेघालय और उपरोकà¥à¤¤ दोनों जगहों का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ अवशà¥à¤¯ करे जो शिलोंग से लगà¤à¤— 100 किमी दूर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है।
हमारा आज का अंतिम पड़ाव à¤à¥€ बेहद खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत है जिससे à¤à¤¾à¤°à¤¤ वासी गरà¥à¤µ à¤à¥€ महसूस करेगा।
asia`s Cleanest village , mawlynnong,meghalaya
जब हमने सà¥à¤¨à¤¾ कि à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ का सबसे सà¥à¤µà¤šà¥à¤› गांव का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ार à¤à¤¾à¤°à¤¤ के à¤à¤• गांव ने जीता है और वो मेघालय में है तो मैंने इसे अपने पà¥à¤²à¤¾à¤¨ में शामिल किया । लीविंग रूट बà¥à¤°à¤¿à¤œ देखने के बाद हम इस इस गांव में पहà¥à¤‚चे जो कि लीविंग रूट बà¥à¤°à¤¿à¤œ वाले गांव से 2 किमी दूर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है।गाà¤à¤µ को साफ़ कैसे रख पाते है जबकि सैलानी आते जाते रहते है रोज़ खूब सारे। पता चला कि गांव में सà¤à¥€ जगहो पर शाम को सफाई का काम चलता है जिसमें गांव के सà¤à¥€ आदमी , औरत और छोटा बचà¥à¤šà¤¾ à¤à¥€ हिसà¥à¤¸à¤¾ लेता है । छोटे बचà¥à¤šà¥‡ को जनà¥à¤® से ही सफाई सिखायी जाती है इस हद तक कि अगर वो रासà¥à¤¤à¥‡ से जा रहा है और उसे छोटा सा कागज à¤à¥€ गिरा दिखे तो वो उसे डसà¥à¤Ÿà¤¬à¤¿à¤¨ में डाल देता है ।
गांव में कूडा इकठठा करने के लिठजगह à¤à¥€ बनी हैं । गांव में पालिथिन का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚धित है ही साथ ही धूमà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¨ à¤à¥€ वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ है ।
इस जगह को देख कर मà¥à¤à¥‡ अपने शहरी अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ पर शरà¥à¤® आने लगी कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि हमारे पढ़े लिखे लोगो के शहर इन दिनों कूड़े का ढेर बन चà¥à¤•े है और हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इसकी सफाई सरकार की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ समà¤à¤¤à¤¾ है। जबकि साफ़ सफाई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त आवशà¥à¤¯à¤•ता है इसे इस छोटे से गाà¤à¤µ के वासी सारे देश को बता रहे है।
इस तरह आज का दिन जीवन à¤à¤° के लिठखà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ यादें छोड़ गया और इसी के साथ मेघालय की यातà¥à¤°à¤¾ à¤à¥€ समापà¥à¤¤à¤¿ की और थी।
कल दिन में गà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾à¤Ÿà¥€ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ करेंगे और वहा से अगली यातà¥à¤°à¤¾ के बारे आपसे साà¤à¤¾ करूà¤à¤—ा।
तब तक आजà¥à¤žà¤¾ चाहूà¤à¤—ा।