“है पà¥à¤°à¤à¥ परम मनोहर ठाऊà¤, पावन पंचवटी तेहि नाऊà¤, दंडक बन पà¥à¤¨à¥€à¤¤ पà¥à¤°à¤à¥ करहà¥, उगà¥à¤° साप मà¥à¤¨à¤¿à¤¬à¤° कर हरहà¥â€,
तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखे अरणà¥à¤¯à¤•ाणà¥à¤¡ में लिखे इस दोहे का मरà¥à¤® यह है कि हे पà¥à¤°à¤à¥, à¤à¤• परम मनोहर और पवितà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है, उसका नाम पंचवटी है. हे पà¥à¤°à¤à¥, आप दंडक वन को (जहाठपंचवटी है) पवितà¥à¤° कीजिये और शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मà¥à¤¨à¤¿ गौतम जी के कठोर शाप को हर लीजिये. २५ मारà¥à¤š २०१६ के दिन शà¥à¤°à¥€ कपालेशà¥à¤µà¤° मंदिर का दरà¥à¤¶à¤¨ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ हम लोग वहां जाना चाहते थे, जहाठपंचवटी थी. संधà¥à¤¯à¤¾ काल के ६ बज चà¥à¤•े थे. पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में दिन का आलोक थोड़ी देर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ तक बना रहता है, इसीलिठअà¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ संà¤à¤µ थी. पंचवटी वहां से थोड़ी दूर पर था, जिसके कारण हमलोगों को पà¥à¤¨à¤ƒ कार में बैठकर जाना पड़ा.
कालेराम मंदिर का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ सà¥à¤¥à¤²
इस बार फिर हमलोगों की गाड़ी हमें “काले राम मंदिर†के पास तक ले आई. मंदिर के सामने बड़ी à¤à¥€à¤¡à¤¼ रहती है. à¤à¤• छोटा-सा पूजन-सामगà¥à¤°à¥€ वाला बाज़ार à¤à¥€ वहां लगा रहता है. अतः गाड़ी से उतर कर पंचवटी की पैदल यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ कर दी गयी और गाड़ी को उचित सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पारà¥à¤•िंग करने के लिठà¤à¥‡à¤œ दिया गया. १à¥à¥®à¥® ईसà¥à¤µà¥€ के आस-पास बना काले राम का मंदिर à¤à¤• विशाल परकोटे के अनà¥à¤¦à¤° है. मंदिर की बनावट में काले पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ का बहà¥à¤¤ इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² हà¥à¤† है. लोकोकà¥à¤¤à¤¿ है कि लगà¤à¤— २३० वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ पूरà¥à¤µ सरदार रंगाराव ओढ़कर को सà¥à¤µà¤ªà¤¨ में à¤à¤—वन शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® ने दरà¥à¤¶à¤¨ दिया. सà¥à¤µà¤ªà¤¨ में ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पता चला की शà¥à¤°à¥€-राम की à¤à¤• काले रंग की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ गोदावरी नदी में पड़ी हà¥à¤ˆ है. उसी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ को बाद में निकला गया और इसी मंदिर में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया. मंदिर का सà¤à¤¾ मंडप और शà¥à¤°à¥€-राम जानकी का विगà¥à¤°à¤¹ दोनों बेहद खूबसूरत हैं. मंदिर के बाहर शà¥à¤µà¥‡à¤¤ रंग के फूल मिल रहे थे, जिसका अà¤à¥€ नाम मà¥à¤à¥‡ सà¥à¤®à¤°à¤£ नहीं. उनà¥à¤¹à¥€ फूलों से इनका पूजन किया जाता है. पर उनकी फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ निषेध होने ही वजह से हमलोग चितà¥à¤° नहीं निकाल सके. परनà¥à¤¤à¥ पूजन के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ जब हमलोग परकोटे के अनà¥à¤¦à¤° परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ कर रहे थे तो वहां हमने à¤à¤• फोटो अपनी यादगारी के लिठले ली.
कालेराम मंदिर के परिसर में
रामनवमी को इस मंदिर में विशेष आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश से आये लोग हिसà¥à¤¸à¤¾ लेते है. मंदिर के बाहर à¤à¤• रथ à¤à¥€ दिखा. शायद रामनवमी इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ शà¥à¤ अवसर पर निकला जाता हो. à¤à¤¾à¤°à¤¤ में हरिजनों के उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के लिठजब बाबा साहेब अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•र कारà¥à¤¯ कर रहे थे, तब à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€ काले राम का यह मंदिर चरà¥à¤šà¤¾ में रहा था. १९३० ईसà¥à¤µà¥€ के आसपास इस मंदिर में हरिजनों का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ था, जिस पà¥à¤°à¤¥à¤¾ को तोड़ने के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यहाठसतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹-धरना-पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ किया था. आजकल तो कोई à¤à¥€ यहाठपà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर सकता है और पूजन कर सकता है. काले राम मंदिर के पास ही à¤à¤• गोरे राम का मंदिर है. पर काले-गोरे के चकà¥à¤•र में हम नहीं पड़े और अपनी अगले गंतवà¥à¤¯ को चले, जो वहीठपास में ही था.
कालेराम मंदिर का रथ
काले-राम मंदिर से कà¥à¤› दूर पैदल चलते ही हमें “पंचवटी†का दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤†. पंचवटी का शाबà¥à¤¦à¤¿à¤• अरà¥à¤¥ है, “पांच बड़/बरगद के वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से बना कà¥à¤žà¥à¤œâ€. अब हम उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर रहे थे, जहाठरामायण काल में शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤®, लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ और सीताजी ने निवास किया था. परà¥à¤£à¤•à¥à¤Ÿà¥€ तो इतने दिनों तक अब शेष नहीं रह सकती. पर पांच वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से घिरा वह कà¥à¤žà¥à¤œ आज à¤à¥€ शेष दिखाया जा रहा है. सà¤à¥€ पांच वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ पर नंबर लगा दिठगठथे, ताकि लोग उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देख कर गिन सकें. वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में उन पांच वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ के कà¥à¤‚ज के बीच से ही पकà¥à¤•ा रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ बना हà¥à¤† था, जिस पर à¤à¤• ऑटो-सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड à¤à¥€ मौजूद था और साधारण यातायात चालू था. बरगद के वे वृकà¥à¤· काफी ऊà¤à¤šà¥‡ हो गठथे. शà¥à¤°à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं ने उन वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की पूजन सà¥à¤µà¤°à¥‚प उनपर कचà¥à¤šà¥‡ धागे à¤à¥€ लपेटे थे. हमलोगों ने पहली बार पंचवटी से साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार किया. पांचों वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ को घूम-घूम कर देखा और उनकी तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ लीं.
पंचवटी के बरगद संखà¥à¤¯à¤¾ २ और ३
उसी पंचवटी के बिलकà¥à¤² समीप “सीता-गà¥à¤«à¤¾â€ थी, जिसमें सीता जी शिवपूजा किया करतीं थी. कहतें हैं कि इसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से सीता जी का रावण ने अपहरण किया था. सीता गà¥à¤«à¤¾ देखने के लिठलोगों की लमà¥à¤¬à¥€ कतार लगी हà¥à¤ˆ थी. गà¥à¤«à¤¾ के बाहर सरà¥à¤ªà¤¾à¤•ार लाइन लगी हà¥à¤ˆ थी. चपà¥à¤ªà¤²-जूते बाहर ही रखने थे, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि गà¥à¤«à¤¾ में उसे ले कर नहीं जा सकते. हमलोग à¤à¥€ उसी कतार में खड़े हो गà¤. वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ यà¥à¤— में सीता गà¥à¤«à¤¾ के मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ पर à¤à¤• मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† है, जिसमें शà¥à¤°à¥€-राम-लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£-सीता का विगà¥à¤°à¤¹ है. इस मंदिर के बरामदे छत काफी नीची है और उसके बीम लकड़ियों से बने हैं. गà¥à¤«à¤¾ में जाने के दूसरा मारà¥à¤— नहीं है.
सीता गà¥à¤«à¤¾ के बाहर लोगों की à¤à¥€à¤¡à¤¼
लोगों की कतार धीरे-धीरे सरक रही थी, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि गà¥à¤«à¤¾ का मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ काफ़ी छोटा और संकरा है. जब हमलोग उस मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ पर आये तो चकित हो गà¤. कोई बहà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¥€-à¤à¤°à¤•म वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ तो उस मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ में घà¥à¤¸ ही नहीं सकता था. हमारे ठीक आगे à¤à¤• नवयà¥à¤µà¤¤à¥€ अपने परिवार के साथ चल रही थी, उसके डील-डौल à¤à¥€ तगड़े थे. लाइन में चलने के दौरान उस परिवार के सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में यही चरà¥à¤šà¤¾ छिड़ी थी कि कैसे वह उस गà¥à¤«à¤¾ में घà¥à¤¸à¥‡à¤—ी. पर वह à¤à¥€ गज़ब की निकली, उसनें मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ पर अपने शरीर को थोड़ा सिकोड़ा और गà¥à¤«à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गयी. कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर तो जमीन के लगà¤à¤— समानांतर हो कर रेंगना पड़ता है. सीताजी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पूजित शिव-लिंग सà¥à¤¥à¤² वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के जमीनी-सà¥à¤¤à¤° से नीचे है. अतà¤à¤µ गà¥à¤«à¤¾ में आजकल पतली-संकरी सीढियां बना दी गयीं हैं, जिनमें बैठ-सरक-रेंग कर आप शिव-लिंग तक जाते हैं. पर वहां à¤à¥€ जगह कम है और à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बैठकर लोगों के पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ को नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ कर रहा था. फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ थी. और गà¥à¤«à¤¾ के अनà¥à¤¦à¤° हवा की à¤à¥€ कमी होती है, अतः गरà¥à¤®à¥€ à¤à¥€ बहà¥à¤¤ थी. इस पà¥à¤°à¤•ार हमलोगों ने सीता-गà¥à¤«à¤¾ देखा और बाहर आ गà¤. मैं अपने मन में यही सोच रहा था कि सीताजी को पूजन हेतॠइतनी संकरी गà¥à¤«à¤¾ में जाने की कà¥à¤¯à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤•ता थी? शायद दंडक वन के पशà¥à¤“ं का पà¥à¤°à¤•ोप हो, जो पूजन में लिपà¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठखतरा उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करतें हों.
सीता-गà¥à¤«à¤¾ के अनà¥à¤¦à¤° का विगà¥à¤°à¤¹
पर बाहर अचà¥à¤›à¥€ हवा चल रही थी. मन तो पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ था ही. कà¥à¤› ही समय तन à¤à¥€ आराम पा कर अगले पड़ाव के लिठतैयार हो गया. कà¥à¤› कलाकारों ने सीता-गà¥à¤«à¤¾ के ठीक सामने “सीताहरण-मारीचवध पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€â€ लगाया था. हमलोग à¤à¥€ उस पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€ को देखना चाहते थे. वहाठकà¥à¤› तो चितà¥à¤° लगे थे और कà¥à¤› आदमकद रंग-बिरंगी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤“ं के पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ से सीता-हरण और मारीचवध की कथा दिखाने की चेषà¥à¤Ÿà¤¾ की गयी थी. पà¥à¤°à¤¶à¤‚सनीय पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ था और कई लोग उसे देख रहे थे. पर वहां à¤à¥€ फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ निषेध थी. पंचवटी, सीता गà¥à¤«à¤¾ और पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€ देखने के उपरानà¥à¤¤ हमलोगों को तपोवन जाना था. पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ काल में तपोवन दंडक वन का वो हिसà¥à¤¸à¤¾ था, जिसमें ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ तपसà¥à¤¯à¤¾ करते थे. परनà¥à¤¤à¥ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में वहां जंगल नहीं था.
पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€ का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ सà¥à¤¥à¤²
तपोवन जाने के लिठहमें अपनी कार की सहायता लेनी पड़ी, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह पंचवटी से थोड़ी दूर गोदावरी नदी के किसी दूसरे मोड़ पर था. वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के तपोवन में सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°-सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° रिहायसी मकान बने हà¥à¤ थे. साथ ही कà¥à¤®à¥à¤-सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ में आने वाले शà¥à¤°à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं के लिठशिविर à¤à¥€ यहीं लगे थे. चाहे जो à¤à¥€ ही, यहाठवातावरण खà¥à¤²à¤¾ हà¥à¤† था और वृकà¥à¤· à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लगे हà¥à¤ थे. इसकी खà¥à¤²à¥€ नीरव सड़कों पर कार डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µ करना à¤à¤• खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ अनà¥à¤à¤µ था. इस बार हमारी कार ने हमें शà¥à¤°à¥€-लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£à¤œà¥€ के मंदिर-परिसर के सामने छोड़ा और उपयà¥à¤•à¥à¤¤ पारà¥à¤•िंग सà¥à¤¥à¤² पर चला गया. इधर हमलोग शà¥à¤°à¥€à¤²à¤•à¥à¤·à¥à¤®à¤£à¤œà¥€ मंदिर-परिसर के गेट में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किये.
लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£-मंदिर-परिसर का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶-दà¥à¤µà¤¾à¤°
नूतन परिसर à¤à¤• विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ पैमाने पर विकसित किया जा रहा था. आने वाले कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ यातà¥à¤°à¥€-गण यहाठà¤à¥€ बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में पधारेंगे. इस परिसर में रामायण के अरणà¥à¤¯-काणà¥à¤¡ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£à¤œà¥€ की कथाओं से समà¥à¤¬à¤‚धित सà¥à¤¥à¤² हैं. रामायण की à¤à¤• खलनायक, रावण-पà¥à¤¤à¥à¤° मेघनाद के बारे में सब जानते हैं. उस मेघनाद को यह वरदान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ था कि उसकी मृतà¥à¤¯à¥ उसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के हाथों से होगी, जिसने १२ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक बà¥à¤°à¤¹à¤šà¤°à¥à¤¯ में रह कर लगातार तपसà¥à¤¯à¤¾ की हो. माना जाता है कि मेघनाद-विंधà¥à¤µà¤‚सक शà¥à¤°à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ जी ने इसी तपोवन सà¥à¤¥à¤² पर वह à¤à¥€à¤·à¤£ तपसà¥à¤¯à¤¾ की थी. वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में “शà¥à¤°à¥€à¤²à¤•à¥à¤·à¥à¤®à¤£ की तपोà¤à¥‚मि सà¥à¤¥à¤²â€ को इंगित करने के लिठà¤à¤• वृकà¥à¤·-कà¥à¤žà¥à¤œ है, जिसके सामने लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ की à¤à¥€à¤·à¤£ तपसà¥à¤¯à¤¾ से संबधित सूचना अंकित है.
शà¥à¤°à¥€à¤²à¤•à¥à¤·à¥à¤®à¤£ की तपोà¤à¥‚मि सà¥à¤¥à¤²
वहाठपहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ वाले सà¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤-शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥-जन इस वृकà¥à¤·-कà¥à¤žà¥à¤œ के परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करते है, जो परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ हमलोगों ने à¤à¥€ पूरी की. परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ हम वहां पधारे, जिस सà¥à¤¥à¤² पर शà¥à¤°à¥€-लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£à¤œà¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शूरà¥à¤ªà¤£à¤–ा नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ राकà¥à¤·à¤¸à¥€ के नाक-कान कटे गठथे. रामायण में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ इस कथा की मà¥à¤–à¥à¤¯ नायिका शूरà¥à¤ªà¤£à¤–ा थी, जिसने शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® पर मोहित हो कर उनसे विवाह का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ किया. अपनी बात न चलती देख कर जब उसने अपने मूल-राकà¥à¤·à¤¸à¥€ रूप धारण कर बल पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ करना चाहा तो शà¥à¤°à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£à¤œà¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उसके नाक और कान काट लिठगठताकि वह जा कर अपने à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ और उनकी सेना को शिकायत करे. कटी हà¥à¤ˆ नाक को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गोदावरी नदी के दूसरी तरफ फ़ेंक दिया था, जिसकी वजह से उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का नाम “नाशिक†पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†, जो आज à¤à¥€ चल रहा है. बाद में उस सेना का à¤à¥€ इन दोनों à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दलन किया गया. नाक-कान काटने की घटना को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करने के लिठवहां à¤à¤• “शूरà¥à¤ªà¤£à¤–ा मंदिर†की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की गयी है, जिसमें शीशे की दीवाल से à¤à¤¾à¤‚क कर लोग शूरà¥à¤ªà¤£à¤–ा-पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग देख सकते हैं.
शूरà¥à¤ªà¤£à¤–ा मंदिर का दृशà¥à¤¯
यह सारा परिसर शà¥à¤°à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£à¤œà¥€ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है. अतः वहाठà¤à¤• बड़े सà¤à¤¾-मंडप से सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ à¤à¤• “शà¥à¤°à¥€-लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ मंदिर†à¤à¥€ बना है. मातà¥à¤° लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£à¤œà¥€ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ शायद यह à¤à¤•मातà¥à¤° मंदिर होगा. माना जाता है कि शà¥à¤°à¥€à¤²à¤•à¥à¤·à¥à¤®à¤£ जी, धरती को अपने फनों पर धारण करने वाले शेषनाग, के अवतार थे. इसीलिठयहाठमंदिर में उनका विगà¥à¤°à¤¹ शेषनाग रà¥à¤ªà¥€ है. जाब हम वहां गठतो संधà¥à¤¯à¤¾-आरती का समय हो चà¥à¤•ा था. हमलोगों की खà¥à¤¶à¤¨à¤¸à¥€à¤¬à¥€ थी कि हम अचानक गठऔर आरती देखने का मौका मिला.
शà¥à¤°à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ विगà¥à¤°à¤¹
उस वक़à¥à¤¤ मंदिर-परिसर में विकास का कारà¥à¤¯ चल ही रहा था. मंदिर संसà¥à¤¥à¤¾ के लोग जगह-जगह दान की रसीद लिठलोगों से विकास के लिठदान का आगà¥à¤°à¤¹ कर रहे थे. परिसर में कई दà¥à¤•ानें à¤à¥€ थीं, जहाठपूजन सामगà¥à¤°à¥€ और धारà¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•ें इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ मिल रहे थे. इधर सारे दिन घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी करते-करते अब-तक हमारे पैरों में थकान और दरà¥à¤¦ शà¥à¤°à¥‚ हो चà¥à¤•ा था. तà¤à¥€ हमें à¤à¤• गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ दिखा, जिसके हाथों में सà¥à¤Ÿà¥€à¤² के बने कà¥à¤› कंटेनर थे. मà¥à¤à¥‡ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ और कौतà¥à¤¹à¤² हà¥à¤†. जब मैंने उसे रोक कर पूछा तो पता चला कि उन “कंटेनरों में कà¥à¤²à¥à¤«à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚†थीं. हम सब थके-मांदे तो थे ही, हमने बड़े शौक से कà¥à¤²à¥à¤«à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ खरीदीं और खाते-खाते परिसर के बाहर जाने लगे.
कंटेनरों में कà¥à¤²à¥à¤«à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚
बाहर आ कर मैंने पूछा कि गोदावरी नदी का तट कहाठहै, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि शूरà¥à¤ªà¤£à¤–ा का नाक गोदावरी के पार फेंका जो गया था. तो पता चला कि नदी का तट तो वहीठसे कà¥à¤› दूर की पैदल दूरी पर था. कà¥à¤²à¥à¤«à¥€ खाने से जो थोड़ी थकन मिटी थी, उसी के उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से हमलोग गोदावरी-तट पर जा पहà¥à¤‚चे. किनारे पर à¤à¤• बड़ा दà¥à¤µà¤¾à¤° बना हà¥à¤† था. à¤à¤• छोटा सा बाज़ार à¤à¥€ लगा था. घाट पकà¥à¤•ी सीढ़ियों वाले थे, जिनकी चौड़ाई पर कà¥à¤› उदà¥à¤¯à¤®à¥€ लोगों ने बैटरी से चलने वाली बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की कारें रखीं थीं, ताकि बचà¥à¤šà¥‡ उनमें बैठकर कार चलाने का आनंद ले सकें. पता चला कि वो “गोदावरी-कपिला संगम-सà¥à¤¥à¤²â€ है, जहाठगोदावरी नदी से कपिला नदी मिलती है.
गोदावरी-कपिला संगम सà¥à¤¥à¤²
संगम-सà¥à¤¥à¤² तक जाने के लिठपà¥à¤² बने हà¥à¤ थे, जिस पर चल कर हमलोग वहां गà¤. देख कर बहà¥à¤¤ दà¥à¤ƒà¤– हà¥à¤† की नदियों में पानी नहीं था और सूखी नदियों के पाट में केवल बड़ी-छोटी चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ दीख रहीं थीं. वैसे बाहरी वातावरण बड़ी खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ था, नदी के दोनों किनारों के बीच खड़े होने में à¤à¤• आनंद का अनà¥à¤à¤µ à¤à¥€ हो रहा था. सिरà¥à¤« जल का न होना, मन को कचोटता था. कà¥à¤› देर वही खड़े रह कर हमलोग कपिला नदी के किनारे गà¤, जिसमें अà¤à¥€ थोड़ा पानी था. वह किनारा थोड़ा खड़ा था, इसीलिठवहाठजाने के लिठपैरों को दबा कर चलना पड़ा.
कपिल तीरà¥à¤¥ पर शूरà¥à¤ªà¤£à¤–ा-पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग की मूरà¥à¤¤à¤¿
उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर à¤à¤• परà¥à¤£à¤•à¥à¤Ÿà¥€ बनी थी, जहाठà¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बैठकर आगंतà¥à¤•ों को वहां की महतà¥à¤¤à¤¾ बता रहा था. लोकोकà¥à¤¤à¤¿ है कि उसी सà¥à¤¥à¤² पर कपिल मà¥à¤¨à¤¿ का आशà¥à¤°à¤® था, इसीलिठउस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को “कपिल-तीरà¥à¤¥â€ à¤à¥€ कहा जाता है. कपिल-तीरà¥à¤¥ में कà¥à¤› मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ à¤à¥€ थीं, जिनमें पà¥à¤°à¤®à¥à¤– थी वह मूरà¥à¤¤à¤¿ जिसमें लकà¥à¤·à¤®à¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शूरà¥à¤ªà¤£à¤–ा के नाक काटा जाना अंकित था. उसी मूरà¥à¤¤à¤¿ के सामने तीन छोटे-छोटे कà¥à¤£à¥à¤¡ थे, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¤à¥€à¤°à¥à¤¥, विषà¥à¤£à¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤¥ और शिवतीरà¥à¤¥ कहा जाता है. यह तीनों तीरà¥à¤¥ जमीन के अनà¥à¤¦à¤°-ही-अनà¥à¤¦à¤° मिले हà¥à¤ हैं. और उनसे जल à¤à¤• अनà¥à¤¯ कà¥à¤£à¥à¤¡ में जाता है जिसका नाम अगà¥à¤¨à¤¿-कà¥à¤£à¥à¤¡ है. इस अगà¥à¤¨à¤¿-कà¥à¤£à¥à¤¡ की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® ने सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤®à¥ƒà¤— का शिकार पर जाने से पहले असली सीताजी को यहीं छिपा दिया था. जिस सीता की रावण दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हरण किया गया वोह तो à¤à¤• माया रूप था.
कपिल तीरà¥à¤¥ के कà¥à¤£à¥à¤¡
निसंदेह कपिल मà¥à¤¨à¤¿ और कपिला नदी की à¤à¥€ अपनी कोई कहानी होगी, जो मà¥à¤à¥‡ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ नहीं. पर कपिल तीरà¥à¤¥ में कà¥à¤› देर बिताने के बाद हमलोग संगम-सà¥à¤¥à¤² से बाहर आ गये. अब तक शाम à¤à¥€ काफ़ी ढल चà¥à¤•ी थी. अतः गाड़ी में बैठकर नाशिक शहर का मà¥à¤†à¤¯à¤¨à¤¾ करते हà¥à¤ हमलोग गेसà¥à¤Ÿ हाउस आ गà¤. à¤à¤¸à¥‡ में आधà¥à¤¨à¤¿à¤• नाशिक शहर आगरा-मà¥à¤‚बई उचà¥à¤š पथ के दोनों किनारे पर बसा पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता था. सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ शहरों के जैसा इस शहर के à¤à¥€ दो रूप हैं. आधà¥à¤¨à¤¿à¤• नाशिक, जिसमें मलà¥à¤Ÿà¥€à¤¸à¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥€ बिलà¥à¤¡à¤¿à¤‚गà¥à¤¸ तथा मालà¥à¤¸ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ की रंगीनियाठथीं, वाइन-यारà¥à¤¡ के चरà¥à¤šà¥‡ थे. साथ ही था गोदावरी-नदी की तट पर बसा पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ नाशिक जिसमें रामायण-काल से चले आ रहे धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² थे, जिससे रूबरू हो कर हम उस दिन वापस आये थे.