हम सहारनपà¥à¤° से गाज़ियाबाद, गाज़ियाबाद से नई दिलà¥à¤²à¥€ à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ और फिर à¤à¤• ननà¥à¤¹à¥‡à¤‚ से जहाज में उदयपà¥à¤° पहà¥à¤‚च कर होटल तक कैसे पहà¥à¤‚चे – यह विवरण आप पढ़ ही चà¥à¤•े होंगे। अब आगे !
शाम के छः बज रहे थे और हमारा महिलावरà¥à¤— ’सोलह सिंगार’ करके उदयपà¥à¤° à¤à¥à¤°à¤®à¤£ के लिये पूरी तरह तैयार था। रिसेपà¥à¤¶à¤¨ से इंटरकॉम पर संदेश आया कि डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° महोदय आ गये हैं और हम नीचे आ जायें। हम सब अपनी इंडिका टैकà¥à¤¸à¥€ में लद कर घूमने चल पड़े! टैकà¥à¤¸à¥€ से सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ में मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• दिकà¥à¤•त अनà¥à¤à¤µ होती है और वह ये कि हम जिस शहर में घूम रहे होते हैं, उसके à¤à¥‚गोल से काफी कà¥à¤› अपरिचित ही रह जाते हैं। किसी शहर को ठीक से समà¤à¤¨à¤¾ हो तो सà¥à¤Ÿà¥€à¤¯à¤°à¤¿à¤‚ग आपके हाथ में होना चाहिये तब आपको किसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का à¤à¥‚गोल समठमें आता है। अगर कहीं से मोटरसाइकिल या सà¥à¤•ूटर किराये पर मिल सके तो घूमने का सबसे बढ़िया और मजेदार तरीका वही है। परनà¥à¤¤à¥ हमने तो पांच दिनों के लिये टैकà¥à¤¸à¥€ कर ली थी और मेरी पतà¥à¤¨à¥€ सहित सà¤à¥€ सहयातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•ता सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤£ यातà¥à¤°à¤¾ थी जिसमें कार के शीशे बनà¥à¤¦ करके वातानà¥à¤•ूलित हवा खाना सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ था। à¤à¤¸à¥‡ में मैने तो हल ये निकाला था कि जहां à¤à¥€ मौका लगे, अकेले ही पैदल घूमने निकल पड़ो! घरवाले अगर होटल में आराम फरमाना चाहते हैं तो उनको होटल में ही रहने दो, अकेले ही घूमो मगर घूमो अवशà¥à¤¯ । असà¥à¤¤à¥!
पता नहीं, किधर – किधर को घà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥‡ फिराते हà¥à¤, और उदयपà¥à¤° की शान में कसीदे पढ़ते हà¥à¤ हमारे टैकà¥à¤¸à¥€ चालक हसीन महोदय ने जब टैकà¥à¤¸à¥€ रोकी तो पता चला कि हम सहेलियों की बाड़ी पर आ पहà¥à¤‚चे हैं। हसीन ने अपने यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये गाइड के रूप में सेवायें पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करना अपना पावन करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ मान लिया था अतः सहेलियों की बाड़ी के बारे में हमें बताया कि ये फतेह सागर लेक के किनारे पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• आमोद गृह है जहां महारानी अपनी 48 सखियों के साथ जल विहार और किलà¥à¤²à¥‹à¤² किया करती थीं । आज कल जैसे पति लोग अपनी पतà¥à¤¨à¥€ को à¤à¤• मीडिया फोन लाकर दे दिया करते हैं ताकि वह वीडियो गेम खेलती रहे और पति à¤à¥€ सà¥à¤•ून और शांति à¤à¤°à¥‡ कà¥à¤› पल घर में गà¥à¤œà¤¼à¤¾à¤° सके, कà¥à¤›-कà¥à¤› à¤à¤¸à¥‡ ही 18 वीं शताबà¥à¤¦à¥€ में उदयपà¥à¤° के महाराणा संगà¥à¤°à¤¾à¤® सिंह ने अपने घर को संगà¥à¤°à¤¾à¤® से बचाने के लिये अपनी महारानी और उनके साथ दहेज में आई हà¥à¤ˆ 48 यà¥à¤µà¤¾ परिचारिकाओं के मनोरंजन के लिये सहेलियों की बाड़ी बनवा कर दे दी थी। यह à¤à¤• विशाल बाग है जिसमें खूबसूरत फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ लगे हà¥à¤ हैं । फतेह सागर लेक इसकी जलापूरà¥à¤¤à¤¿ करती है। हम जब यहां पर पहà¥à¤‚चे तो सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ हो चà¥à¤•ा था। बाग में कृतà¥à¤°à¤¿à¤® पà¥à¤°à¤•ाश में हमें सहेलियों की बाड़ी का बहà¥à¤¤ विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने का मौका तो नहीं मिला पर कà¥à¤› बड़े खूबसूरत से फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ वहां चल रहे थे जिनके बारे में विशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से यानि विकीपीडिया से जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हà¥à¤† है कि ये फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ rain dance का आà¤à¤¾à¤¸ देने के लिये बाद में महाराणा à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² सिंह ने इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड से मंगवाये और यहां पर लगवाये थे।
सहेलियों की बाड़ी में इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड से मंगा कर लगवाये गये फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ !
मैं तो यही सोच कर परेशान हूं कि घर में à¤à¤• अदद पतà¥à¤¨à¥€ आती है तो कितना हलà¥à¤²à¤¾-गà¥à¤²à¥à¤²à¤¾ मचने लगता है। जिस महारानी के साथ 48 परिचारिकायें à¤à¥€ आई हों, उस महल में कितना शोर – शराबा होता होगा! अगर आपकी जेब में जनता की जेब से उगाहा हà¥à¤† à¤à¤°à¤ªà¥‚र पैसा हो तो à¤à¤¸à¥€ बाड़ियां बना देना शोरगà¥à¤² को कम करने का अति सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° उपाय है। पर उन 48 परिचारिकाओं के जीवन का कà¥à¤¯à¤¾? न उनके बलिदान का इतिहास में कहीं कोई ज़िकà¥à¤° है, न ही उनका कोई नाम है। शायद गरीबी ही उनके माता-पिता का à¤à¤•मातà¥à¤° दोष रहा होगा जो वह सब यà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ जीवन à¤à¤° à¤à¤• गà¥à¤®à¤¨à¤¾à¤® सेविका के रूप में रहने के लिये अà¤à¤¿à¤¶à¤ªà¥à¤¤ हो गईं जिनका कोई à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ हो ही नहीं सकता था। à¤à¤¸à¥‡ ही राजमहलों में राजà¥à¤¯ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ षडà¥à¤¯à¤‚तà¥à¤° फलते फूलते हैं।
सहेलियों की बाड़ी में चूंकि हम सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ के बाद पहà¥à¤‚चे थे अतः उसको बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ से नहीं देख पाये। विशेषकर फतेह सागर à¤à¥€à¤² वाली दिशा में तो हम संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ गये ही नहीं थे। बस, फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ और उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देख कर लौट आये। सà¥à¤¬à¤¹ सहारनपà¥à¤° से गाज़ियाबाद, गाज़ियाबाद से नई दिलà¥à¤²à¥€, नई दिलà¥à¤²à¥€ से उदयपà¥à¤° तक आते – आते हम थके हà¥à¤ à¤à¥€ थे अतः बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पैदल चलने में हमारी महिलायें असमरà¥à¤¥à¤¤à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करने लगीं तो हम पà¥à¤¨à¤ƒ गाड़ी में आ बैठे और हसीन महोदय से कहा कि à¤à¤¾à¤ˆ, अब तो खाना खाने चलना है और बस फिर होटल में आराम करेंगे। हसीन ने कहा “आज की आपकी शाम को यादगार बना देने की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ मेरी है।“ चलिये, मेरे साथ! वापस वंडर वà¥à¤¯à¥‚ पैलेस पहà¥à¤‚चे पर वहां रà¥à¤•े नहीं। दो ही कदम आगे अमà¥à¤¬à¤°à¤¾à¤ˆ रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट पर ले जा कर हसीन ने टैकà¥à¤¸à¥€ रोक दी और कहा कि आप यहां पर डिनर ले लीजिये और मà¥à¤à¥‡ बताइये कि सà¥à¤¬à¤¹ का कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® है। हमने यह तय किया था कि अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ हम माउंट आबू के लिये पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ करेंगे और à¤à¤• या दो रात वहीं पर रà¥à¤•ेंगे और फिर वापस उदयपà¥à¤° ही आ जायेंगे। टैकà¥à¤¸à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ ठीक 7 बजे होटल के दरवाज़े पर खड़ी मिलेगी, यह वायदा कर हसीन हमें अंबराई में डायनिंग à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ तक छोड़ कर चला गया। अंबराई से हमारे होटल तक का रासà¥à¤¤à¤¾ मà¥à¤¶à¥à¤•िल से 20-30 कदम का ही था अतः पैदल आने में कोई समसà¥à¤¯à¤¾ थी ही नहीं !
आमेट हवेली अंबराई रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट से सिटी पैलेस का मनमोहक दृशà¥à¤¯
अंबराई रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट में परंपरागत शैली में संगीत शोर नहीं मचाता, रूमानी वातावरण की सृषà¥à¤Ÿà¤¿ करता है।
जिस संकरी सड़क पर हमारा होटल था, वह सड़क पिछोला à¤à¥€à¤² पर आकर समापà¥à¤¤ हो जाती थी और उस सड़क पर अंतिम बिलà¥à¤¡à¤¿à¤‚ग यह अंबराई रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट ही था। आप सहज ही कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ कर सकते हैं कि वहां से à¤à¥€à¤² का नज़ारा कितना दिलकश होगा। अंबराई में हम जहां à¤à¥‹à¤œà¤¨ हेतॠपहà¥à¤‚चे, वह वासà¥à¤¤à¤µ में à¤à¤• लॉन था (या हो सकता है कि वह कोई टैरेस रही हो और उसके नीचे à¤à¥€ कà¥à¤› कमरे हों! धीमा – धीमा पà¥à¤°à¤•ाश, संगीत की मधà¥à¤° सà¥à¤µà¤° लहरी वातावरण को बड़ा रूमानी बनाये हà¥à¤ थी। संगीत के लिये à¤à¥€ डी.जे. नहीं, बलà¥à¤•ि दो कलाकार फरà¥à¤¶ पर बैठे थे जिनमें से à¤à¤• के पास सारंगी या वायलिन जैसा यंतà¥à¤° था और दूसरे के पास संगत करने के लिये तबला ! कोई माइक या लाउड सà¥à¤ªà¥€à¤•र à¤à¥€ नहीं था। à¤à¤• खाली मेज़ पर हम चारों पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने आसन जमाया और मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ से आस-पास का नज़ारा देखने लगे! हम दो मिनट में ही यह à¤à¥‚ल गये कि हम कहां पर हैं, कौन सा साल और कौन सा महीना चल रहा है। देश – काल – समय की सीमाओं से परे मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ कर रहे उस वातावरण में मेरे ठीक सामने लेक पिछोला थी जिसमें सिटी पैलेस की और उदयपà¥à¤° शहर के à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ की परछाइयां à¤à¤¿à¤²à¤®à¤¿à¤²à¤¾ रही थीं, मधà¥à¤° करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯ संगीत कानों में रस घोल रहा था। हमारी तंदà¥à¤°à¤¾ तब टूटी जब à¤à¤• वेटर ने बड़े अदब से सामने आकर हमसे जानना चाहा कि हम कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥‹à¤œà¤¨ पसनà¥à¤¦ करेंगे। न तो उसने तूफान मेल की गति से सबà¥à¤œà¤¼à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के नाम गिनाये और न ही हमारे सामने मैनà¥à¤¯à¥‚ कारà¥à¤¡ पटका। उसने हमें हमारा मैनà¥à¤¯à¥‚ तय करने में हमारी सहायता की। à¤à¤• और बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बात ये कि उसने यह à¤à¥€ पूछा कि हम मिरà¥à¤š- मसाला हलà¥à¤•ा पसंद करेंगे या तेज़। अंबराई में जितने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मेहमान थे, उससे à¤à¥€ अधिक अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼ नज़र आरहे थे। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼à¥‹à¤‚ के बारे में सà¥à¤¨à¤¾ है कि वह मिरà¥à¤š नहीं à¤à¥‡à¤² पाते हैं। à¤à¤¸à¥‡ में उनका खाना उबला हà¥à¤† जैसा ही होता है जो हम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ को मरीज़ों का खाना पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। ऑरà¥à¤¡à¤° लेकर, दो कदम पीछे हट कर सिर नवा कर, वेटर महोदय वहां से रà¥à¤–सत हो गये। उस वातावरण में हम इतने तलà¥à¤²à¥€à¤¨ हो गये थे कि हमें à¤à¥‹à¤œà¤¨ की कोई जलà¥à¤¦à¥€ नहीं थी। काफी दूर दूर पर मेज़ सजाई गई थीं ताकि हमें अनà¥à¤¯ लोग दिखाई तो देते रहें पर न तो उनकी बातचीत हमारी बातचीत में वà¥à¤¯à¤µà¤§à¤¾à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करे और न ही हमारी बातचीत उनको खले ! à¤à¤• दूसरे ने कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ आरà¥à¤¡à¤° किया है, यह à¤à¥€ पता नहीं चल पा रहा था। वहां जितने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ परिवार थे, उससे कहीं जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ विदेशी यà¥à¤—ल नज़र आ रहे थे।
पता नहीं उस मनमोहक वातावरण का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ था या खाना वासà¥à¤¤à¤µ में ही बहà¥à¤¤ सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ था। खाना खा कर, हम अपने हसीन डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° के गà¥à¤£ गाते हà¥à¤ और खà¥à¤¦ को नवाब जैसा महसूस करते हà¥à¤ सड़क के धीमे – धीमे पà¥à¤°à¤•ाश में पैदल चल कर अपने होटल में आ पहà¥à¤‚चे। मेरा तो सोने का मन कर ही नहीं रहा था, घंटों अपना कैमरा लिये पहले बाहर बरामदे में और फिर कमरे में बनाई गई सà¥à¤ªà¥‡à¤¶à¤² बालकनी में बैठा रहा। बेग़म को बालकनी में आने के लिये आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया पर उनको मेरे इरादे कà¥à¤› खतरनाक से लगे सो मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ शांति से सो जाने का निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ देकर वह मà¥à¤‚ह फेर कर सो गईं। मैं à¤à¥€à¤² में à¤à¤¿à¤²à¤®à¤¿à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ उदयपà¥à¤° को देखता रहा। उदयपà¥à¤° को City of Lakes कहा जाता है। बहà¥à¤¤ लोग इसे Venice of the East à¤à¥€ कहते हैं।
शायद ये उदयपà¥à¤° का उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ ही रहा होगा कि देर से सोने के बावजूद सà¥à¤¬à¤¹ सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ होने से पहले ही आंख खà¥à¤² गई तो मैं अपना कैमरा लेकर फिर आहिसà¥à¤¤à¤¾ से बाहर निकल आया। कमरे से बाहर बरामदे में आते ही मेरी निगाह पड़ी à¤à¤• अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼ यà¥à¤µà¤¤à¥€ पर जो हमारे कमरे के बाहर, मेरी ही तरह पौ फटने से पहले उदयपà¥à¤° की खूबसूरती अपने कैमरे में सहेज रही थी। हम दोनों में अनà¥à¤¤à¤° था तो सिरà¥à¤« इतना कि वह सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ से पूरà¥à¤µ की फोटो खींचने के अति – उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ में बहà¥à¤¤ संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में ही अपने कमरे से बाहर निकल आई थी। उसे शायद à¤à¤¸à¥€ आशा नहीं रही होगी कि इतनी सà¥à¤¬à¤¹-सà¥à¤¬à¤¹ बरामदे में और कोई à¤à¥€ आ जायेगा। मà¥à¤à¥‡ देख कर वह सिटपिटा सी गई और à¤à¤• फोटो à¤à¥€à¤² की और खींच कर तà¥à¤°à¤‚त अपने कमरे में चली गई! उसके जाने के बाद मेरे लिये मैदान साफ था अतः à¤à¥€à¤² की कà¥à¤› फोटो मैने à¤à¥€ लीं! आकाश में सूरà¥à¤¯ देवता का आगमन अà¤à¥€ à¤à¥€ नहीं हà¥à¤† था। मà¥à¤à¥‡ लगा कि होटल की टैरेस पर जाकर à¤à¥€ देखना चाहिये कि वहां से उदयपà¥à¤° का कौन – कौन सा हिसà¥à¤¸à¤¾ दिखाई देता है। ऊपर गया तो बिलà¥à¤•à¥à¤² सामने ही लेक पैलेस देख कर धकà¥à¤• से रह गया। सिटी पैलेस के लिये तो लेक पिछोला के उस पार जाने की जरूरत थी पर लेक पैलेस तो लेक के मधà¥à¤¯ में ही उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ था। जैसा कि मैने विकीपीडिया में पढ़ा था, लेक पैलेस का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• नाम जग-निवास है जिसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ 1743 – 1746 के दौरान महाराणा जगत सिंह के आदेश पर हà¥à¤† था। पिछोला à¤à¥€à¤² में लगà¤à¤— चार à¤à¤•ड़ यानि, 16,000 वरà¥à¤— मीटर आकार के पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक दà¥à¤µà¥€à¤ª पर निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ इस बेपनाह खूबसूरत महल को अब पांच सितारा होटल के रूप में विशà¥à¤µ à¤à¤° में खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है और इसे most romantic hotel in India के रूप में चयनित किया गया है। महाराणा जगत सिंह मेवाड़ के राज घराने के 62वें वंशज थे और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 1628 से लेकर 1654 के दौरान राजà¥à¤¯ किया था। विकी पीडिया यह à¤à¥€ बताता है कि 1857 के पà¥à¤°à¤¥à¤® सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® में अगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼ परिवारों को यहां के ततà¥à¤•ालीन महाराणा ने लेक पैलेस में शरण दी थी और à¤à¥€à¤² में मौजूद सà¤à¥€ नावों को जला दिया गया था ताकि कोई जग-निवास तक न पहà¥à¤‚च सके। लेक पैलेस को हम लोग केवल दूर – दूर से ही देख कर संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ हो लिये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मेरे अतिरिकà¥à¤¤ बाकी तीनों पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का विचार था कि इसे देखने के लिये जो टिकट रखा गया है, वह बहà¥à¤¤ महंगा है।

- होटल की छत पर सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ के समय सूरà¥à¤¯ नमसà¥à¤•ार !
खैर ! होटल की छत पर मैं इधर – उधर घूमता फिरता रहा । मेरे à¤à¤• ओर लेक पिछोला थी जिसके तट पर सिटी पैलेस, जगदीश मंदिर और उदयपà¥à¤° के सैंकड़ों अनà¥à¤¯ à¤à¤µà¤¨ दिखाई दे रहे थे तो दूसरी ओर काफी दूरी पर à¤à¤• और à¤à¥€à¤² नज़र आ रही थी जो शायद फतेहसागर à¤à¥€à¤² थी। सिटी पैलेस के आगे पहाड़ियों पर à¤à¥€ à¤à¤• मंदिर जैसा कà¥à¤› नज़र आ रहा था।
हमारे होटल की छत से दिखाई दे रहा à¤à¤• अनà¥à¤¯ पांच सितारा होटल – “उदय कोठी”
लेक पिछोला के ऊपर बना à¤à¤• पà¥à¤² – बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¥€ पोल जिस पर से होकर पैदल बागौर हवेली, जगदीश मंदिर आदि जा सकते हैं।
आकाश में सूरà¥à¤¯ देवता का आगमन हो गया तो १३ सूरà¥à¤¯ नमसà¥à¤•ार करके मैं साढ़े छः बजे नीचे कमरे में आ गया। मà¥à¤à¥‡ लगा कि अà¤à¥€ तो इन लोगों को तैयार होने में कम से कम à¤à¤• घंटा और लगेगा अतः मैं कैमरा उठा कर होटल से बाहर आ गया और पैदल ही, लेक पर देखाई दे रहे गोलाकार पà¥à¤² की ओर चल पड़ा जो मà¥à¤à¥‡ होटल के कमरे और छत से दिखाई दे रहा था। किसी à¤à¥€ शहर को, वहां के निवासियों के जीवन को समà¤à¤¨à¥‡ के लिये पैदल घूमना अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ आवशà¥à¤¯à¤• होता है। गोलाकार पà¥à¤² पार करके देखा कि दाईं ओर, à¤à¥€à¤² के तट पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ घाट बना हà¥à¤† है जहां पर पचास साठमहिलाà¤à¤‚ कपड़े धो रही थीं। ढेर सारे कबूतर वहां घाट पर विचरण कर रहे थे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि लोग सà¥à¤¬à¤¹ – सà¥à¤¬à¤¹ उनके लिये दाने बिखेर जाते हैं। लेक के इस तट पर आकर अपने होटल को पहचानने की कोशिश की । मà¥à¤à¥‡ न सिरà¥à¤« अपनी बालकनी दिखाई दी, बलà¥à¤•ि हमारे होटल के बगल में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ लेक पिछोला होटल और अंबराई रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट, जग मंदिर, जग निवास आदि सà¤à¥€ कà¥à¤› सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ की गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¥€ धूप में बड़े पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ से लग रहे थे। अगर जयपà¥à¤° पिंक सिटी है, जोधपà¥à¤° बà¥à¤²à¥‚ सिटी है तो उदयपà¥à¤° निसà¥à¤¸à¤‚देह वà¥à¤¹à¤¾à¤‡à¤Ÿ सिटी है।
बागौर हवेली के पास सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ घाट से दिखाई दे रहा हमारा होटल व अनà¥à¤¯ होटल
और आगे बढ़ा तो दायें हाथ पर à¤à¤• à¤à¥€à¤® काय दरवाज़ा और उसके à¤à¥€à¤¤à¤° सामने à¤à¤• और हवेली दिखाई दी। यह बागौर हवेली थी। à¤à¤• हलà¥à¤•ी सी निगाह मार कर आगे बढ़ा तो जगदीश मंदिर आ पहà¥à¤‚चा।
अब मà¥à¤à¥‡ चिंता होने लगी थी कि होटल में मेरी पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ हो रही होगी और ये तीनों ही मà¥à¤‚ह फà¥à¤²à¤¾à¤¯à¥‡ बैठे होंगे कि मैं न जाने कहां – कहां आवारागरà¥à¤¦à¥€ करता घूम रहा हूं ! तेज कदमों से वापस लौटा! à¤à¤• दà¥à¤•ान पर गरà¥à¤®à¤¾à¤—रà¥à¤® पोहा बन रहा था तो खà¥à¤¦ खाया और अपने परिवार वालों के लिये à¤à¥€ पैक कराया। जलेबी à¤à¥€ ले लीं। होटल में पहà¥à¤‚चा तो उसी à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• बरामदे में ये तीनों बैठे हà¥à¤ चाय और परांठे पेल रहे थे। मैने जलेबी और पोहा à¤à¥€ उनके सामने रख दिये। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी बोलीं, “आप फटाफट दस मिनट में तैयार हो जाइये। हसीन का फोन आ गया है, वह पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ मिनट में आ रहा है।“ फिर निकलते हैं। साढ़े सात बजे तक हम सब इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में आ गये कि माउंट आबू की यातà¥à¤°à¤¾ पर निकल सकें!