लाचà¥à¤‚ग से यूमथांग घाटी मातà¥à¤° पचà¥à¤šà¥€à¤¸ किमी दूर है। लाचà¥à¤‚ग की उस अनोखी सà¥à¤¬à¤¹ का रसासà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¨ कर जब हम यूमथांग की ओर निकले,सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥€ धूप हमारे रासà¥à¤¤à¥‡ में अपनी चमक बिखेर रही थी। जैसा कि इस शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला की पिछली पोसà¥à¤Ÿ में आपको बताया था यूमथांग घाटी को à¤à¥€ ‘फूलों की घाटी’ के नाम से पà¥à¤•ारा जाता है। दरअसल ये घाटी रोडोडेनà¥à¤¡à¥à¤°à¥‹à¤¨à¥à¤¸ की 24 अलग अलग पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये मशहूर है। यूमथांग के पास पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हमें रोडोडेनà¥à¤¡à¥à¤°à¥‹à¤¨à¥à¤¸ के जंगल दिखने शà¥à¤°à¥‚ हो गये थे । मारà¥à¤š अपà¥à¤°à¥ˆà¤² से इनके पौधों में कलियाठलगने लगती हैं। पर पूरी तरह से ये खिलते हैं मई महिने में, जब पूरी घाटी इनके लाल और गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€ रंगों से रंग जाती है। खैर हमें ये दृशà¥à¤¯ नसीब नहीं हà¥à¤† कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम वहाठअपà¥à¤°à¥ˆà¤² के दूसरे सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में ही टपक गठथे।
पर रोडोडेनà¥à¤¡à¥à¤°à¥‹à¤¨à¥à¤¸ à¤à¤²à¥‡ अà¤à¥€ पूरे नहीं खिले थे पर इन बैंगनी रंग के फूलों से तो यूमथांग जाती सड़क के दोनों किनारे अटे पड़े थे।
वैसे लौटते वकà¥à¤¤ à¤à¤• जगह हमें रोडोडेनà¥à¤¡à¥à¤°à¥‹à¤¨à¥à¤¸ का ये नज़ारा जरूर दिखा
चूंकि ये घाटी 12000 फीट की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है यहाठगà¥à¤°à¥‚डांगमार की तरह हरियाली की कोई कमी नहीं थी। कमी थी तो बस आसमान की उस नीली छत की जो सà¥à¤¬à¤¹ में दिखने के बाद यहाठपहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही गायब हो गई थी। पहाड़ों में बस यही दिकà¥à¤•त है। अगर नीली छतरी का साथ ना हो तो पà¥à¤°à¤•ृति का सारा नैसरà¥à¤—िक सौंदरà¥à¤¯ फीका पड़ जाता है।
घाटी के बीच पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ पे उछलती कूदती नदी बह रही है। जाड़े में ये पतà¥à¤¥à¤° बरà¥à¤« के अंदर दब जाते हैं। इन गोल मटोल पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ के ढ़ेर के साथ साथ हम सब काफी देर तक चलते रहे।
नदी के किनारे किनारे का इलाका सपाट था और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिठधमाचौकड़ी मचाने का अचà¥à¤›à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¥€à¥¤ पहले तो नदी में पतà¥à¤¥à¤° फेंकने का सिलसिला चला कि कौन कितनी दूर तक पानी में छपाका कर सकता है। उससे फà¥à¤°à¥à¤¸à¤¤ मिली तो इन समतल मैदानों में लोटने का आनंद पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया गया।
किसी ने कहा रात में बारिश हà¥à¤ˆ है तो साथ में बरà¥à¤« à¤à¥€ गिरी होगी। फिर कà¥à¤¯à¤¾ था नदी का पाट छोड़ हम किनारे पर दिख रहे वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की à¤à¥à¤°à¤®à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ की ओर चल पड़े। पेड़ों के बीच हमें बरà¥à¤« गिरी दिख ही गयी और ये जनाब तो इस तरह उस के पीछे लपके जैसे सारी à¤à¤•साथ ही खा लेंगे। अब इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾ पता था कि अगले दिन ही सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•रà¥à¤¤à¤¾ इतनी बरà¥à¤« दिखाने वाले हैं जितनी हमने जिंदगी में ना देखी होगी।
पास में ही à¤à¤• सलà¥à¤«à¤° यà¥à¤•à¥à¤¤ पानी का सà¥à¤°à¥‹à¤¤ था पर वहाठतक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के लिये इस पहाड़ी नदी यानि यहाठकी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में कहें तो लाचà¥à¤‚ग चू को पार करना था। वहीं से इस ठà¥à¤®à¤•ती चू को कैमरे से छू लिया । गरà¥à¤® पानी का सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ कर हम वापस लाचà¥à¤‚ग लौट चले।
à¤à¥‹à¤œà¤¨ के बाद वापस गंगतोक की राह पकड़नी थी। जो लोग यूमथांग से ही बिना गà¥à¤°à¥à¤¡à¤¾à¤‚गमार गठहà¥à¤ वापस गंगतोक लौट जाते हैं वे लाचà¥à¤‚ग से जीरो पà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤‚ट की यातà¥à¤°à¤¾ अवशà¥à¤¯ करते हैं। लगà¤à¤— पाà¤à¤š हजार मीटर पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ इस बिनà¥à¤¦à¥ पर जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ मातà¥à¤° à¤à¤• घंटे का है पर इस घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° रासà¥à¤¤à¥‡ से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¥‡ में ये समय और लंबा लगता है। हम चूंकि पिछले ही दिन लाचेन से गà¥à¤°à¥à¤¡à¤¾à¤‚गमार और फिर वापस लाचà¥à¤‚ग की यातà¥à¤°à¤¾ कर के लौटे थे इसलिठहमने जीरो पà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤‚ट पर जाने की बजाठगंगतोक लौटने से पहले थोड़ा आराम करने का निशà¥à¤šà¤¯ किया।
लाचà¥à¤‚ग के अपने पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ से जब हम सब निकल रहे थे तो सामने लकड़ी का बना ये घर दिखा। लकड़ी के वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ गठà¥à¤ र, हरी दूब, पीछे पहाड़ ! सामने दिखती उस खिड़की से हर रोज़ ये दृशà¥à¤¯ देखने वाला कितना खà¥à¤¶à¤¨à¤¸à¥€à¤¬ होगा ना? आज à¤à¥€ जब मैं सिकà¥à¤•िम यातà¥à¤°à¤¾ के à¤à¤²à¤¬à¤®à¥‹à¤‚ के बीच से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¤¾ हूठतो इस चितà¥à¤° पर नज़रें ठिठक जाती हैं और मन में किशोर दा का ये गीत उà¤à¤°à¤¨à¥‡ लगता है छोटा सा घर होगा बादलों की छाà¤à¤µ में..आशा दीवानी मन में बाà¤à¤¸à¥à¤°à¥€ बजाà¤
उतà¥à¤¤à¤°à¥€ सिकà¥à¤•िम के इस पूरे सफ़र में हमें जगह जगह ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ से गिरते जलपà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ नज़र आà¤à¥¤ बारिश के चलते तो कई बार इन खूबसूरत à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ को हम पास से देखने से वंचित रह गठपर जब à¤à¥€ मौका मिला हमने फोटो सेशन का कोई मौका नहीं छोड़ा।
à¤à¥‹à¤œà¤¨ के बाद वापस गंगतोक की राह पकड़नी थी। गंगतोक के रासà¥à¤¤à¥‡ में तीसà¥à¤¤à¤¾ घाटी की अंतिम à¤à¤²à¤• पाने के लिये हम गाड़ी से उतरे। काफी ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ से ली गयी इस तसवीर में घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के जाल के साथ नीचे बहती हà¥à¤ˆ तीसà¥à¤¤à¤¾ को आप देख सकते हैं। तीसà¥à¤¤à¤¾ से ये इस सफर की आखिरी मà¥à¤²à¤¾à¤•ात तो नहीं पर उसकी अंतिम तसवीर ये जरà¥à¤° थी। सांठà¥à¤²à¤¤à¥‡ à¥à¤²à¤¤à¥‡ हम गंगतोक में कदम रख चà¥à¤•े थे।
अपना अगला दिन नाम था सिकà¥à¤•िम के सबसे लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ पड़ाव के लिये जहाठपà¥à¤°à¤•ृति अपने à¤à¤• अलग रूप में हमारी पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ कर रही थी। कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ था उस रूप में ये जानते हैं अगले à¤à¤¾à¤— में ….