हम रात को सोठनहीं थे कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि ऑफिस की शिफà¥à¤Ÿ की आदत पड़ी हà¥à¤ˆ थी। रात à¤à¤° हम चेक पोसà¥à¤Ÿ वाले से आगे निकलने के लिठनिवेदन करते रहे पर उसने à¤à¤• ना मानी। उसके मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• अगर वो हमे आगे जाने à¤à¥€ देता तो अगली चेक पोसà¥à¤Ÿ हमे रà¥à¤•ना ही पड़ता। सिगरेट और चाय पीते-पीते सà¥à¤¬à¤¹ के 04:30 बजे बैरियर खà¥à¤² गà¤à¥¤ यहाठसे राहà¥à¤² ने गाड़ी की कमान संà¤à¤¾à¤² ली। हà¥à¤œà¤¼à¥‡à¤«à¤¾ को पहाड़ों मे चलाने का अनà¥à¤à¤µ नहीं था। गौरव और मैं पिछली सीट पर थे। हम दोनों मसà¥à¤¤à¥€ से सो गà¤à¥¤ राहà¥à¤² ने गाड़ी हिला-डà¥à¤²à¤¾ बहà¥à¤¤ कोशिश की पर हम नहीं उठे। हमारी ऑफिस की शिफà¥à¤Ÿ ही कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ थी की घर पर à¤à¥€ होते तो सà¥à¤¬à¤¹ ही जाकर सोते थे। हमे सोता देख राहà¥à¤² को इरà¥à¤·à¤¾ हो रही थी। पर गाड़ी चलाना उसकी मजबूरी थी।
नॉà¤à¤¡à¤¾ से मे हाफ बाजॠकी टी-शरà¥à¤Ÿ मे चला था लेकिन पहाड़ो पर पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही कà¥à¤¯à¤¾ हाल हो गया था। नीचे लगी फोटो मे खà¥à¤¦ ही देख लीजिà¤à¥¤
इतनी गहरी नींद की RayBan उतारने का à¤à¥€ टाइम नहीं मिला।
मैं सारे रासà¥à¤¤à¥‡ सोता ही रहा। बाकी लोगों ने मà¥à¤à¥‡ जगाया की नाशà¥à¤¤à¤¾ करना है उठजा। उठने पर पता चला की हम रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤š गठथे। यहीं से केदारनाथ और बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ अलग हो जाता है। फोटो मे लाल संकेत से दिखाई हà¥à¤ˆ दà¥à¤•ान मे हम लोगों से नाशà¥à¤¤à¤¾ किया। मैंने à¤à¤• आलू का परांठा और दो हाफ फà¥à¤°à¤¾à¤ˆ अंडे निपटा डाले। बिना फà¥à¤°à¥‡à¤¶ हà¥à¤ इतना पेल जाना à¤à¥€ बहà¥à¤¤ था।
रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— के मेन बाज़ार बाज़ार मे लगा साइन बोरà¥à¤¡à¥¤
यहाठसे हम लोग केदारनाथ वाली सड़क पर आगे निकल पड़े। इसी सड़क पर हमे उखीमठसे दाà¤à¤ ओर चोपता के लिठजाना था। हमने रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पर बनी सà¥à¤°à¤‚ग पार करी और उखीमठकी ओर निकल पड़े। à¤à¤•-आद जगह पर सड़क ख़राब थी इसके अलावा रासà¥à¤¤à¤¾ पूरा साफ़ था।
उखीमठसे चोपता करीब 40km है। इस सड़क पर टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• कम ही मिलता है। रासà¥à¤¤à¥‡ मे बहà¥à¤¤ से गाà¤à¤µ आते है। चोपता जाते वक़à¥à¤¤ सड़क संकरी हो जाती है लेकिन पà¥à¤°à¤¾à¤•रà¥à¤¤à¤¿à¤• खूबसूरती बढ़ जाती है।
चोपता की ओर बढ़ते हà¥à¤à¥¤ पतली सड़क और घने जंगल।
सà¥à¤¬à¤¹ 11 बजे हम लोग चोपता पहà¥à¤à¤š गठथे। यहाठपर 2-3 खाने-पीने की दà¥à¤•ाने हैं और रात गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¨à¥‡ के लिठकमरे बने हà¥à¤ हैं। यहीं पर à¤à¤• दà¥à¤µà¤¾à¤° है जो की तà¥à¤‚गनाथ जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ है। यहीं à¤à¤• दà¥à¤•ान मे जाकर हमने à¤à¤• कमरा ले लिया उसके अंदर à¤à¤• डबल-बेड और à¤à¤• सिंगल-बेड लगा हà¥à¤† था जो की हम चार लोगों के सोने के लिठअति-उतà¥à¤¤à¤® था। हमने कमरा ले लिया और दà¥à¤•ान वाले से आठआलू के पराà¤à¤ े à¤à¥€ बनवा लिà¤à¥¤ मैंने टी-शरà¥à¤Ÿ उतारकर फà¥à¤² बाजू की शरà¥à¤Ÿ पहन ली और ऊपर से जैकेट à¤à¥€ डाल ली। मैंने अपना कंबल à¤à¥€ ले लिया। कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि हम शाम तक ही लौटने वाले थे। आपस मे सलाह-मशौरा करने के बाद राहà¥à¤² और मैं फिर से दà¥à¤•ान वाले के पास गठऔर रात को चिकन बनाने की पेशकश की। दà¥à¤•ान वाले ने कहा यहाठतो नहीं मिलेगा आप उखीमठसे ले आओ। हमने कहा नीचे कौन जाà¤à¤—ा छोड़ो अंडा करी ही बना देना। कà¥à¤› सेकंड रà¥à¤•ने के बाद वो बोला कि आप पैसे दे दो, मैं फ़ोन करके पता करता हूठअगर कोई गाड़ी ऊपर आ रही होगी तो मैं मà¤à¤—वा लूà¤à¤—ा बाकि आपकी किसà¥à¤®à¤¤à¥¤
हमने दà¥à¤•ान वाले को पैसे दिà¤, आठआलू के पराà¤à¤ े और तà¥à¤‚गनाथ की ओर निकल पड़े। धà¥à¤ª अचà¥à¤›à¥€ निकली हà¥à¤ˆ थी और अà¤à¥€ ठंड का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ रतà¥à¤¤à¥€ à¤à¤° à¤à¥€ नहीं हो रहा था।
फोटो मे जो नीला गेट दिख रहा है वहीठसे तà¥à¤‚गनाथ की पैदल यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ होती है।
हà¥à¤œà¤¼à¥‡à¤«à¤¾ बैग सà¤à¤à¤¾à¤²à¤¤à¥‡ हà¥à¤ और मैं हाà¤à¤«à¤¤à¥‡ हà¥à¤à¥¤
हमे चले हà¥à¤ आधा घंटा हो गया था। हमारे सामने बहà¥à¤¤ बड़ा खाली मैदान था इसे बà¥à¤—à¥à¤¯à¤¾à¤² कहते हैं। इस जगह से पà¥à¤°à¤¾à¤•रà¥à¤¤à¤¿à¤• सोनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ देखते ही बनता था।
तà¤à¥€ राहà¥à¤² को à¤à¤• शरारत सूà¤à¥€ और अपने हिसाब से हमे लाइन मे बिठा कर फोटो लेने लगा। जब हम लोग वापस आठतो उसने नीचे लगी फोटो को फेसबà¥à¤• पर अपलोड किया और उसपर कमेंट किया “Different Stages of Hair Fall”, logically उसका ये कमेंट बिलकà¥à¤² सही था। नीचे लगी फोटो मे आप लोग à¤à¥€ देख लीजिà¤à¥¤
अब हम फिर से टà¥à¤°à¥‡à¤• करते हà¥à¤ तà¥à¤‚गनाथ की और चल दिà¤à¥¤ 10-15 मिनट बाद आगे का नज़ारा ही बदला हà¥à¤† था। आगे पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ मे बरà¥à¤« की चादर सी बिछी हà¥à¤ˆ थी। हà¥à¤œà¤¼à¥‡à¤«à¤¾ और गौरव बहà¥à¤¤ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ हो गठथे। ये दोनों पतà¥à¤¥à¤° के बने टà¥à¤°à¥‡à¤• को छोड़ पहाड़ के रासà¥à¤¤à¥‡ चलने लगे ताकि बरà¥à¤« का à¤à¥€ मज़ा ले सके। राहà¥à¤² और मैंने à¤à¤¸à¤¾ नहीं किया कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि à¤à¤¸à¤¾ करने से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€ लगती है जिससे जलà¥à¤¦à¥€ थकान हो जाती है। सही कहूठतो मैं तो थकने लगा था नहीं तो मैं à¤à¥€ उनके साथ मज़ा करता। à¤à¤• बार मैंने जाना à¤à¥€ चाहा लेकिन राहà¥à¤² बोला कि जरूरत नहीं है आगे और जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पड़ी होगी। वहीठपर मसà¥à¤¤à¥€ कर लेना। राहà¥à¤² की बात बिलकà¥à¤² सही थी हमे अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होने से पहले ही वापस आना था इसलिठरासà¥à¤¤à¥‡ मे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ टाइम बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ करने मे कोई समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ नहीं थी। ऊपर से ये इलाका जंगलात संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ छेतà¥à¤° मे आता है। रात होने पर जंगली जानवर का à¤à¥€ डर था। मैं आपको वही बता रहा हूठजैसा हमे दà¥à¤•ानदार ने बताया था।
हà¥à¤œà¤¼à¥‡à¤«à¤¾ और गौरव सीधा रासà¥à¤¤à¤¾ छोड़ कर टेढ़े रासà¥à¤¤à¥‡ पर।
शौक पूरा होने पर या कह सकते हैं कि थक जाने के बाद ये लोग à¤à¥€ सीधे रासà¥à¤¤à¥‡ चलने लगे।जैसे जैसे हम लोग आगे बढ़ते रहे बरà¥à¤« की चादर और मोटी होने लगी थी। अब टà¥à¤°à¥‡à¤• करने वाले रासà¥à¤¤à¥‡ मे à¤à¥€ संà¤à¤² के चलना पड़ रहा था। à¤à¤• जगह पर तो टà¥à¤°à¥‡à¤• का रासà¥à¤¤à¤¾ पूरी तरह से ढेह गया था। रासà¥à¤¤à¥‡ मे पतà¥à¤¥à¤° से बनी 2-3 à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥€ दिखीं, à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥€ के आस-पास और अंदर à¤à¤¾à¤à¤•ने से पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रहा था की ये दà¥à¤•ाने थी। सीजन का टाइम नहीं था इसलिठये लोग अब वापस उखीमठचले गठथे। चोपता पर à¤à¥€ दà¥à¤•ानदारों का यही कहना था कि वे लोग à¤à¥€ 10-15 दिन के बाद बरà¥à¤« गिरने की वजह से नीचे उखीमठया फिर अपने-अपने गाà¤à¤µ वापस चले जाà¤à¤à¤—े। कहने का मतलब ये था की बरà¥à¤« गिरने के बाद यहाठकोई नहीं आà¤à¤—ा और ये सब à¤à¥€ अपना सामान समेट अपने घर को चल देंगे।
नीचे लगी फोटो मे à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥€ के दरवाजे पर “जय तà¥à¤‚गनाथ” लिखा हà¥à¤† था तो à¤à¤• फोटो खिचवा लिया। सोच के टेंशन à¤à¥€ हो रहा था कि यह तà¥à¤‚गनाथ का मंदिर है कà¥à¤¯à¤¾? इसी को देखने के लिठयहाठतक आये थे? ऊपर से तà¥à¤‚गनाथ के कपाट सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ मे बंद हो जाते हैं और इस à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥€ का दरवाज़ा à¤à¥€ बंद था।
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मैं: अबे ये है कà¥à¤¯à¤¾?
राहà¥à¤²: हाठयही तो है, देख नहीं रहा कपाट बंद हैं।
मैं: 2-3 अचà¥à¤›à¥€ गाली देने के बाद। इसीलिठयहाठतक आठथे। दम निकल गया चलते-चलते। अà¤à¥€ नीचे à¤à¥€ जाना है।
राहà¥à¤²: हà¤à¤¸à¤¤à¥‡ हà¥à¤à¥¤ 1 अचà¥à¤›à¥€ सी गाली देने के बाद। अà¤à¥€ और आगे जाना है, उसके बाद चंदà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ à¤à¥€ जाना है अà¤à¥€ तो तेरी ____ जाà¤à¤—ी।
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जब राहà¥à¤² टà¥à¤°à¤¿à¤ª बनाता है तो मे कà¤à¥€ टेंशन नहीं करता कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि वो पहले से ही पूरी रिसरà¥à¤š करके रखता है। अपना काम होता है बैग मे कपड़े ठूसना और टà¥à¤°à¤¿à¤ª के लिठपैसे रख लेना। मà¥à¤à¥‡ तà¥à¤‚गनाथ के बारे मे मालूम तो था पर इसका फोटो कà¤à¥€ नहीं देखा था, इसी वजह से उस à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥€ को देख कर निराश हो गया था।
राहà¥à¤² à¤à¤• शेलà¥à¤Ÿà¤° की खिड़की पर। इस शेलà¥à¤Ÿà¤° के अंदर à¤à¥€ लोगों ने अपने पà¥à¤¯à¤¾à¤° का इज़हार दीवारों पर गोद के लिखा हà¥à¤† था। मà¥à¤à¥‡ कà¤à¥€Â तो लगता है हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ लोगों को दीवारों से पà¥à¤¯à¤¾à¤° है या फिर नाराज़गी है। कà¥à¤› लोग तो दीवारों पर अपने पà¥à¤¯à¤¾à¤° का इकरार लिख के करते है तो कà¥à¤› लोग लघà¥à¤¶à¤‚का करके अपनी नाराज़गी दिखाते है। à¤à¤¸à¤¾ मान लो जैसे कि ये दिवार नहीं सिकà¥à¤•े के दो पहलू हो।
जिस खिड़की पर राहà¥à¤² बैठा है वहाठà¤à¥€ लिखा हà¥à¤† था “बलवंत लव-सो-à¤à¤‚ड सोâ€|
हमे 2 घंटे से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय हो चला था। अà¤à¥€ तक हम लोग तà¥à¤‚गनाथ तक नहीं पहà¥à¤à¤š पाठथे। à¤à¤• तो टà¥à¤°à¥‡à¤• पर बरà¥à¤« गिरी हà¥à¤ˆ थी और ऊपर से सब अपना फोटो सेशन करने मे लगे हà¥à¤ थे। तà¤à¥€ गौरव को à¤à¤• खà¥à¤°à¤¾à¤«à¤¾à¤¤ सूà¤à¥€à¥¤ उसने मेरे सिर पर कंबल लपेट दिया और बोल की पूरा मॉडरà¥à¤¨ साधू वाला लà¥à¤• आ रहा है। इस लà¥à¤• मे à¤à¥€ इन लोगों ने मेरी फोटो खींच डाली। Sometimes I felt that everyone experimented with my look in this trip. मैं à¤à¥€ तैयार हो गया। अगर à¤à¤¸à¤¾ करने से सबको ख़à¥à¤¶à¥€ मिल रही है और मेरा à¤à¥€ कà¥à¤› नà¥à¤•सान नहीं है तो कà¥à¤¯à¤¾ फरà¥à¤• पड़ता है।
अब हमारे पास टाइम कम था बहà¥à¤¤ मसà¥à¤¤à¥€ कर ली थी, हमे तो तà¥à¤‚गनाथ से à¤à¥€ आगे चंदà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ तक जाना था। अब हम चारों ने कैमरे बंद किठऔर ताबड़-तोड़ आगे बढ़ने लगे। तà¤à¥€ मौसम ने पलटी मारी। धà¥à¤ª à¤à¤•ा-à¤à¤• गायब हो गई और धीरे-धीरे धà¥à¤‚ध छाने लगी। उड़ती हà¥à¤ˆ धà¥à¤‚ध जब चेहरे को छूती थी तो अपने अंदर की ठंडक का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ दिलाती थी।
तà¥à¤‚गनाथ का मंदिर नज़र आने लगा था। मंदिर से पहले यहाठपर बहà¥à¤¤ से मकान बने हà¥à¤ थे। हो सकता है सीजन के समय यहाठफूल, पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की दà¥à¤•ाने लगती होंगी और रà¥à¤•ने की à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ होगी। नवमà¥à¤¬à¤° मे सीजन नहीं होता इसीलिठयहाठपर सब बंद था। हमे तो à¤à¤¸à¤¾ ही अचà¥à¤›à¤¾ लगता है न कोई à¤à¥€à¤¡à¤¼-à¤à¤¾à¤¡à¤¼, ना ही शोर शराबा, सिरà¥à¤« हम ही हम, आराम से घूमो जितना मान चाहे।
सबने बार-बार दà¥à¤µà¤¾à¤° पर लगा हà¥à¤† घंटा बजाय। यहाठपर हम चारों के अलावा कोई नहीं था इसलिठजितना मन किया उतनी बार बजाते रहे। ऊपर से à¤à¤• दम शांत माहौल था घंटे का शोर चारों तरफ गूà¤à¤œ उठता था। सब छोटे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की तरह हरकत कर रहे थे। बड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल से सबको अंदर की और धकेला।
यहाठपहà¥à¤à¤š कर बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¤¾ लग रहा था। हमारे अलावा यहाठपर कोई à¤à¥€ नहीं था। à¤à¤¸à¤¾ मनो की तà¥à¤‚गनाथ पर हमारा ही कबà¥à¤œà¤¼à¤¾ था। पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मंदिर के अलावा यहाठपारà¥à¤µà¤¤à¥€, गणेश आदि। मंदिर के कपाट बंद थे, लेकिन सबने à¤à¤—वान शिव का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ लिया और इस जगह की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ का आनंद लेने लगे।
पाà¤à¤š छोटे से मंदिर। शायद पांडव à¤à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ को संà¤à¥‹à¤¦à¤¿à¤¤ करते हों।
मंदिर के आà¤à¤—न मे। मैं, राहà¥à¤² और हà¥à¤œà¤¼à¥‡à¤«à¤¾à¥¤
दोपहर के 3:30 बज गठथे और à¤à¥‚ख à¤à¥€ अपनी चरण सीमा पर पहà¥à¤à¤š चà¥à¤•ी थी। काफी फ़ोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ करने के बाद हम लोग मंदिर के आà¤à¤—न मे बने à¤à¤• शेलà¥à¤Ÿà¤° के अंदर चले गà¤à¥¤
बैग खोल कर आलू के पराà¤à¤ ों का पारà¥à¤¸à¤² बाहर निकाल लिया। पारà¥à¤¸à¤² खोलते-खोलते ही मà¥à¤¹ में पानी à¤à¤° आया। साथ मे मिकà¥à¤¸ अचार और काले चने की सबà¥à¤œà¥€ थी। कà¥à¤² मिला कर आठपराà¤à¤ े थे सबके हिसà¥à¤¸à¥‡ के दो-दो। हम सब पराà¤à¤ ों पर टूट पड़े। कà¥à¤› ही कà¥à¤·à¤£ मे वहाठबहà¥à¤¤ से कौठआ धमके। ना जाने कहाठदà¥à¤ªà¤• कर बैठे हà¥à¤ थे। इन सबको पराà¤à¤ ों की खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ खींच लाई थी। काà¤à¤µ-काà¤à¤µ का शोर मचा कर इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जीना हराम कर दिया था। à¤à¤• कौआ तो मेरे पैरों के पास आ गया। वो छीना-à¤à¤ªà¤Ÿà¥€ करने की ताक मे था। इससे पहले की वो कोशिश करता मैंने पराà¤à¤ े के कà¥à¤› टà¥à¤•ड़े उसको डाल दिà¤à¥¤ à¤à¤¸à¤¾ करने मे ही मेरी à¤à¤²à¤¾à¤ˆ थी।
मेरी इस हरकत की वजह से वहाठबाकी के कौठà¤à¥€ आ गठऔर उनके बीच मे घमासान यà¥à¤¦à¥à¤§ होने लगा। इनको शांत करने के लिठहम लोगों को अपने हिसà¥à¤¸à¥‡ के पराà¤à¤ ों का बलिदान देना पड़ा। सब कौओं को हिसà¥à¤¸à¤¾ मिला तब जाकर वो शांत हà¥à¤ और फिर से गायब हो गà¤à¥¤
à¤à¥‹à¤œà¤¨ समापà¥à¤¤ होते-होते चारों तरफ à¤à¤¯à¤‚कर कोहरा हो गया था और बादल घड़घड़ाने लगे थे। इतना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कोहरा था कि मंदिर और आà¤à¤—न के अलावा कà¥à¤› à¤à¥€ नज़र नहीं आ रहा था। तà¤à¥€ à¤à¤•ा-à¤à¤• सà¥à¤¨à¥‹ फॉल होने लगा। शà¥à¤°à¥‚ मे तो हमने बहà¥à¤¤ मसà¥à¤¤à¥€ की पर थोड़ी देर के बाद हम सब शेलà¥à¤Ÿà¤° के अंदर चले गठऔर सà¥à¤¨à¥‹ फॉल रà¥à¤•ने का इंतज़ार करने लगे। बहà¥à¤¤ ही ज़ोरों से गिर रहा था बरà¥à¤«à¤¼à¥¤ मेरा हाल तो इस कहावत की तरह था “सिर मà¥à¤‚डाते ओले पड़ना”।
Due to fog one can see nothing in the background. It seems like a photo in the studio with white background.
सलाह करने पर यह निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ किया की à¤à¤¸à¥‡ मौसम मे चंदà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ जाना ठीक नहीं है। सà¥à¤¨à¥‹ फॉल कम थम जाने के बाद हम लोग चोपता की और वापस निकल पड़े। दोपहर के चार बज गठथे हम आराम से नीचे उतरने लगे। हमे अब कोई जलà¥à¤¦à¥€ नहीं थी। हमने बड़े से मैदान मे (इसे बà¥à¤—à¥à¤¯à¤¾à¤² कहते हैं) कà¥à¤› देर आराम किया। ये जगह सà¥à¤µà¤¿à¤Ÿà¥à¤œà¤¼à¤°à¤²à¥ˆà¤‚ड की याद दिलाती थी।
à¤à¤•ांत मे बनी à¤à¤• कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ देखते ही बनती थी।
अब शाम हो चली थी। सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ होने मे अब जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ वक़à¥à¤¤ नहीं बचा था। हम लोगों ने अपनी गति बढ़ा ली थी कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि जंगलात वाले इलाके मे अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होने पर कब किसी जंगली जानवर से पाला पड़ जाठकà¥à¤› पता नहीं होता। à¤à¤• बार गोपेशà¥à¤µà¤° जाते वक़à¥à¤¤ सà¥à¤¬à¤¹ के 05:30 बजे हम लोग देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ ही वाले थे। तà¤à¥€ मेरा और राहà¥à¤² का सामना à¤à¤• तेंदà¥à¤(Leopard) से हà¥à¤†à¥¤ उसने हमारी ओर देखा हमने à¤à¥€ उसकी ओर घूरा। ये आमने-सामने की टकà¥à¤•र करीब 2-3 सेकंड की रही होगी और आखिर मे जीत हमारी हà¥à¤ˆà¥¤ सच बोलूठतो हमारे रोंगटे खड़े हो गठथे। à¤à¤• मोड़ काटने के बाद वो राहà¥à¤² की i10 के सामने खड़ा था, कà¥à¤› कà¥à¤·à¤£ हमारी ओर देखने के बाद वो खाई और दौड़ा पर à¤à¤¸à¤¾ लगा की उसको खाई मे उतरने के लिठठीक जगह नहीं मिली थी। करीब 3-4 सेकंड तक वो हमारी गाड़ी के आगे दौड़ा और फिर खाई मे नीचे उतर गया। आज à¤à¥€ वो नज़ारा और उस वक़à¥à¤¤ हà¥à¤ˆ बातचीत मà¥à¤à¥‡ अचà¥à¤›à¥€ तरह याद है। मैं सही मायने मे अपने आपको बहà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ समà¤à¤¤à¤¾ हूठकी ये घटना मेरे साथ हà¥à¤ˆà¥¤ Leopard के साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ दरà¥à¤¶à¤¨à¥¤
अरे मैं तो गोपेशà¥à¤µà¤° जाने लगा वापस चोपता की ओर चलते हैं। शाम के पाà¤à¤š बज गठथे और सूरज à¤à¥€ अब बादलों के पीछे से आà¤à¤–-मिचोली खेलने लगा था। सूरà¥à¤¯ असà¥à¤¤ का नज़ारा देखते ही बनता था। ये कà¥à¤·à¤£ हमने अपने कैमरे मे कैद कर लिठथे।
कà¥à¤› देर फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ करने के बाद हम लोग चोपता की और निकल पड़े। आराम से चलते-चलते करीब à¤à¤• घंटे बाद हम नीचे पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ सीधे जाकर दà¥à¤•ान मे घà¥à¤¸à¥‡ और चाय का ऑरà¥à¤¡à¤° दिया और दà¥à¤•ानदार को बोल दिया कि हमारे फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होने के लिठगरà¥à¤® पानी à¤à¥€ कर देना। इस समय यहाठपर à¤à¤• जीप कà¥à¤› सवारियों के साथ रà¥à¤•ी हà¥à¤ˆ थी। लगà¤à¤— अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होने ही वाला था à¤à¤• अजीब सा सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ था। देख कर ही समठमे आ रहा था की ये सवारियों की आखरी जीप होगी इसके बाद यहाठकोई नहीं आà¤à¤—ा। सामान वाला बैग रखने के बाद हम लोग रूम के बाहर आ गà¤à¥¤
हमारा रूम पीछे की तरफ था इसका दरवाज़ा सड़क की तरफ नहीं था बलà¥à¤•ि जंगल की और था। अब तक घà¥à¤ª अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ हो गया था। अपने आसपास ही कà¥à¤› दूरी तक नज़र आ रहा था शायद 2-3 मीटर तक। मà¥à¤‚डी ऊपर घà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥‡ ही आसमान के तारे रोशनी करते हà¥à¤ जगमगा रहे थे। तà¤à¥€ रूम मे à¤à¤•ाà¤à¤• बतà¥à¤¤à¥€ à¤à¥€ गà¥à¤² हो गई। सब लोग अपने मोबाइल की रोशनी के सहारे रूम के अंदर चले गठकà¥à¤¯à¤¾ पता कौन सा जानवर घात लगाकर बैठा हो। इस वक़à¥à¤¤ हम दà¥à¤•ान वाले को कोसने लगे की यही रूम मिला था हमको देने के लिà¤à¥¤ यहाठपर इस समय सरकारी बिजले नहीं थी। हमारे रूम मे बैटरी वाली लाइट थी। शायद बैटरी का चारà¥à¤œ ख़तà¥à¤® हो गया था और दà¥à¤•ान वाले का मोबाइल नंबर à¤à¥€ हमारे पास नहीं था। अब कà¥à¤¯à¤¾ करें वैसे तो दà¥à¤•ान से कोई ना कोई तो आने वाला था हमने गरà¥à¤® पानी जो मà¤à¤—वाया हà¥à¤† था। लेकिन फिर à¤à¥€ अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ मे कब तक बैठते। मैं और राहà¥à¤² दà¥à¤•ान की ओर चल दिà¤à¥¤ राहà¥à¤² ने अपने मोबाइल से रोशनी की और मैंने अपने मोबाइल पर फà¥à¤² साउंड मे गाने चला दिठऔर जोरजोर से बाते करते हà¥à¤ दà¥à¤•ान की और चल दिà¤à¥¤ मैंने राहà¥à¤² को पीछे से पकड़ा हà¥à¤† था लेकिन मैं जलà¥à¤¦à¥€ पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ चाहता था तो अंजाने मे उसे धकà¥à¤•ा दे देता था। वो मà¥à¤à¥‡ गली दे देता “***** के ****” धकà¥à¤•ा कà¥à¤¯à¥‚ठदे रहा है मैं गिर जाऊà¤à¤—ा। मैं à¤à¥€ उसको समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देते हà¥à¤ बोलता “DK BOSS” धकà¥à¤•ा नहीं दे रहा हूठरासà¥à¤¤à¤¾ ही à¤à¤¸à¤¾ है। à¤à¤¸à¥‡ मसà¥à¤¤à¥€-मजाक करते हà¥à¤ हम दà¥à¤•ान तक पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ दूसरी बैटरी लगा दी गई और गरà¥à¤® पानी à¤à¥€ पहà¥à¤à¤š गया। हमने बनà¥à¤¦à¥‡ को बोला की à¤à¥‹à¤œà¤¨ तैयार कर दो हम लोग फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होते ही आपकी दà¥à¤•ान मे आ जाà¤à¤à¤—े।
फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होने के बाद हमने अपने बैग से “Old Monk” निकली और दà¥à¤•ान की और चल दिà¤à¥¤ खाना à¤à¥€ तैयार था। रोटी गरà¥à¤®à¤¾-गरà¥à¤® ही बनानी थी। “Old Monk” के चकà¥à¤•र मे हमने अà¤à¥€ रोटी बनाने के लिठमना कर दिया। हमने सलाद और अंडा à¤à¥à¤°à¥à¤œà¥€ मà¤à¤—वाई। सलाद मे उसने सिलबटà¥à¤Ÿà¥‡ पर पीसी हà¥à¤ˆ चटनी और अचार का मसाला मिलाया हà¥à¤† था। सलाद चखते ही मज़ा आ गया। à¤à¤¸à¤¾ लगा की दà¥à¤•ानदार ने specially तैयार किया था। मैंने ये बात बाकि लोगों को बताई तो वो बोले की नहीं सबको à¤à¤¸à¥‡ ही बनाकर देता होगा। थोड़ी देर के बाद जब वो अपना खाली गिलास लेकर हमारे पास आया तब जाकर सबको यकीन हà¥à¤† की सलाद specially तैयार किया गया था। अपना कारà¥à¤¯à¤•रà¥à¤® समापà¥à¤¤ करने के बाद हम लोगों ने जमकर à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया। कà¥à¤› देर तक तंदूर के पास बैठकर गरà¥à¤®à¥€ ले और अपने रूम की और चल दिà¤à¥¤
मेरा चाà¤à¤¦ मà¥à¤à¥‡ आया है नज़र ठरात ज़रा थम-थम के गà¥à¤œà¤¼à¤°à¥¤
रात के 9 बज गठथे हम लोग सोने चल दिठकà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि अगली सà¥à¤¬à¤¹ 5 बजे उठाना था। सबसे पहले गौरव बिसà¥à¤¤à¤° के अंदर घà¥à¤¸à¤¾ था और चिलà¥à¤²à¤¾ पड़ा। कहता की बिसà¥à¤¤à¤° गिला सा लग रहा है हमने बोल गिला नहीं à¤à¤¾à¤ˆ ठंडा हो रखा है तू अंदर ही घà¥à¤¸à¤¾ रह गरà¥à¤® हो जाà¤à¤—ा। रूम मे à¤à¤• डबल-बेड और à¤à¤• सिंगल-बेड था। à¤à¤• टीन के कनसà¥à¤¤à¤° मे कोयला à¤à¥€ जल रहा था। हà¥à¤œà¤¼à¥‡à¤«à¤¾ ने सिंगल-बेड पर कबà¥à¤œà¤¼à¤¾ कर लिया। थोड़ी देर बाद राहà¥à¤² à¤à¥€ गौरव के साथ डबल-बेड मे घà¥à¤¸ गया। मैंने कà¥à¤› देर कोयले की आà¤à¤š मे हाथ सेके और फिर कनसà¥à¤¤à¤° को रूम के बहार रख कर दरवाज़ा बंद कर दिया।
बिसà¥à¤¤à¤° मे घà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ करने की अब मेरी बारी थी तà¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ दीवार पर à¤à¤• मकड़ी नज़र आई। काफी बड़ी मकड़ी थी। मैंने नज़र घà¥à¤®à¤¾à¤ˆ तो दो और मकड़ी नज़र आई। अब सब चौकनà¥à¤¨à¥‡ हो गठकà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि रूम की हर दीवार पर मकड़ियाठथी।
हम सब काम मे लग गठथे à¤à¤•-à¤à¤• करके सारी मकड़ियों को दीवार से à¤à¤¾à¤¡à¤¼ कर रूम से बहार सरका दिया था। तब जाकर कहीं चैन की नींद आ पाई थी।