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मल्लिका नहीं मल्ल्क्का !

पहले छुट्टियों का मतलब होता था नाना-नानी या दादा-दादी के घर की तरफ रुख़ करना लेकिन समय के साथ धीरे धीरे यह परिभाषा बदलने लगी और लोग दूसरी जगहों पर भी जाने लगे | और आजकल तो विदेश यात्रा भी बहुत प्रचलित हो गयी है |

और जब घर से निकलने की बात है तो अधिकतर लोग २-३ देशों को एक साथ देखने का प्रोग्राम बनाते हैं | इसके मुख्यतः दो कारण हैं | पैसे और समय की बचत | जो कि एक हद तक जायज़ भी है | समय एवं पूँजी की समस्या न हो तो यूरोप जायें और बिना २-३ देशों का भ्रमण किये लौट आयें, यह हो नहीं सकता | अरे भाई, बार-२ विदेश यात्रा थोड़े ही होती है |

इसी प्रकार जब कभी साउथ-ईस्ट एशिया जाने की बात हो तो मलयेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर इत्यादि देश एक साथ देखने को मन ललच उठता है | लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ | मैं १२ दिनों की यात्रा पर गयी परन्तु केवल मलयेशिया | मेरा उद्दयेश अलग था और रहेगा |

ख़ैर, मलयेशिया देश का ज़िक्र आते ही सबसे पहले जिस शहर का नाम जुबान पर आता है वह है कुआला लम्पुर, मलयेशिया की राजधानी | और ज्यादातर लोग बस इसी शहर को देख कर वापस हो लेते हैं | खासकर यदि पैकेज टूर के सहारे घूमने निकले हों | क्या ज़रूरत है दूसरे छोटे-२ शहरों को देखने की?

यह तो वही बात हुई जैसे विदेशी समझते हैं कि हमारे देश भारत में सिर्फ़ वाराणसी, राजस्थान और केरल ही देखने की जगह हैं | आप ही बताइए क्या यह सच है ? नहीं, बिलकुल नहीं | इसका जीता जागता उदहारण है घुमक्कर !
मुझे तो कभी-२ लगता है कि विदेश जाना छोड़ कर मैं अपने ही देश का भ्रमण करने निकल पडूँ |

ख़ैर बात हो रही थी मलयेशिया की | लेकिन क्या मलयेशिया में सचमुच और कुछ नहीं है देखने लायक ? या फिर वे इतने प्रसिद्द नहीं हैं ?

चलिए, मैं आज आपको एक ऐसी जगह ले चलती हूँ जो UNESCO heritage की सूची में आता है | हाँ हाँ, कुआला लम्पुर भी ले चलूंगी, पहले यहाँ तो घूम आईये |

नाम है मल्ल्क्का | नहीं-नहीं, मल्लिका नहीं मल्ल्क्का |
कुआला लम्पुर से दक्षिण की ओर करीब 144 KMs की दूरी पर बसा यह शहर कुछ अलग है |



जब आपको आपकी बस इस शहर के प्रमुख स्थान या main tourist stop पर उतारती है तो चेहरे पर खुद-ब-खुद एक प्यारी सी मुस्कान चली आती है और सब कुछ लाल ही लाल नज़र आता है |
जी हाँ, यह शहर है लाल इमारतों का, मनभावक रिक्शों का और संगम है पुर्तगाली, चीनी एवं डच संस्कृतियों का | मैं आज इसका सिर्फ एक पन्ना आपके समक्ष रखूँगी |

क्या आप विश्वास करेंगे यदि मैं कहूँ कि अगर गिनती करें तो मल्ल्क्का में देखने के लिए कुआला लम्पुर से ज़्यादा स्थान हैं ? अब सभी स्थानों के बारे में लिखना या उनके चित्र दिखाना तो संभव नहीं हो पायेगा | पेश है छोटी सी झलक |

यह है सन् 1753 में बना मलयेशिया का सबसे पुराना एवं प्रसिद्ध Christ Church.

अ फामोसा | अब तो केवल दरवाज़ा भर रह गया है इस यूरोपी किले का |

मलयेशिया का वास्तुकला संग्रहालय | पृष्टभूमि में है St Paul पहाड़ी का एक छोटा हिस्सा |

यह है बेल टावर | डच वास्तुकला का एक नमूना |

और यह देखिये कैसी दिखती है मल्ल्क्का नदी दिन में

….. और रात में |

अगर आप इस नदी पर ४५ मिनट का (boat cruise) नाव द्वारा नहीं घूमे तो आपका मल्ल्क्का जाना बेकार है | मैं तो कहूँगी कि लानत है आप पर | नाव सेवा दिन और रात दोनों समय उपलब्द्ध हैं |
इस चित्र के पृष्टभूमि में आप देख सकते हैं ‘Eye of Malacca’ जो मल्ल्क्का ही नहीं बल्कि मलयेशिया का सबसे बड़ा Giant wheel है और जिसके बारे में कहा जाता है कि यह ‘आई ऑफ़ इंग्लैंड’ से भी बड़ा है |

अगली बार हम और बहुत कुछ जानेंगे मल्ल्क्का के बारे में, संग्रहालयों के बारे में और चीनी संस्कृति के बारे में |

मल्लिका नहीं मल्ल्क्का ! was last modified: July 8th, 2023 by Nisha
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