à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ शहरों में आम तौर पर सरकारी चारदीवारियों को उनके अपने वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• रंगों में कायम रख पाना à¤à¤• टेà¥à¥€ खीर है। राजनैतिक दलों के आहà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से लेकर, कागज़ी इशà¥à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ , पान की पीकों और यहाठतक की मूतà¥à¤° तà¥à¤¯à¤¾à¤— से ये दीवारें सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ रहती हैं। पर उड़ीसा सरकार और खासकर à¤à¥à¤µà¤¨à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° (Bhubneshwar) के मà¥à¤¯à¥‚निसिपल कमिशà¥à¤¨à¤° की तारीफ करनी होगी जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ तरीका ढूà¤à¤¢ निकाला जिससे ना केवल शहर की दीवारें सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ हो गईं, बलà¥à¤•ि यहाठके कलाकारों की पूछ राजà¥à¤¯ में ही नहीं पूरे देश में हो गई।
तो कà¥à¤¯à¤¾ तरीका अपनाया यहाठकी मà¥à¤¯à¥‚निसिपल कमिशà¥à¤¨à¤° ने ? इन दीवारों को उड़ीसा के कलाकारों को सौंप दिया गया ताकि वे अपनी कला के माधà¥à¤¯à¤® से उड़ीसा (अब ओड़ीसा) की समृदà¥à¤§ कला और संसà¥à¤•ृति को उà¤à¤¾à¤°à¥‡à¤‚। इसके लिठकलाकारों को जो पैसे दिठगठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ राजà¥à¤¯ में कारà¥à¤¯ कर रही निजी कंपनियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‹à¤œà¤¿à¤¤ किया गया। बाद में जब अनà¥à¤¯ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ à¤à¥à¤µà¤¨à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° आठतो अपने राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› करने के लिठइनमें से कई कलाकारों को आमंतà¥à¤°à¤£ दे डाला। तो चलिठमेरे साथ आप à¤à¥à¤µà¤¨à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° की सड़कों पर और कीजिठकला और संसà¥à¤•ृति के विविध रूपों का दरà¥à¤¶à¤¨, इन दीवारों पर उकेरे गठचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से..
तो शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ यहाठकी à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• धरोहरों से। ये रहा खंडगिरि (Khandgiri) और उदयगिरि (Udaigiri) का चितà¥à¤° और उसके नीचे के चितà¥à¤° में बाà¤à¤¯à¥€ तरफ नजर आ रहा है धौलागिरी (Dhaulagiri) का बौदà¥à¤§ सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤•
शहर के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ इलाकों की सरकारी इमारतों की दीवारों पर बनाठगठचितà¥à¤° उड़ीसा के जनजातीय और अनà¥à¤¯ इलाकों की सांसà¥à¤•ृतिक विरासत को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¥‡ हैं। नीचे के दृशà¥à¤¯ में उड़ीसा में मिटà¥à¤Ÿà¥€ के पातà¥à¤°à¥‹à¤‚ पर की गई नकà¥à¤•ाशी को दिखाया गया है। इनका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² रोजमरà¥à¤°à¤¾ के काम आने वाले बरà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ और विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ रीति रिवाजों को संपादित किठजाने वाले विशेष पातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के रूप में किया जाता है। इन पातà¥à¤°à¥‹ को कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°, शकà¥à¤¤à¤¿ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•ों जैसे बैल, हाथी, घोड़े या फिर मंदिर का रूप देते हैं।
इन सारे नृतà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¤• खास तरह के रिदम यानि ताल रखा जाता है। ये लय तालियों के रूप में हाथों की थाप या फिर ढोल या नगाड़ों से रची जाती है। नर नारी और बचà¥à¤šà¥‡ सà¤à¥€ लोक गीत गाते हैं और साथ ही थिरकते हैं पर नृतà¥à¤¯ की लय देने का काम सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ पà¥à¤°à¥à¤· ही करते हैं, जैसा कि आप नीचे के चितà¥à¤° से देख सकते हैं
उड़ीसा की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ जनजातियाठयूठतो पूरे राजà¥à¤¯ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ जिलों में पाई जाती हैं पर कोरापà¥à¤Ÿ, मयूरà¤à¤‚ज, कालाहांडी, सà¥à¤‚दरगॠकà¥à¤¯à¥‹à¤‚à¤à¤°, काà¤à¤§à¤®à¤¾à¤² और मलकानगिरि जिलों में इनकी संखà¥à¤¯à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है। इनमें से कà¥à¤› ने तो खेती बाड़ी को अपना पà¥à¤°à¤®à¥à¤– उदà¥à¤¯à¤® बना लिया है तो कà¥à¤› ने अà¤à¥€ तक अपनी संसà¥à¤•ृति को बाहरी पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤ रखा है। नीचे के दृशà¥à¤¯ में यà¥à¤¦à¥à¤§ पर जाते à¤à¤• जनजातीय दल को दिखाया गया है।
नृतà¥à¤¯ और संगीत उड़ीसा की संसà¥à¤•ृति का अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अंग रहे हैं। ओडिसी नृतà¥à¤¯ का उदà¥à¤à¤µ उड़ीसा के मंदिरो से हà¥à¤† और पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ समय से मंदिर की देवदासियों ने इस परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ को बनाठरखा। नीचे के चितà¥à¤° इस नृतà¥à¤¯ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¾à¤µ à¤à¤‚गिमाओं और साथ पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होने वाले वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ कर रहे हैं।