घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़.कॉम के पाठकों को नव वरà¥à¤· की हारà¥à¤¦à¤¿à¤• शà¥à¤¬à¤•ामनाà¤à¤‚| “Featured Authors” की शà¥à¤°à¤‚खला में २०१२ जनवरी में à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ नाम जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ है जो इस छोटे से ख़िताब को और ऊंचाईओ तक ले जाà¤à¤—ा| आप सà¤à¥€ लोगों से ये नाम छà¥à¤ªà¤¾ नहीं है और संपादिका जी ने महीने के शà¥à¤°à¥‚ में ही इस बात की उदघोषणा कर दी थी पर अगर किसी कारण से आप नव वरà¥à¤· के उलà¥à¤²à¤¾à¤¸ की उह-पोह आदि वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¤¤à¤¤à¤¾ के कारण उनका संपादकीय लेख नहीं पॠपाय हैं तो थोड़ी à¤à¥‚मिका शायद इस लेख को रोचकीय बना दे|
सन २०१० के मधà¥à¤¯ में इनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़.कॉम पर धावा बोला और शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ toranmal से की| २०१० में à¤à¤• लेख इंगà¥à¤²à¤¿à¤¶ में लिखने के बाद इनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ २०११ में कई और लेख अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ लिखने के बाद , २०११ के उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤— में में हिंदी में कमान संà¤à¤¾à¤²à¥€| घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ में ये पहले दà¥à¤µà¤¿à¤à¤¾à¤·à¥€ लेखक बने| इनके हिंदी के पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग और जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पोपà¥à¤²à¤° है और २०११ के वारà¥à¤·à¤¿à¤• समà¥à¤®à¤¾à¤¨ ” Ghumakkar of the year 2011″ में टॉप टेन में रहे| तो बिना और पहेली बà¥à¤à¤¾à¤¤à¥‡ है, लीजिठपेश है २०१२ के पहले “Featured Author”, सबके पà¥à¤°à¤¿à¤¯ शà¥à¤°à¥€ मà¥à¤•ेश à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡|
गत सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ मà¥à¤à¥‡ इनसे फोन पर साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार लेने का मौक़ा लगा, पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ है इनसे हà¥à¤ˆ बातचीत के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾ अंश|
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ मà¥à¤•ेश-
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ: मà¥à¤•ेश जी, अपने बारे में जो आपकी पà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¼à¤¾à¤‡à¤² में लिखा है उसके अलावा कà¥à¤› बताà¤à¤‚?
मà¥à¤•ेश: जैसा की मैंने अपनी पà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¾à¤‡à¤² में लिखा है, मैं शिकà¥à¤·à¤¾ तथा पेशे से à¤à¤• मेकेनिकल इंजिनीयर हूà¤, मूल रूप से मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के खरगोन जिले से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ रखता हूठतथा इंदौर (मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶) से लगे औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¥€à¤² पà¥à¤°à¥‹à¤¸à¥‡à¤¸à¤¿à¤‚ग पà¥à¤²à¤¾à¤‚ट में मेनेजर (कà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤Ÿà¥€ à¤à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤°à¥‡à¤‚स) के पद पर कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ हूठतथा अपनी कंपनी का पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ (मेनेजमेंट रिपà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‡à¤‚टेटिव) हूà¤. मेनà¥à¤«à¥‡à¤•à¥à¤šà¤°à¤¿à¤‚ग यूनिटà¥à¤¸ में गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ (Quality Management System) विकसित करने में मà¥à¤à¥‡ महारत हासिल है तथा यही मेरे कारà¥à¤¯ का हिसà¥à¤¸à¤¾ à¤à¥€ है. मैं गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ का अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ लेखा परीकà¥à¤·à¤• (लीड ऑडिटर) à¤à¥€ हूà¤. अपने कारà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के नजदीक ही कंपनी के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किये गठफà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ में अपने परिवार के साथ रहता हूà¤.
मेरे परिवार में कविता (मेरी अरà¥à¤§à¤¾à¤‚गिनी), बेटी संसà¥à¤•ृति जो ककà¥à¤·à¤¾ आठकी विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ है तथा बेटा वेदांत जिसे हम पà¥à¤¯à¤¾à¤° से शिवमॠकहते है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम उसे à¤à¤—वान शिव का वरदान मानते हैं, सीनियर मोंटेसरी का विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ है. कविता जो की सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ की बहà¥à¤¤ बड़ी पà¥à¤°à¤¶à¤‚सक तथा नियमित पाठक है और जलà¥à¤¦à¥€ ही अपनी पहली पोसà¥à¤Ÿ के साथ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ की लेखक बनने जा रही है, वह à¤à¤• गृहिणी है तथा परिवार की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ में मेरा पूरा सहयोग करती है.
मैं à¤à¤• निरà¥à¤µà¥à¤¯à¤¸à¤¨à¥€, शाकाहारी, सहृदय, परोपकारी, मिलनसार,खà¥à¤¶à¤®à¤¿à¤œà¤¾à¤œ, संयमी तथा à¤à¤¾à¤µà¥à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हूठऔर यही गà¥à¤£ मेरे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के आधारसà¥à¤¤à¤‚ठहैं. à¤à¤¸à¤¾ नहीं है की मेरे में बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¤¾à¤ नहीं हैं, मैं थोड़ा सा आलसी हूà¤, कà¤à¥€ कà¤à¥€ तेज गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ à¤à¥€ आ जाता है लेकिन ये दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£ मिलकर à¤à¥€ मेरे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को कतई कमजोर नहीं बनाते हैं.
मैं अपने परिवार से बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤¯à¤¾à¤° करता हूà¤. अपने ऑफिस के सारे काम निबटाने के बाद मà¥à¤à¥‡ जितना à¤à¥€ समय मिलता है मैं अपने परिवार के साथ बिताना पसंद करता हूà¤, और शायद इसीलिठघà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी à¤à¥€ कà¤à¥€ अकेले नहीं करता हूà¤, सही बताऊठतो मेरी छोटी सी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ मेरे परिवार तक ही सिमटी हà¥à¤ˆ है.
मेरी रà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ (Hobbies) में परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ (घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी) निरà¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¦ रूप से सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ है उसके बाद संगीत तथा साहितà¥à¤¯. विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सामाजिक तथा तकनिकी विषयों पर वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना मेरी अनà¥à¤¯ रà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में शामिल है.
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ: आप और आपके परिवारजन शिव जी के à¤à¤•à¥à¤¤ हैं। यह शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ आपके जीवन का हिसà¥à¤¸à¤¾ कब से है?
मà¥à¤•ेश: आपने बिलकà¥à¤² सही कहा नंदनजी, हम लोग à¤à¤—वान शिव के अननà¥à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤ हैं. वैसे हम सà¤à¥€ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ का आदर करते हैं तथा सà¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥‚ देवी देवताओं का पूजन सà¥à¤®à¤°à¤£ करते हैं, लेकिन जहाठà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की बात आती है तो वो à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा से शà¥à¤°à¥‚ होकर उनà¥à¤¹à¥€ पर ख़तà¥à¤® होती है. हमारे घर का माहौल पूरी तरह से शिवमय है, रोजाना à¤à¤—वानॠशिव को बिलà¥à¤µ पतà¥à¤° चढ़ाये जाते हैं, मà¥à¤¯à¥‚जिक सिसà¥à¤Ÿà¤® पर शिवाषà¥à¤Ÿà¤•म, रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤•म, शिवमहिमà¥à¤¨à¤¸à¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤®, शिव चालीसा, ॠनमः शिवाय धà¥à¤¨, महामृतà¥à¤¯à¥à¤‚जय मंतà¥à¤° आदि की धà¥à¤µà¤¨à¤¿ सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देती हैं. सोमवार को सà¤à¥€ à¤à¤—वानॠशिव का वà¥à¤°à¤¤ रखते हैं, शिवरातà¥à¤°à¤¿ हमारे लिठसबसे बड़ा तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° होता हैं, सावन के महीने में हर सोमवार को शिवालय में रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करते हैं. à¤à¤—वानॠशिव के बारह जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚गों की यातà¥à¤°à¤¾ करना हमारा संकलà¥à¤ª है जिसका हम पूरी निषà¥à¤ ा से निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ कर रहे हैं.
जैसे की आपका पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है यह शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ हमारे जीवन का हिसà¥à¤¸à¤¾ कब से है, तो यहाठपर मैं à¤à¤• बात खà¥à¤²à¥‡ दिल से सà¥à¤µà¥€à¤•ार करना चाहूà¤à¤—ा की शादी से पहले मैंने शायद ही कà¤à¥€ किसी मंदिर में अगरबतà¥à¤¤à¥€ लगाईं हो, यानी मैं पूजा पाठ, ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ आदि में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं करता था, लेकिन शादी के बाद, कविता की वजह से मैं अपने आप ही ईशà¥à¤µà¤° की और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤µà¤¤ होता चला गया. कविता बेसिकली à¤à¤• बहà¥à¤¤ धारà¥à¤®à¤¿à¤• विचारों वाली महिला है तथा उसने पà¥à¤°à¥‡ घर का माहौल à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¯ बना रखा है. हमारा पांच साल का बेटा वेदांत à¤à¥€ रोज़ सà¥à¤¬à¤¹ सूरà¥à¤¯ को अरà¥à¤˜à¥à¤¯ चढ़ाता है. अतः आज मैं जो à¤à¥€ थोड़ी बहà¥à¤¤ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ करता हूठउसका शà¥à¤°à¥‡à¤¯ कविता को ही जाता है.
दूसरी बात यहाठमैं बताना चाहूà¤à¤—ा की तिन वरà¥à¤· पहले हम अपनी जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं के अंतरà¥à¤—त सोमनाथ दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठगà¤, सोमनाथ मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते ही मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤› अलग ही तरह की अनà¥à¤à¥‚ति हà¥à¤ˆ. मंदिर के बाहर तथा अनà¥à¤¦à¤° के वातावरण ने मेरे अंतरà¥à¤®à¤¨ पर कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ डाला की मेरी आतà¥à¤®à¤¾ तथा शरीर कà¥à¤› समय के लिठजैसे किसी अदà¥à¤°à¤¶à¥à¤¯ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ के वशीà¤à¥‚त हो गà¤. और जब आरती शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ तो मेरी आसà¥à¤¥à¤¾ अपने चरम पर पहà¥à¤à¤š गई, मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¸à¤¾ महसूस हà¥à¤† की इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में à¤à¤—वानॠशिव के सिवा और कोई अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ है ही नहीं. सोमनाथ मंदिर की दीवारों से टकराती समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरें à¤à¤¸à¤¾ à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ दे रही थी मानो समà¥à¤¦à¥à¤° à¤à¤—वान शिव का पद पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾à¤²à¤¨ कर रहा हो. मंदिर के शिखर पर लहराती विशाल धà¥à¤µà¤œà¤¾ शिव की सतà¥à¤¤à¤¾ का जयघोष कर करती हà¥à¤ˆ सी पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रही थी. बस उसी कà¥à¤·à¤£, उसी दिन से शिव के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ मन में अगाध शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ तथा आसà¥à¤¥à¤¾ ने घर कर लिया.
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ: धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की यातà¥à¤°à¤¾ आपके वारà¥à¤·à¤¿à¤• नियम का à¤à¤¾à¤— है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में वैसे à¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• टूरिज़à¥à¤® पूरे टूरिज़à¥à¤® उदà¥à¤¯à¥‹à¤— का à¤à¤• बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हिसà¥à¤¸à¤¾ है। इस तथà¥à¤¯ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤ ऎसी कोई सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ है जो कि यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को मिलनी चाहियें धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚, रहने के सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚, तथा यातायात के साधनों में जिससे यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का अनà¥à¤à¤µ सà¥à¤–द रहे?
मà¥à¤•ेश: जी नंदन बिलकà¥à¤² सही है, अà¤à¥€ हमारा पूरा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ हमारे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सूचीबदà¥à¤§ किये गठधारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की यातà¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पूरी करने पर केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ है, सारे मà¥à¤–à¥à¤¯ धरà¥à¤®à¤¸à¥à¤¥à¤² पà¥à¤°à¥‡ करने के बाद अनà¥à¤¯ रमणीय सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की सैर करने के बारे में सोचेंगे. यह à¤à¥€ सही है की à¤à¤¾à¤°à¤¤ में धारà¥à¤®à¤¿à¤• परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨, परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ उदà¥à¤¯à¥‹à¤— का à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा हिसà¥à¤¸à¤¾ है. à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚, मंदिर संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚, टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की जाने वाली सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं का सà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ अलग अलग है, कहीं रहने की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® है तो कहीं à¤à¥‹à¤œà¤¨ की, कहीं यातायात के साधन सà¥à¤²à¤ हैं तो कहीं पणà¥à¤¡à¥‡ पà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का मधà¥à¤° वà¥à¤¯à¤µà¥à¤¹à¤¾à¤° दिल को छॠलेता है, कहने का मतलब है की हर धरà¥à¤®à¤¸à¥à¤¥à¤² पर कà¥à¤› चीजें पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ कर जाती हैं तो कà¥à¤› चीजों से मन दà¥à¤–ी हो जाता है. अतः इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का सटीक जवाब देना थोडा सा मà¥à¤¶à¥à¤•िल है. वैसे मेरे विचार से धारà¥à¤®à¤¿à¤• परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ को यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के लिठअधिक से अधिक मातà¥à¤°à¤¾ में धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¤“ं के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की और धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि तीरà¥à¤¥ यातà¥à¤°à¥€ के लिठसबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ यही होती है.
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ: घà¥à¤®à¤•à¥à¤•à¥à¤™à¥€ के अलावा आप साहितà¥à¤¯ तथा संगीत में à¤à¥€ रà¥à¤šà¤¿ रखते हैं। अपने पसदा लेखकों तथा संगीतकारों के विषय मेंबतायें। आप किस पà¥à¤°à¤•ार की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•ें पढना तथा संगीत सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ पसंद करते हैं?
मà¥à¤•ेश: मेरे विचार से मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पास आधारà¤à¥‚त सà¥à¤– सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं के अलावा घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी करने के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ समय तथा धन, मनोरंजन के लिठपसंदीदा संगीत तथा मन को पà¥à¤°à¤«à¥à¤²à¥à¤²à¤¿à¤¤ करने के लिठउमà¥à¤¦à¤¾ साहितà¥à¤¯ उपलबà¥à¤§ हो तो शायद उसे जीवन में और किसी चीज की कोई आवशà¥à¤¯à¤•ता ही नहीं है. मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के बाद संगीत तथा साहितà¥à¤¯ का बहà¥à¤¤ शौक है. मैं हिंदी साहितà¥à¤¯ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ विधाओं में कहानी, कविता, यातà¥à¤°à¤¾ वृतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤ तथा वà¥à¤¯à¤‚गà¥à¤¯ पढना पसंद करता हूà¤, मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द साहितà¥à¤¯ पढना सबसे अचà¥à¤›à¤¾ लगता है, तथा मà¥à¤‚शी पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द ही मेरे पसंदीदा लेखक हैं, मैंने उनकी लगà¤à¤— सà¤à¥€ कहानियां पढ़ी हैं तथा कà¥à¤› उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जैसे निरà¥à¤®à¤²à¤¾, गोदान, गबन आदि पढ़े हैं. मà¥à¤‚शी पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द की कà¥à¤› कहानियों ने मेरे जेहन में गहरी छाप छोड़ी है तथा उन कहानियों को मैंने कई कई बार पढ़ा है जैसे ईदगाह, कफ़न, बूढी काकी, पंच परमेशà¥à¤µà¤°, पूस की रात, नमक का दरोगा, बड़े घर की बेटी, अलगà¥à¤¯à¥‹à¤à¤¾ आदि आदि. मà¥à¤‚शी पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द की कहानियों की विशेषता है की वे सिचà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ का à¤à¤¸à¤¾ सटीक वरà¥à¤£à¤¨ करते हैं की आà¤à¤–ों के आगे अपने आप दà¥à¤°à¤¶à¥à¤¯ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो जाते हैं. “बूढी काकी” में पूड़ियों, कचौड़ियों तथा तरकारियों के सà¥à¤µà¤¾à¤¦ का à¤à¤¸à¤¾ वरà¥à¤£à¤¨ किया गया गया है बस मà¥à¤‚ह में पानी आ जाता है तथा इन वà¥à¤¯à¤‚जनों का रसासà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¨ करने को मन मचलने लगता है. “कफ़न” में घीसू और माधव के निकमà¥à¤®à¥‡à¤ªà¤¨ तथा निरà¥à¤²à¤œà¥à¤œà¤¤à¤¾ का वो ताना बाना बà¥à¤¨à¤¾ है की शरà¥à¤® à¤à¥€ शरमा जाये. पूस की रात में कडाके की ठणà¥à¤¡ का वो वरà¥à¤£à¤¨ पढने को मिलता है की मई जून की गरà¥à¤®à¥€ में à¤à¥€ ठणà¥à¤¡ लगने लगे. मà¥à¤à¥‡ तो पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द साहितà¥à¤¯ के आगे मेकà¥à¤¸à¤¿à¤® गोरà¥à¤•ी तथा à¤à¤‚टोन चेखव à¤à¥€ फीके लगते हैं.
संगीत में मैं पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ इंडियन फ़िलà¥à¤®à¥€ मेलोडियस गाने सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ पसंद करता हूà¤. किशोर कà¥à¤®à¤¾à¤° मेरे पसंदीदा गायक हैं, उनके लगà¤à¤— सà¤à¥€ गीत मेरी जà¥à¤¬à¤¾à¤¨ पर होते हैं. अनà¥à¤¯ गायकों में महेंदà¥à¤° कपूर, डॉ. के. जे. येसà¥à¤¦à¤¾à¤¸, लता मंगेशकर आदि के गीत सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ पसंद करता हूà¤. सूफी संगीत तथा ग़ज़लें सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ पसंद है.
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ: परिवारिक ज़िमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और फ़à¥à¤²-टाइम जौब के चलते आप घà¥à¤®à¤•à¥à¤•à¥à¤™à¥€ तथा अनà¥à¤¯ रà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये समय कैसे निकाल लेतेहैं?
मà¥à¤•ेश: जहाठतक पारिवारिक जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तथा घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का सवाल है, तो मेरा सीधा सा जवाब है की मेरी हर घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के दौरान मेरा परिवार मेरे साथ होता है. कà¥à¤› कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥€à¤¨ यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं को छोड़ दिया जाठतो मैंने कà¤à¥€ à¤à¥€ कोई à¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ अकेले नहीं की है हम हर जगह साथ ही जाते हैं.
जॉब तथा घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में à¤à¤• सबसे बड़ा तथà¥à¤¯ है की मैं घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के अलावा किसी और कारण से कà¤à¥€ अपने जॉब से छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ लेता ही नहीं हूठअतः मेरे वरिषà¥à¤ अधिकारी को मà¥à¤à¥‡ छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ देने में कà¤à¥€ कोई परेशानी नहीं होती है. वरà¥à¤· में हमें लगà¤à¤— 50 सवैतनिक छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤ मिलती हैं उसमें से 15 -20 छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤ मैं घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के लिठले लेता हूà¤, तो इसमें किसी को कोई आपतà¥à¤¤à¤¿ नहीं होती है. और दूसरी बात यह है की मैं जिस कंपनी में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ हूठवहां हमें पूरी तरह से घरेलॠमाहौल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया जाता है, किसी पà¥à¤°à¤•ार की à¤à¤¾à¤— दौड़, मारामारी, टांग खिंचाई आदि नहीं हैं, हमें अपनी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ से जीवन जीने जी सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ दी जाते है अतः हम अपने ढंग से अपना जीवन जीते हैं. मेरे जॉब में किसी तरह की सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¸ शामिल नहीं है. हमारे टॉप मेनेजमेंट की और से à¤à¥€ हमें पूरा सहयोग मिलता है. और फिर à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बात यह है की जहाठचाह होती है वहां राह अपने आप ही निकल जाती है, कोई à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कितना à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो अपने जूनून को पूरा करने के लिठतो समय निकाल ही लेता है. हमारे कई घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ à¤à¤¾à¤ˆ à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ होंगे जिनके लिठसमय निकलना इतना आसान नहीं होता होगा लेकिन फिर à¤à¥€ आखिर अपना शौक पूरा करने के लिठवे कैसे à¤à¥€ समय निकाल ही लेते हैं. अनà¥à¤¯ रà¥à¤šà¤¿à¤¯à¤¾à¤ à¤à¥€ किसी तरह पूरी हो ही जाती हैं जैसे हर रात सोने से पहले कम से à¤à¤• घंटा मोबाइल तथा हेड फ़ोन की सहायता से अपने मनपसंद गीत सà¥à¤¨à¤¤à¤¾ हूà¤. साहितà¥à¤¯ पढने के लिठआजकल थोडा कम ही समय मिल पाता है लेकिन फिर à¤à¥€ हर सफ़र से पहले रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• खरीदना नहीं à¤à¥‚लता हूà¤.
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ और मà¥à¤•ेश-
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ: आप सितमà¥à¤¬à¤° २०१० में घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ के सदसà¥à¤¯ बने थे। आपका अब तक का घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ के साथ सफ़र कैसा रहा?
मà¥à¤•ेश: हाठमैं à¤à¤¸à¥‡ ही अपने किसी अगले टूर के लिठगूगल खंगाल रहा था तब अचानक ही यह बेशकीमती खज़ाना मेरे हाथ लग गया और लगे हाथों मैंने इस पर अपनी उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ दरà¥à¤œ करनी शà¥à¤°à¥‚ कर दी थी. घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के बारे में मैं जितना कहà¥à¤‚ उतना कम है. घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का शौक तो बचपन से ही था और घूमते à¤à¥€ थे, लेकिन कà¤à¥€ यह सोचा नहीं था की अपनी यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं को इतने ख़ूबसूरत ढंग से पà¥à¤°à¤•ाशित तथा संगृहीत करने का मौका मिलेगा, घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ ने मà¥à¤à¥‡ वो मौका दिया है की मैं अपने यातà¥à¤°à¤¾ अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ को हजारों लाखों लोगों तक पहà¥à¤‚चा सकà¥à¤‚ और लोग उनसे पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर उन ख़ूबसूरत जगहों की यातà¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ करें. मैं चà¥à¤‚कि मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से धारà¥à¤®à¤¿à¤• यातà¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ ही करता हूà¤, अतः मेरी तथा कविता की हमेशा यह इचà¥à¤›à¤¾ रहती है की हमसे पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर और लोग à¤à¥€ à¤à¤—वानॠके दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठजाà¤à¤, तथा हमारी यह इचà¥à¤›à¤¾ पूरी à¤à¥€ होती है. अपनी पोसà¥à¤Ÿ पर कमेंटà¥à¤¸ के अलावा à¤à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ की वजह से हमें संपूरà¥à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· से कई लोगों से ई- मेल तथा फ़ोन कालà¥à¤¸ आते हैं समà¥à¤¬à¤‚धित जगह के विषय में जानकारी के लिà¤, और यह जानकारी देकर हमें बहà¥à¤¤ आतà¥à¤®à¤¿à¤• शांति मिलती है की हम किसी न किसी रूप में किसी के काम आ रहे हैं तथा ईशà¥à¤µà¤° की सेवा कर रहे हैं. घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के जरिये नंदन तथा विà¤à¤¾ बहà¥à¤¤ ही पà¥à¤£à¥à¤¯ का कारà¥à¤¯ कर रहे हैं, मेरी और से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ साधà¥à¤µà¤¾à¤¦.
हमारे दिन की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के साथ ही होती है, घर पर à¤à¥€ कंपà¥à¤¯à¥‚टर सà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥à¤Ÿ करने के बाद पहला काम होता है घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ खोलना तथा ऑफिस पहà¥à¤‚चकर वहां à¤à¥€ सबसे पहले घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ ही खोला जाता है. आजकल तो हम पति पतà¥à¤¨à¥€ के बिच अधिकतर संवाद का विषय à¤à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ ही होता है. शाम को खाना खाने के बाद सà¤à¥€ साथ में बैठकर बड़े चाव से घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पढ़ते हैं. कहने का मतलब है घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ हमारी रग रग में लहू बनकर दौड़ता है. यह हमारे परिवार का à¤à¤• अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ हिसà¥à¤¸à¤¾ है. घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर मेरे पसंदीदा लेखक हैं – जाट देवता, महेश सेमवाल, मनीष कà¥à¤®à¤¾à¤°, रितेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾, अमित कà¥à¤®à¤¾à¤° तथा साहिल सेठी.
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के दोनों सूतà¥à¤°à¤§à¤¾à¤° नंदन à¤à¤¾ तथा विà¤à¤¾ मलà¥à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¾ के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ सराहनीय हैं, मेरा अनà¥à¤à¤µ आप दोनों के साथ शà¥à¤°à¥‚ से ही बड़ा सà¥à¤•à¥à¤¨à¤¦à¤¾à¤¯à¤• रहा है. शà¥à¤°à¥‚ से आज तक दोनों की और से सहयोग में कà¤à¥€ कोई कमी नहीं आई है. पोसà¥à¤Ÿ तैयार करने से लेकर पà¥à¤°à¤•ाशित करने तक दोनों हरसंà¤à¤µ मदद करते हैं तथा हर मेल का तà¥à¤°à¤‚त तथा बड़ी तनà¥à¤®à¤¯à¤¤à¤¾ से जवाब देकर हर गà¥à¤¤à¥à¤¥à¥€ को चà¥à¤Ÿà¤•ियों में सà¥à¤²à¤à¤¾à¤¤à¥‡ हैं.
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के साथ मेरे अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ की फेहरिसà¥à¤¤ अà¤à¥€ समापà¥à¤¤ नहीं हà¥à¤ˆ है, à¤à¤• और बड़ी दिलचसà¥à¤ª बात बताना चाहता हूठकी किस तरह घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिल से दिल मिलते हैं. जिस तरह जाट देवता को धरà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° सांगवान मिले और à¤à¤• अविसà¥à¤®à¤°à¤¨à¥€à¤¯ यातà¥à¤°à¤¾ की उसी तरह मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ डोट कॉम के माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¤• बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¤¾ दोसà¥à¤¤ मिला है. पिछले वरà¥à¤· मेरी ओमà¥à¤•ारेशà¥à¤µà¤° की पोसà¥à¤Ÿ पढने के बाद घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के à¤à¤• अनà¥à¤¯ लेखक विशाल राठोड मेरे संपरà¥à¤• में आये, पहले कमेंटà¥à¤¸, फिर ई मेल और अंततः फ़ोन के जरिये हमारे बिच संवाद होने लगा और आज हम बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ दोसà¥à¤¤ हैं और इसी वरà¥à¤· मारà¥à¤š में दोनों परिवार साथ में करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• की धारà¥à¤®à¤¿à¤• यातà¥à¤°à¤¾ पर जा रहे हैं, रिजरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ हो चà¥à¤•े हैं. हम लगà¤à¤— हर दà¥à¤¸à¤°à¥‡ दिन à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ से फ़ोन पर बात करते हैं. अब आप सोच सकते हैं मेरे जीवन में घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ की कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¹à¤®à¤¿à¤¯à¤¤ है.
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ: आपने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼à¥€ में लिखना शà¥à¤°à¥‚ किया था। और आपके लेख पाठकों को बहà¥à¤¤ पसंद आये। फिर आपने अचानक हिनà¥à¤¦à¥€ मेंलिख कर सबको चकित कर दिया। आपको हिनà¥à¤¦à¥€ में लेख लिखने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ कहाठसे मिली?
मà¥à¤•ेश: मैं अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ तथा हिंदी दोनों ही à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ठमें अपने विचार वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ कर सकता हूà¤. घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर मैंने शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ से ही की थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहाठपर मैंने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ का ही बोलबाला देखा था, घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर हिंदी के लेख मेरे खà¥à¤¯à¤¾à¤² से पांच पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं होंगे, और हिंदी के लेखक à¤à¥€ गिने चà¥à¤¨à¥‡ ही हैं जैसे जाट देवता, मनीष कà¥à¤®à¤¾à¤°, रितेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾, नीरज जाट आदि. अतः मेरी इचà¥à¤›à¤¾ थी की घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर हिंदी के लेखों की à¤à¤¾à¤—ीदारी बढे, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैं सोचता हूठकी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के पाठक वरà¥à¤— में à¤à¥€ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ के बजाय हिंदी को अचà¥à¤›à¥‡ से समà¤à¤¨à¥‡ वाले लोग पचास पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही हैं.
जहाठतक हिंदी में लिखने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ का सवाल है, à¤à¤• हिंदी à¤à¤¾à¤·à¥€ होने के नाते अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होने के बावजूद मैं हिंदी में ही अपने आप को सहज महसूस करता हूà¤, हिंदी à¤à¤¾à¤·à¤¾ मेरे दिल के करीब है तथा अपनी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को हिंदी में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अचà¥à¤›à¥‡ तरीके से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ कर पाता हूà¤.
दूसरा à¤à¤• सशकà¥à¤¤ कारण है कविता का घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ तथा मेरी पोसà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ में रूचि लेना, कविता वैसे तो देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ विशà¥à¤µ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ इंदौर से हिंदी साहितà¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤¥à¤® शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤•ोतà¥à¤¤à¤° उपाधि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हैं, लेकिन उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ समà¤à¤¨à¥‡ में थोड़ी कठिनाई होती है, और मैं चाहता था की वो मेरी पोसà¥à¤Ÿ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर पढ़ कर अचà¥à¤›à¥‡ से समठसके, अतः मैंने निरà¥à¤£à¤¯ लिया की मेरी धारà¥à¤®à¤¿à¤• यातà¥à¤°à¤¾ की पोसà¥à¤Ÿ मैं हिंदी में ही लिखूंगा. और मैं अपने मिशन में सफल हà¥à¤†, मेरे हिंदी में लिखना शà¥à¤°à¥‚ करने के बाद से ही कविता ने घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ में रूचि लेना शà¥à¤°à¥‚ किया और आज वो घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ की नियमित पाठक बन गई है और हिंदी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ लेखक बनने की तैयारी में है.
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ: आप घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ पर दोनों à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में लेख लिख चà¥à¤•े हैं। दोनो à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में लिखने में आपको कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ अथवा असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚हà¥à¤ˆà¤‚ और पाठकों की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ देख कर कैसा लगा?
मà¥à¤•ेश: अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में लिखना थोडा आसान होता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि डाइरेकà¥à¤Ÿ टाइप किया जा सकता है, लेकिन हिंदी में लिखने के लिठपहले पोसà¥à¤Ÿ को कागज पर लिखकर फिर किसी वेबसाईट की सहायता से टà¥à¤°à¤¾à¤‚सलिटरेट करके वरà¥à¤¡ में पेसà¥à¤Ÿ करना होता है जो की थोडा मà¥à¤¶à¥à¤•िल होता है. घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर पाठकों का पà¥à¤¯à¤¾à¤° तथा पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा किसी à¤à¤¾à¤·à¤¾ का मोहताज नहीं हैं. à¤à¤¾à¤·à¤¾ के अंतर से पाठकों की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ पर कोई असर मैंने तो महसूस नहीं किया.
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर कà¥à¤› लेखक अनà¥à¤¯ लेखकों के लगातार उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤µà¤°à¥à¤§à¤¨ तथा पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा के लिठअनवरत पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤‚ करते हैं| मैं उन लेखकों की तहेदिल से तारीफ़ करना चाहता हूठजो लगातार अनà¥à¤¯ लेखकों की पोसà¥à¤Ÿ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ करते है तथा उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤µà¤°à¥à¤§à¤¨ करते हैं जैसे – जाट देवता संदीप पंवार, डी à¤à¤² नारायण, महेश सेमवाल, साइलेंट सोल, विशाल राठोड, नीरज जाट, रितेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾, वेद पà¥à¤°à¤•ाश, नंदन, विà¤à¤¾ कà¤à¥€ कà¤à¥€ राम ढल जी अशोक शरà¥à¤®à¤¾ जी आदि. (किसी कमेनà¥à¤Ÿà¤° का नाम छà¥à¤Ÿ गया हो तो माफ़ कर दीजियेगा)
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ: जनवरी २०१२ के फ़ीचरà¥à¤¡ औथर बन कर आपको कैसा महसूस हो रहा है?
मà¥à¤•ेश: मैं जनà¥à¤…री २०१२ का फीचरà¥à¤¡ ऑथर बन कर बहà¥à¤¤ गौरवानà¥à¤µà¤¿à¤¤ महसूस कर रहा हूà¤, मेरे लिठख़à¥à¤¶à¥€ की बात यह है की 2012 की फीचरà¥à¤¡ ऑथर की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ मà¥à¤à¤¸à¥‡ ही हà¥à¤ˆ है यानि यह वरà¥à¤· मेरे लिठतथा मेरी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के लिठशà¥à¤ साबित होगा . मैं कविता, संसà¥à¤•ृति तथा शिवमॠसà¤à¥€ बहà¥à¤¤ खà¥à¤¶ हैं. à¤à¤• बार फिर से घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ तथा नंदन à¤à¤µà¤‚ विà¤à¤¾ का तहे दिल से शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ अदा करना चाहता हूठकी उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मेरे हà¥à¤¨à¤° की क़दà¥à¤° की तथा मà¥à¤à¥‡ इस लायक समà¤à¤¾ और इस समà¥à¤®à¤¾à¤¨ से नवाज़ा. इस समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के साथ ही मेरी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बढ़ गईं है, तथा मैं आप सà¤à¥€ से यह वादा करता हूठकी आने वाले वरà¥à¤· में मैं आप लोगों के सामने और अचà¥à¤›à¥€ गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ वाले लेखों के साथ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होऊंगा.
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङ: आप अपने साथी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ङों और पाठकों को कà¥à¤› कहना चाहेंगें?
मà¥à¤•ेश: सबसे पहले तो मैं सà¤à¥€ पाठकों और साथी लेखकों को मेरे पà¥à¤°à¥‡ परिवार की और से नव वरà¥à¤· की हारà¥à¤¦à¤¿à¤• बधाई देना चाहता हूठतथा ईशà¥à¤µà¤° से कामना करता हूठकी आप सà¤à¥€ के लिठयह वरà¥à¤· सà¥à¤–मय हो. आप सà¤à¥€ अपने dream Destinations की सैर करें.
आप सà¤à¥€ से मेरा अनà¥à¤°à¥‹à¤§ है की आप पोसà¥à¤Ÿ पढ़ते हैं तो कà¥à¤› कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ का समय निकाल कर दो शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ की à¤à¤• छोटी सी कमेनà¥à¤Ÿ कर दें, उससे लेखकों का उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤µà¤°à¥à¤§à¤¨ होता है और वे अचà¥à¤›à¤¾ लिखने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होते हैं. हर लेखक को पोसà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤•ाशित होने के बाद सबसे पहले किसी चीज का इंतज़ार होता है तो वो होता हैं आपकी कमेनà¥à¤Ÿ का.
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मà¥à¤•ेश जी, आपसे बात करे बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¤¾ लगा| आपके विचार बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¤• हैं। आशा है à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¤¸à¥‡ कई मौके और लगेंगे| आपसे परसà¥à¤ªà¤° जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ रहने और आपके और पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¤• लेख पढ़ते रहने की आशा के साथ, हारà¥à¤¦à¤¿à¤• धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ हमसे बात करने के लिठ|