कà¥à¤¦à¤°à¤¤ ने à¤à¥€ पहाडो को हर मौसम में अलग अलग खूबसूरती दे रखी है ,और अà¤à¥€ तो मौसम है बरसात का जब पहाड़ो की हरियाली अपने चरम पर होती है ,हाल में आये उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड में जो तबाही हà¥à¤ˆ वो शायद उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के इतिहास में दरà¥à¤œ हो जायेगा की पà¥à¤°à¤•ति जब अपना आपा खोती है तो सिरà¥à¤« तबाही का ही मंजर होता है ,पर शायद जो जान माल की हानि हà¥à¤ˆ वो इंसान के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये गठकà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कलाप से हà¥à¤ है,बाढ़ ,à¤à¥‚सà¥à¤–लन ,ये तो पà¥à¤°à¤•ति की सà¥à¤µà¤¤ चलने वाली पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ है पर इससे होने वाली हानि इतनी बड़ी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हà¥à¤ˆ अगर हम अब à¤à¥€ सà¥à¤§à¤° जाये तो शायद पà¥à¤°à¤•ति हम पर कà¥à¤› रहम कर दे…
खैर बात कर रहा हूठपहाडो की हरियाली की वो à¤à¥€ बरसात के मौसम में…घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का कीड़ा कब काट ले कà¥à¤› पता नहीं चलता ,मन में पहाडो की हरियाली ,वंहा उतरते बादल,घने जंगल ,ये सà¤à¥€ आने लगे ,निशà¥à¤šà¤¯ कर लिया की चलते है हिमाचल की ओर, जगह चà¥à¤¨à¥€ गयी चायल जो की सोलन जिले में है शिमला कालका मारà¥à¤— में कंड़ाघाटसे दाहिने ओर जाती à¤à¤• सड़क पर करीब २५ किलोमीटर की दà¥à¤°à¥€ पर है..दिन तय किया गया शनिवार ६ जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ की ,जाने का साधन अपनी à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡à¤®à¤‚द आलà¥à¤Ÿà¥‹ कार से हà¥à¤† हालाà¤à¤•ि इसकी सरà¥à¤µà¤¿à¤¸ अà¤à¥€ होनी बाकी थी पर हवा पानी अगर सही तो फिर सड़क पर à¤à¤—ा लो फरà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¥‡ से…à¤à¤• बात और तय की गयी की चायल पहà¥à¤à¤š कर होटल में खाना नहीं खाना है ,खà¥à¤¦ बनाना है,इसके लिठछोटी गैस सिलिंडर,और खाना बनाने के लिठजरà¥à¤°à¥€ सà¤à¥€ सामान जैसे बरà¥à¤¤à¤¨,तेल,नमक मसाले आदि सà¤à¥€ पैक कर लिठगठऔर तय किया गया की चायल के जंगलो में उतरते बादल के बीच चिकेन और चावल बनाने का आनंद लिया जायेगा..
हालाà¤à¤•ि जाने का पà¥à¤²à¤¾à¤¨ अकेले ही था पर सोचा सफ़र में à¤à¤• साथी और रख लिया जाठतो बेहतर है,इससे पहले अकेले ही चोपता के जंगलो में चिकेन बनाने का आनद ले चूका था .अपने मितà¥à¤° जिसका नाम पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª है उसे फ़ोन कर के पà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿à¤‚ग बताई गयी ..चिकेन चावल और चायल का नाम सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही जाने के लिठतैयार हो गया.घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी की सबसे अजीब बात ये है की अगर सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ निकलना हो तो रात में नींद ही नहीं आती हालाà¤à¤•ि सब कà¥à¤› पैक कर लिया था फिर à¤à¥€ मन घà¥à¤®à¤¨à¥‡ की उमंग के कारण नींद ही नहीं आई..खैर सà¥à¤¬à¤¹ के चार बजे उठगया सब कà¥à¤› निबटा कर ..अपने मितà¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª को लेने आशà¥à¤°à¤® गया और उधर से रिंग रोड पकड़ कर सीधा चंडीगढ़ हाईवे पर आलà¥à¤Ÿà¥‹ दौड़ा दी..
बरसात में घà¥à¤®à¤¨à¥‡ की सबसे अचà¥à¤›à¥€ बात ये रहती है की नजदीक के और कम उंचाई पर बसे पहाड़ी शहर à¤à¥€ बादलों के बीच बड़े सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° लगते है ,खैर 12 बजे के आस पास सोलन पहà¥à¤š गठ..और वंहा से सीधा कंड़ाघाट होते हà¥à¤ चायल के रासà¥à¤¤à¥‡ पर आलà¥à¤Ÿà¥‹ दौड़ा दी.. हालाà¤à¤•ि हरियाली चारो तरफ थी पर अà¤à¥€ तक à¤à¤• ही बात निराश किये जा रही थी की कंही à¤à¥€ बादल उतरते नहीं दिखे थे ..खैर ये शिकायत à¤à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ ही दूर हो गयी रासà¥à¤¤à¥‡ में साधà¥à¤ªà¥à¤² नाम की à¤à¤• जगह आती है जो की चायल से १५ किलो मीटर पहले है इस जगह को पार करते ही बादलो ने सड़क पर अपने डेरा जमा लिया ..वाह …..यही पहला शबà¥à¤¦ हमारे मà¥à¤à¤¹Â से निकला..जैसे जैसे चायल की ओर गाडी जा रही रही थी जंगल और घने होते जा रहे थे और बादलो का घनतà¥à¤µ बढ़ता जा रहा था ..मन में आया की यंही कंही कार रोककर गैस चूलà¥à¤¹à¤¾ निकाल कर चालॠहो जाऊं पर बनाऊंगा कà¥à¤¯à¤¾ चिकेन तो थी नहीं अपने पास …राह चलते à¤à¤• आदमी से पता किया की कानà¥à¤¹à¤¾ मिल सकता है चिकेन तो उसने बताया की चायल में ही मिलेगा ..फिर कà¥à¤¯à¤¾ था चल दिठचायल की ओर ..
चायल पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ à¤à¤• से बढ़कर à¤à¤• नज़ारे दिख रहे थे मेरे खà¥à¤¯à¤¾à¤² से चायल की खूबसूरती,कà¥à¤«à¤°à¥€ और शिमला की à¤à¥€à¤¡à¤¼ से कंही अधिक अचà¥à¤›à¥€ है ..आपको यंहा आकर ये कà¤à¥€ नहीं लगेगा की आप शिमला जैसे जैसे à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¤¾à¤¡à¤¼ वाले हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से इतने करीब है ,गिने चà¥à¤¨à¥‡ कà¥à¤› होटल ,छोटा सा बाज़ार ,à¤à¤• बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड और चारो तरफ देवदार और चीड़ के घने जंगले ..समà¥à¤¦à¥à¤° तल से २२०० मीटर की उंचाई पर बसा ये छोटा सा हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ काफी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है,चूà¤à¤•ि जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ महिना चालॠहो चूका था तो और बरसात में वैसे à¤à¥€ अधिक à¤à¥€à¤¡à¤¼ नहीं होती ..तो होटल में जगह à¤à¥€ ससà¥à¤¤à¥‡ दामो में मिल जाते है ..पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ ही à¤à¤• होटल जिसका नाम होटल कैलाश है उसमे शरण ली गयी ..होटल मालिक से बाकी जानकारी ली गयी की बाहर पिकनिक मानाने के लिठकौन सी जगह बेहतर रहेगी ..पहले तो उसने कहा की आपलोग बरसात में लकड़ी नहीं जला पाओगे फिर जब हमने बताया की हम गैस चूलà¥à¤¹à¤¾ लाये है तब उसने चायल कà¥à¤«à¤°à¥€ मारà¥à¤— और काली का टिबà¥à¤¬à¤¾ वाले मारà¥à¤— पर जाने की सलाह दी ..à¤à¤• बात और थी की बारिश तो हो रही थी पर à¤à¤°à¤¨à¥‡ कंही à¤à¥€ हमे नहीं मिले थे .मतलब आप समठही गठहोंगे की खाने की चीजे कैसे धोयी जायंगी ..इस समसà¥à¤¯à¤¾ निबटने के लिठ१० लीटर वाला à¤à¤• पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• का गैलन ख़रीदा गया और उसमे पानी à¤à¤° लिया गया..
च से चिकन,च चावल और च से चायल होता है चà¥à¤¨à¥à¤¨à¥€ बाबू,
चिकेन मिलने में कोई परेशानी नहीं हà¥à¤ˆ ..और इस तरह हम निकल चले चायल कà¥à¤«à¤°à¥€ मारà¥à¤—,चायल कà¥à¤«à¤°à¥€ मारà¥à¤— चारो तरफ घने देवदार और चीड़ के पेड़ो से घिरा हà¥à¤† है ..बड़ा ही मनमोहक नज़ारा था à¤à¤• तो घने घने देवदार के पेड़ और ऊपर से  मानसून का जादू ..बादलों ने पà¥à¤°à¥‡ मारà¥à¤— तथा वनों पर कबà¥à¤œà¤¼à¤¾ कर रखा था ..इसी दिलकश नज़ारे को देखते हà¥à¤ मारà¥à¤— में à¤à¤• चौड़ी जगह देख कर गाडी वंहा रोक दी गयी और निकाल लिया गया अपना रसोइखाना..घने जंगल और बादलों के बीच चिकेन बनाने की हसरत पूरी हो रही थी ..बारिश तो हो रही थी पर पानी की बà¥à¤à¤¦à¥‡ पेड़ो से छनकर कर फà¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के रूप में आ रही थी ..फà¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से बचने के लिठकार के कवर को तमà¥à¤¬à¥‚ की तरह इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया गया ..चारो तरह शानà¥à¤¤à¤¿ ही शानà¥à¤¤à¤¿ ही थी..फà¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ की आवाज उस वातावरण में मिशà¥à¤°à¥€ घोल रहे थे ..हाठबीच बीच में कà¥à¤› गाडी वाले रोककर हमारे रसोइखने में नजर जरà¥à¤° डाल रहे थे और मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ आगे बढ़ जा रहे थे..बनाने और खाने में ही ३ घंटे कब बीत गठपता ही नहीं चला ..बारिश तेज़ होती जा रही थी ..हम अपना रसोइखन समेत ही रहे थे के à¤à¤• हिमाचली जोड़ा हमारे पास आकर रà¥à¤• गया और उसने पूछा की आप लोग किस तरफ जाओगे ..मैंने कहा वापस चायल  ही जायेंगे ..वह जोड़ा शादी के बाद पहली बार अपने ससà¥à¤°à¤¾à¤²(लड़की का) जा रहा था ..कोई साधन न मिलने की वजह से पैदल ही चलना पड़ रहा था ..उनलोगों ने कहा अगर उसके गाà¤à¤µ कोटि अगर हम पहà¥à¤‚चा देंगे तो ३०० रूपया देंगे ..हमने कहा à¤à¤¾à¤ˆ हम तो घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ है घà¥à¤®à¤¨à¥‡ आये हैं पैसा ले कà¥à¤¯à¤¾ करेंगे ..à¤à¤¸à¤¾ करते है हम आपको आपके गाà¤à¤µ पंहà¥à¤šà¤¾ देते हैं और आप  हमें अपना गाà¤à¤µ घà¥à¤®à¤¾ दो ..खैर उस जोड़े को उसके गाà¤à¤µ पंहà¥à¤šà¤¾ कर रात में ८ बजे वापसी हà¥à¤ˆ होटल में ..पूरा दिन ही काफी शानदार गà¥à¤œà¤°à¤¾ था हमारा ..होटल पहà¥à¤š कर दोपहर का बचा खाना कह कर बिसà¥à¤¤à¤° पर लेट गà¤..
अगले सà¥à¤¬à¤¹ नींद खà¥à¤²à¥€ तो याद आया की अरे हम तो पहाड़ो के बीच आठहै और सो कर अपना टाइम खराब कर रहे है,बस फिर कà¥à¤¯à¤¾ था रोज़ के कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤•लाप निबटा कर पà¥à¤²à¤¾à¤¨ बनाने लगे की की किधर का रà¥à¤–़ किया जाà¤,तो सबसे पहले दिमाग़ मे फिर रसोइगिरी करने करने का à¤à¥‚त सवार हो गया ..पर बाहर देखने पर पता चला की बरसा रानी अपने पूरे अपने चरम पर है ,पर मन मे आया उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ कम ही नही हो रहा था..फिर कà¥à¤¯à¤¾ था ,पूरी और आलू सबà¥à¤œà¥€ को होटल मे खा कर निकल चले चायल  के जंगलो मे..इस जगह à¤à¤• बात का ज़िकà¥à¤° करना चाहूà¤à¤—ा की चायल है तो à¤à¤• छोटा सा पहाड़ी कसà¥à¤¬à¤¾,पर आपको ज़रूरत की सà¤à¥€ चीज़े मिल जाà¤à¤à¤—ी ,और हाठइस जगह अगर आप आठऔर बà¥à¤°à¥‡à¤•फ़ासà¥à¤Ÿ करने की जगह सोच रहे हो तो होटल कैलाश के आलू पूरी ज़रूर आज़माठ…बिलà¥à¤•à¥à¤² घर जैसा सà¥à¤µà¤¾à¤¦ था…
खैर खाने के बाद हम लोग काली का टिबà¥à¤¬à¥‡ की ओर निकल चले…काली का टिबà¥à¤¬à¤¾ चायल की सबसे उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ वाले चोटी पर है जà¤à¤¹à¤¾ से सोलन और शिमला का शानदार नज़ारा दिखाई पड़ता है.पर मानसून के कारण इस समय कà¥à¤› à¤à¥€ नज़र नही आ रहा था पर इतनी उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ वाले जगह से बादल à¤à¥€ हà¥à¤®à¤²à¥‹à¤—ो से नीचे नज़र आ रहे थे ..काली का टिबà¥à¤¬à¤¾ तक आने वाली सड़क काफ़ी संकरी है ,थोड़ी सावधानी बरतनी ज़रूरी है,पर पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ आपको घने जंगलो की खूबसूरती आपका मन मोह लेगी ..और जब आप बिलà¥à¤•à¥à¤² उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर पंहà¥à¤š जाà¤à¤à¤—े तो सामने ही मंदिर और आस पास मानव निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ विशाल मंदिर की इमारत जो की बहà¥à¤¤ ही खूबसूरती से इतनी उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर बनाया गया है जिसे देखकर आपका मन उलà¥à¤²à¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ हो उठेगा ..शायद ये ऑफ सीज़न का कमाल था या मंदिर का पवितà¥à¤° वातावरण …आपको इस जगह आते ही à¤à¤• मन को खà¥à¤¶à¥€ देने वाली शांति मिलेगी..खैर मंदिर का दरà¥à¤¶à¤¨ कर हà¥à¤®à¤²à¥‹à¤— वापस चल पड़े अपना रसोइगिरी करने के लिठकिसी उपयà¥à¤•à¥à¤¤ जगह की तलाश मे ..जलà¥à¤¦à¥€ ही हमे वो जगह à¤à¥€ मिल गयी..फिर कà¥à¤¯à¤¾ था
मारà¥à¤•ेट मे जाकर खरीदारी कर के वापस उसी जगह चिकेन और चावल को बना कर खाने का आनंद लिया गया ..शायद à¤à¤—वान à¤à¥€ हम पर मेहरबान थे की खाना बनाते बनाते चारो तरफ से बादलो ने हमे घेर लिया ..à¤à¤• अलग ही आनंद आ रहा था उस समय तो à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था की अगर हमे सात सितारा होटेल मे खाने का ऑफर मिले तो हम उसे नकार कर इसी जगह आकर खà¥à¤¦ खाना बना कर खाना पसंद करेंगे..खैर हम लोगो ने जो इस टà¥à¤°à¤¿à¤ª मे महसूस किया उसे शायद शबà¥à¤¦à¥‹ मे उतारना मà¥à¤¶à¥à¤•िल है,अगर आप अपनी गाड़ी से किसी à¤à¥€ हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर जाठतो कोशिश करे की कम से कम से à¤à¤• बार पहाड़ो के बीच रसोइगिरी करने का आनंद ले,यकीन मानिठबहà¥à¤¤ मज़ा आà¤à¤—ा,और खाना चाहे ही à¤à¤²à¥‡ ही अचà¥à¤›à¤¾ ना बने पर पहाड़ो की हसीन नज़ारे आपके खाने का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ बढ़ा देंगे…….खैर अब इज़ाज़त दीजिअअगली बार फिर किसी पहाड़ो के बीच रसोइगिरी करता मिलूà¤à¤—ा……..