घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार लेने के परंपरा बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ नहीं है | हालांकि हम हमेशा से मौके ढूà¤à¤¢à¤¼à¤¤à¥‡ रहे हैं की किस तरह से घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ों और विशेष तौर पर लेखकों से बात की जाठपर इस गतिविधि के पीछे कोई औपचारिक जामा नहीं था | कई साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार कà¤à¥€ नहीं छापे गठऔर अगर छपे à¤à¥€ तो वो हमने घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ मà¥à¤–à¥à¤¯ पर नहीं पà¥à¤°à¤•ाशित किये | शायद ये कारà¥à¤¯ à¤à¤• कà¥à¤°à¤®à¤¾à¤—त उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ का अंग था और जैसे जैसे हम आगे बढ़ते गà¤, इस पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को à¤à¤• निरà¥à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ आकार देना काफी पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सा महसूस हà¥à¤† | करीब इस वरà¥à¤· के मधà¥à¤¯ से हमने ये साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार महीने के अंतिम तारीख को घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ मà¥à¤–à¥à¤¯ पर छापना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया | à¤à¤• छोटा सा ढांचा इसके आस पास बà¥à¤¨ दिया गया और यूठकहें की à¤à¤• आकार दे दिया गया और पूरी पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को संसाधित कर दिया गया | जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ २०११ में मैंने शà¥à¤°à¥€ मनीष कà¥à¤®à¤¾à¤° से बात की थी और ये रहा उनसे हà¥à¤ˆ बातचीत का लिंक और मà¥à¤à¥‡ इस बात का काफी अफ़सोस रहा की ये लेख अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में छपा | ये मलाल लेकर मैं काफी महीने जिया और जब नवमà¥à¤¬à¤° २०११ के “Featured Author” संदीप पंवार उरà¥à¤«à¤¼ जाट देवता से बात करने का मà¥à¤à¥‡ मौका मिला तो मà¥à¤à¥‡ लगा की इससे सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ अवसर मà¥à¤à¥‡ शायद दोबारा कब मिले और मैंने उसे हाथ से नहीं जाने दिया |
संदीप जी खà¥à¤²à¥‡, निडर और बे à¤à¤¿à¤à¤• वकà¥à¤¤à¤¾ हैं और उनसे बात करने में à¤à¤• अलग ही अनà¥à¤à¤µ रहा | सीधी सपाट बात, काफी सरलता से कही गयी और बिलकà¥à¤² सटीक | लीजिये, बिनी किसी और à¤à¥‚मिका के , संदीप पंवार जी का Interview घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के साथ.
सनà¥à¤¦à¥€à¤ª के बारे में
पà¥à¤° १: अपने बारे में जो कà¥à¤› आपकी पà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¼à¤¾à¤‡à¤² में लिखा है उसके अलावा कà¥à¤› बताइये?
जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कà¥à¤› नहीं, बस घूमने का अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• जà¥à¤¨à¥‚न है। आज तक कैसा à¤à¥€ नशा नहीं किया है आगे à¤à¥€ किसी à¤à¥€ हालत में नहीं करूà¤à¤—ा।
पà¥à¤° २: जाटदेवता नाम आपको किसने दिया? इसके पीछे कà¥à¤¯à¤¾ रहसà¥à¤¯ है?
जाट देवता नाम दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने डाला, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैं जहाठरहता हूठव जहाठपढता था वहाठपर इकलौता जाट रहा हूà¤à¥¤ अब तक à¤à¤¾à¤°à¤¤ के जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° तीरà¥à¤¥ मैं देख चà¥à¤•ा हूà¤, जिस कारण मà¥à¤à¥‡ जानने वाले à¤à¥€ कहने लगे है कि देवता की छोडो जाट देवता के दरà¥à¤¶à¤¨ कर लो समà¤à¥‹ आपको अपने आप देवता के दरà¥à¤¶à¤¨ हो जायेंगे।
पà¥à¤° ३: आपको घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का शौक़ कब से है? अपनी पहली यातà¥à¤°à¤¾ के बारे में कà¥à¤› बतायें? यह धरोहर आपको कहाठसे मिली?
मैं 1991 से घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी कर रहा हूà¤à¥¤ मेरी पहली यातà¥à¤°à¤¾ देहरादून के पास पहाड की गोद में à¤à¤• जगह से टà¥à¤°à¤•ों में पतà¥à¤¥à¤° à¤à¤°à¤•र आते थे, à¤à¤• दिन मैं à¤à¥€ मामा के टà¥à¤°à¤• में सवार होकर खान तक चला गया, उस खान को देखने के चकà¥à¤•र में मà¥à¤à¥‡ ये रोमांचक लगाव शà¥à¤°à¥ हà¥à¤†, जो अब कई जनà¥à¤® तक चलेगा।
पà¥à¤° ४: हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आपका लगाव दिल को छू जाता है। आप हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में अपनी यातà¥à¤°à¤¾ के विवरण के अलावा à¤à¥€ कà¥à¤› और लिखते हैं?
यातà¥à¤°à¤¾ विवरण के व घà¥à¤®à¤•à¥à¤•डी के अलावा किसी और काम के लिये समय ही नहीं बचाता हूà¤à¥¤
पà¥à¤° ५: घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर आपके परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती। अपने परिवारजनों से à¤à¥€ परिचित कराऎं?
मेरे परिवार में मेरी माताजी है, जो कि मेरे साथ ही रहती है, मेरी तरह लमà¥à¤¬à¥€ तगड़ी पतà¥à¤¨à¥€ व छ: साल की बचà¥à¤šà¥€ व चार साल का à¤à¤• ननà¥à¤¹à¤¾ शैतान/ऊपादी यानि हम दो हमारे दो। मेरा मà¥à¤à¤¸à¥‡ दो साल छोटा à¤à¤¾à¤ˆ है जो कि मेरठमें रहता है। à¤à¤¾à¤ˆ के परिवार में पतà¥à¤¨à¥€ व दो बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¤¾à¤ है।
सनà¥à¤¦à¥€à¤ª और घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़
पà¥à¤° १: à¤à¤• परिवार आपका इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ पर à¤à¥€ है यहाठघà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर. यहाठआपका अनà¥à¤à¤µ कैसा है अà¤à¥€ तक?
इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ पर अपना जो परिवार है वो किसी à¤à¥€ हालत में पराया नहीं है, सब अपने से लगते है, तà¤à¥€ तो सबसे मिलने का बहà¥à¤¤ दिल करता है। अगर आप मिलवाओ तो?
पà¥à¤° २: घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ तक आप कैसे पहà¥à¤à¤šà¥‡? और अपनी पहली सà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥€ लिखने के बारे में कैसे सोचा?
इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ पर कà¥à¤› तलाश करते हà¥à¤ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ तक पहà¥à¤à¤šà¤¾ था, मà¥à¤à¥‡ लिखने का कोई खास शौक नहीं है, कà¥à¤› साथियों ने जब कहा कि आप à¤à¥€ अपने अनà¥à¤à¤µ नेट पर डालो ताकि लोगों को फ़ायदा हो।
पà¥à¤° ३: आपकी लेह-लदà¥à¤¦à¤¾à¤– वाली सीरीज़ पढ़ कर मज़ा आ गया और केदारनाथ वाली à¤à¥€ अचà¥à¤›à¥€ चल रही है और कहाठके बारे में लिखने वाले हैं ?
लिखने को तो बहà¥à¤¤ सी सीरीज़ बन जायेगी, लगà¤à¤— पचासों यातà¥à¤°à¤¾ में सौ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जगहों पर मैं अपनी हाजिरी बजा चà¥à¤•ा हूà¤à¥¤ शà¥à¤°à¥€à¤–णà¥à¤¡ महादेव, नैनीताल के आसपास के ताल, आठदेवी यातà¥à¤°à¤¾, दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की लमà¥à¤¬à¥€ यातà¥à¤°à¤¾, आदि-आदि बहà¥à¤¤ कà¥à¤› है लिखने को, लेकिन मà¥à¤à¥‡ लिखने से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ घूमने में दिलचसà¥à¤ªà¥€ रहती है।
पà¥à¤° ४:आपको किस तरह के गंतवà¥à¤¯ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¤¾à¤¤à¥‡ हैं?
जो à¤à¥€à¤¡à¤¼ से अलग हो| मैं शिमला, मसूरी , नैनीताल से दूर रहता हूà¤, मà¥à¤à¥‡ पसंद आती है à¤à¤¸à¥‡ जगहें जहाठकेवल पà¥à¤°à¤•ृति हो जैसे हाल ही में शà¥à¤°à¥€ खंड महादेव की यातà¥à¤°à¤¾ की थी| जब में बाइक पर होता हूठतो मà¥à¤à¥‡ पसंद आता है रोमांच|
पà¥à¤° ५: नवमà¥à¤¬à¤° २०११ का फ़ीचरà¥à¤¡ ऒथर बनने के बाद कैसा महसूस कर रहें हैं?
फ़ीचरà¥à¤¡ ओथर बनने के बाद लगता है कि कà¥à¤› जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ बढ़ गयी है। अपना तो à¤à¤• नियम है: सादा जीवन-साधा विचार।
पà¥à¤° ६: अपने घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ साथियों को कà¥à¤› सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ देना चाहेंगें?
मैं सिरà¥à¤«à¤¼ यही कहना चाहता हूठकि जब तक तन में साà¤à¤¸ है तब तक घूमते रहने की आस बनी रहनी चाहिà¤, तà¤à¥€ हम अपने को घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ कह सकते है।
संदीप, आपसे बात करे बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤–द अनà¥à¤à¥‚ति हà¥à¤ˆ, मà¥à¤à¥‡ आशा है की à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¤¸à¥‡ कई मौके और लगेंगे| आपसे परसà¥à¤ªà¤° जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ रहने और आपके और पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¤• लेख पढ़ते रहने की आशा के साथ, हारà¥à¤¦à¤¿à¤• धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ हमसे बात करने के लिठ|
– नंदन à¤à¤¾