गूढ़ सांखà¥à¤¯à¤¿à¤•ी में मेरी रूचि कोई खास नहीं रही है, गणित à¤à¥€ जोड़ जाड कर हो गया इसलिठपूरे दावे से साथ तो नहीं पर मेरा अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ ये है की मनॠपà¥à¤°à¤•ाश तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी शायद सबसे यà¥à¤µà¤¾ ‘विशिषà¥à¤Ÿ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ लेखक’ हैं | इससे पहले की आप की चढ़ी तà¥à¤¯à¥‹à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ और यौवन पकड़ें , उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यà¥à¤µà¤¾ कहने के पीछे का परदाफ़ाश हो जाना चाहिà¤| अà¤à¥€ तक के करीब करीब सà¤à¥€  ‘विशिषà¥à¤Ÿ लेखक’ कई महीनों के दम-ख़म के बाद इस अà¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‡  गठहैं पर हमारे मृदॠमनॠ६ महीने के à¤à¥€à¤¤à¤° ही इस कà¥à¤²à¤¬Â  में बाअदब बमà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤œà¤¼à¤¾ शामिल हो गठहैं |  वैसे मैं खà¥à¤¦Â à¤à¥€ मेमà¥à¤¬à¤°à¤¶à¤¿à¤ª नहीं ले पाया हूठइस विशिषà¥à¤Ÿ दल में तो दिल न हारें और बने रहें | घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ परिवार की सहूलियत के लिठउनकी पहली सà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥€ का लिंक  ये रहा | |Â
६ महीने कोई बहà¥à¤¤ बड़ा समय नहीं होता है और इस छोटे से अंतराल में मृदॠमनॠने लेखों की à¤à¤¡à¤¼à¥€ लगा दी | ४० से ऊपर लेख छापने के बाद मनॠने घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ परिवार में à¤à¤• मà¥à¤•ाम हासिल किया जो काबिले तारीफ़ है | हालांकि इन सà¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ संसà¥à¤®à¤°à¤£à¥‹à¤‚ से मनॠने संपादकीय गिरोह के मानस पटल पर घà¥à¤¸ पैठतो की पर शायद इतना अधिक नहीं था | शरà¥à¤†à¤¤ में मृदॠरहने वाले मनॠने धीरे धीर टिपà¥à¤ªà¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के ज़रिये से अपनी सूठबूà¤, सयंम और संतà¥à¤²à¤¿à¤¤  आचरण  से  समà¥à¤ªà¤¦à¤¿à¤•ीय मंडल की “संà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤Â विशिसà¥à¤Ÿ लेखक सूची” में शामिल हà¥à¤ और आंतरिक चरà¥à¤šà¤¾ का कारण बने | अब दिलà¥à¤²à¥€ दूर नहीं और अपने मनीषी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं सेÂ
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने खà¥à¤¦ ही अपने चयन पर मोहर लगा दी | मेरे हिसाब से ये à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ चयन था जो बस सही समय की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ में था और अगसà¥à¤¤ २०१२, बहà¥à¤¤ औगोसà¥à¤¤ (August) था इस सही निरà¥à¤£à¤¯ को कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ करने के लिठ| इतने विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ के बाद , पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ है मनॠसे घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के साथ हà¥à¤ˆ लमà¥à¤¬à¥€ बात चीत के दो कà¥à¤·à¤£|Â
2 वरà¥à¤· की आयॠमें पिता और बडे à¤à¤¾à¤ˆ बहन के साथ
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – मनà¥, बहà¥à¤¤ बहà¥à¤¤ बधाई ‘अगसà¥à¤¤ २०१२ के विशिषà¥à¤Ÿ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ लेखक ‘ के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के लिठ|
मनॠ– धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥ नंदन जी | ये मेरे लिठगरà¥à¤µ की बात है की मà¥à¤à¥‡ इतना पà¥à¤¯à¤¾à¤° और समà¥à¤®à¤¾à¤¨ मिला संपूरà¥à¤£ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ परिवार से | इस घोषणा के बाद मेरी फॅमिली में हरà¥à¤· का माहौल है और à¤à¤¸à¤¾ लगता है जैसे मà¥à¤à¥‡ कोई ओलिमà¥à¤ªà¤¿à¤• पदक मिल गया हो | साधà¥à¤µà¤¾à¤¦ |
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – आपके जीवन में हरà¥à¤· और उलà¥à¤²à¤¾à¤¸ जीवन में हमेशा बने रहे | घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर पहले लेख के पीछे की कहानी बताà¤à¤‚ |
मनॠ– संदीप जाट देवता से फ़ोन पर संपरà¥à¤• हà¥à¤† , फिर उनके घर गया , इस बीच बà¥à¤²à¥‰à¤—र पर कà¥à¤› कà¥à¤› लिखा और धीरे धीरे पकड़ते छोड़ते , मैने कर ही दिया | उसके बाद तो जैसे à¤à¤• नशा सा हो गया | रोज़ पढना, कई कई पोसà¥à¤Ÿà¥à¤¸ पढ़ डालना à¤à¤• ही बैठक में और दिन à¤à¤° à¤à¤• मदहोशी सी रहती थी | पहला लेख जब छपा तो अपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ मिला, समठमें कà¥à¤› ख़ास नहीं आया , बस à¤à¤• जूनून सा सवार हà¥à¤† और पूरे मन से लिखना शà¥à¤°à¥‚ किया |
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – अपने लेखन पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के बारे में बताà¤à¤‚ |
मनॠ– मैं मन से लिखता हूठ| मà¥à¤à¥‡ हिंदी में टाइपिंग का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है तो मेरी गति माशा अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ ठीक ठाक ही है | जैसा मन में आता गया, लिखता गया और कोशिश ये रहती है की à¤à¤• सतà¥à¤° में à¤à¤• लेख ख़तम कर दूं | à¤à¤• बार जब मेरी लेखनी रà¥à¤•ी तो फिर में सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ फेर बदल नहीं करता | मेरी इस आदत के कारण कà¤à¥€ कà¤à¥€ कोई फोटो ऊपर हो जाता है, या कà¤à¥€ किसी विषय पर बहà¥à¤¤ लिख देता हूà¤, कà¤à¥€ कम ही लिख पाता हूठ|Â
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ - “चार धाम हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ के ,चार धाम उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल,नौ देवियां ,नौ जà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤²à¤¿à¤‚ग,15 शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ , 18 राजà¥à¤¯ 4 यूनियन टेरिटरिज ,सैकडो शहर हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ अब तक घूम चà¥à¤•ा हूं ।” आप तकरीबन समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ घूम चà¥à¤•े हैं| कब से आपने घूमना शà¥à¤°à¥‚ किया? कà¥à¤› शà¥à¤°à¥‚ शà¥à¤°à¥‚ की यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं के बारे में बताà¤à¤‚.
मनà¥Â —नंदन जी ,बचपन से ही मेरा घर में मन नही रमता था । दो तीन बार पापा से डांट खाने के बाद हरिदà¥à¤§à¤¾à¤° चला गया था जब मै सिरà¥à¤« 8 वी में पढता था वहां चंडी देवी के मंदिर पर जाकर पहाड के बिलकà¥à¤² किनारे पर जाकर बैठजाता था । पूरा दिन बैठने के बाद शाम को वापिस घर के लिये चल देता । सà¥à¤¬à¤¹ आकर à¤à¤¾à¤¡à¤¼ à¤à¤ªà¤ŸÂ होती और फिर सब सामानà¥à¤¯ । सबसे पहली पद यातà¥à¤°à¤¾ नीलकंठमहादेव की थी जब मै 9 वी ककà¥à¤·à¤¾ में था और अपनी मां के साथ गया था । मेरे पिता सरकारी अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• थे तो वे हर साल छà¥à¤Ÿà¤¿à¤Ÿà¤¯à¥‹ में अपना गà¥à¤°à¥à¤ª बनाकर घूमने जाते थे और वहां से मà¥à¤à¥‡ पतà¥à¤° लिखते थे कि अब मै कनà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ में हूं या किसी और जगह और वहां के बारे में ,वो पतà¥à¤° मà¥à¤à¥‡ रोमांचित करते थे । लेकिन तब तक ये यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤‚ हरिदà¥à¤§à¤¾à¤° , शà¥à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¾à¤² तक सीमित थी | शादी से पहले मसूरी , देहरादून तक और शादी के बाद मेरी असली घà¥à¤®à¤•à¥à¤•डी शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ । à¤à¤• वाकये जो कि मै अपनी पोसà¥à¤Ÿ में लिखा है कि कैसे à¤à¤• साथी की कमी ने लवी को मेरा साथी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•डी में बना दिया और उसके बाद से आप पढ ही रहे हैं लवी के साथ पहले मसूरी देहरादून ,उसके बाद उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल के चार धाम बाइक पर , फिर बस से मथà¥à¤°à¤¾ , आगरा ,नैनीताल ,कौसानी , उसके बाद रेल से गंगासागर यातà¥à¤°à¤¾ फिर अपनी कार से à¤à¤• लमà¥à¤¬à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•डी की यातà¥à¤°à¤¾ जिसमें राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ,गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ ,महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° ,दादरा व नगर हवेली , दमन आदि और रेल और कार से ही दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤µà¤‚ पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ के साथ कशà¥à¤®à¥€à¤° और हिमाचल आदि की यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤‚ की हैं
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घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ –  अपने बारे में à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› बताà¤à¤‚ जो किसी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ को नहीं पता हो| अपने परिवार से à¤à¥€ परिचित करवाà¤à¤‚|
मनॠ- मै जो à¤à¥€ काम करता हूं बडी लगन से ,इतनी जितनी की कोई और शायद ही करे , मै सà¥à¤•ूल और कालेज में पढाई के अलावा सांसà¥à¤•ृतिक कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹ ,सà¥à¤²à¥‡à¤– और अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िताओ में बढचढकर à¤à¤¾à¤— लेता था । मै बैडमिंटन , शतरंज और कà¥à¤°à¤¿à¤•ेट खूब खेलता हूं अब à¤à¥€ चाहे साथ में छोटे बचà¥à¤šà¥‡ ही हों । संगीत मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ है और हजारेा गाने जिनमें कि जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° दरà¥à¤¦ à¤à¤°à¥‡ और सूफी गाने और गजले हैं मेरे याद हैं । मैने सà¥à¤•ूल कालेज और रामलीला के मंच तक में à¤à¤¾à¤— लिया है ।
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दसवीं के बाद मैने इंटर की पढाई पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ की कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मै  खà¥à¤¦ कमाने लगा था जो आज तक जारी है ।Â
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16 साल की उमà¥à¤° में मैने अपने बडे à¤à¤¾à¤ˆ के साथ मिलकर à¤à¤• पबà¥à¤²à¤¿à¤• सà¥à¤•ूल खोला था जो मेरे à¤à¤¾à¤ˆ की 1999 में अचानक मृतà¥à¤¯à¥‚ होने के कारण दो साल ही चल पाया । उसके बाद मैने कमà¥à¤ªà¤¯à¥‚टर हारà¥à¤¡à¤µà¥‡à¤¯à¤° का कोरà¥à¤¸ किया और अपना कमà¥à¤ªà¤¯à¥‚टर सैंटर खोला । 22 साल की उमà¥à¤° में जनवरी 2004 में लवी से पà¥à¤°à¥‡à¤® विवाह हà¥à¤† जिसे घरवालो की रजामंदी मिल गयी थी और दिसमà¥à¤¬à¤° 2004 में बेटी अनà¥à¤·à¥à¤•ा ने जनà¥à¤® लिया । लवी कमà¥à¤ªà¤¯à¥‚टर सिखाती थी और मै उनका खरीदने बेचने और रिपेयर का काम करता था । 2007 में मेरे पिता की मृतà¥à¤¯à¥‚ के बाद मेरी नौकरी उनके सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर मृतक आशà¥à¤°à¤¿à¤¤ में लग गयी । अब मेरे परिवार में मेरी माताजी , मेरी à¤à¤• बडी बहन समता तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी जो कि शà¥à¤°à¥€ राजकà¥à¤®à¤¾à¤° तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी निवासी गढमà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° से बà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¥€ हैं , मेरी पतà¥à¤¨à¥€ लवी और बेटी अनà¥à¤·à¥à¤•ा हैं
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घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ मनॠ| इशà¥à¤µà¤° करे आप और आपका परिवार सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ और खà¥à¤¶Â रहे, à¤à¤¸à¥€ मनोकामना है हमारी |  आप à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• हैं, इतना घूमने के बावजूद à¤à¥€ आपने लिखना अà¤à¥€ हाल ही में शà¥à¤°à¥‚ किया है| इसका कोई ख़ास कारण? आपको लिखने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ कहाठसे मिली?
मनॠ- सबसे पहली बात कि मै लिखना तो काफी समय से चाहता था पर इसमें रोडा थी बिजली । हमारे यहां बिजली की समसà¥à¤¯à¤¾ के कारण डेसà¥à¤•टाप पर काम करना संà¤à¤µ नही था इतने समय तक । जब जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ इचà¥à¤›à¤¾ पà¥à¤°à¤¬à¤² हो गयी तो लैपटाप लिया जिसने इस काम को सफल किया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अब मै वकà¥à¤¤ मिलते ही लिख सकता था ।
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दूसरा अपने टूर पà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿à¤‚ग के बारे में नेट पर सरà¥à¤š करते समय संदीप जाट और मनीष जी के बà¥à¤²à¤¾à¤— पढता था । संदीप से फोन पर बात की तो उसने मà¥à¤à¥‡ समय à¤à¥€ दिया और बà¥à¤²à¤¾à¤— बनाने के बारे में à¤à¥€ बताया । मै बà¥à¤²à¤¾à¤— को सीख ही रहा था कि संदीप ने सलाह दी कि आप घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड पर लेख डाल दो । तब तक मै घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड को नही जानता था पर यहां का à¤à¤• फंडा मà¥à¤à¥‡ बडा पसंद आया कि आप लेख और फोटो à¤à¥‡à¤œ देा बाकी वो खà¥à¤¦ कर लेंगे । इसी ने मà¥à¤à¥‡ जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ लिखने को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया । अब वो दिन याद आते हैं जब बस लिखना और फोटो डालकर सबमिट करना होता था कितनी जलà¥à¤¦à¥€ काम हो जाता था आजकल सारा काम खà¥à¤¦ ही करना पडता है LOL
घà¥à¤®à¥à¤®à¤•ड़ – आप चाहें तो हमें अà¤à¥€ à¤à¥€ लेख और फोटोस ईमेल कर सकते हैं | हमारा ऑफर सà¤à¥€ लेखकों के लिठखà¥à¤²à¤¾ है |  घूमने, और अब लिखने, के अलावा आप और कौन कौन से शौक रखते हैं?
मनॠ– घूमने और लिखने के अलावा मै पढना काफी पसंद करता हूं । फिलà¥à¤®à¥‡à¤‚ देखना à¤à¥€ काफी पसंद है और उसमें à¤à¤¾à¤µà¥à¤• दृशà¥à¤¯à¥‹ में रोना à¤à¥€ आ जाता है कà¤à¥€ कà¤à¥€Â । इसके अलावा बाइक हो या कोई à¤à¥€ गाडी डà¥à¤°à¤¾ इविंग à¤à¥€ पसंद है और आजकल फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ में à¤à¥€ रूचि हो गयी है बस à¤à¤• अदद कैमरे के लिये बजट तैयार होना बा की है और हां सीखना मà¥à¤à¥‡ सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पसंद है मै सीखने के लिये हर वकà¥à¤¤ तैयार रहता हूं । आप इतनी सारी पसंद सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के बाद शायद मà¥à¤à¥‡ मलà¥à¤Ÿà¥€à¤Ÿà¤¾à¤¸à¥à¤•र या बहà¥à¤‰à¤¦à¤¦à¥‡à¤¶à¥€à¤¯ मान सकते हैं ।
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – आप ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤°Â अपने परिवार के साथ यातà¥à¤°à¤¾Â करते हैं. सपरिवार यातà¥à¤°à¤¾Â करने के फायदे बताà¤à¤‚| और परिवार के साथ यातà¥à¤°à¤¾Â पà¥à¤²à¤¾à¤¨Â करते हà¥à¤Â किन-किन बातों का आप धà¥à¤¯à¤¾à¤¨Â रखते हैं वोह à¤à¥€ बताà¤à¤‚|
मनॠ– नंदन जी , परिवार के साथ यातà¥à¤°à¤¾ करने में जो आनंद है वो बहà¥à¤¤ चीजो से बढकर है पर उसकी कà¥à¤› लिमिटेशनà¥à¤¸ हैं । जैसे किसी à¤à¥€ जगह पर रूकने , खाने और घूमने से पहले ये जांच लेना कि कà¥à¤¯à¤¾ वो जगह पारिवारिक माहौल में है या नही , अगर जरा सा à¤à¥€ शक या वहम हो तो à¤à¤¸à¥€ जगह पर रूकना या खाना मै नही करता । दूसरी बात परिवार के साथ à¤à¤•à¥à¤¸à¤Ÿà¥à¤°à¤¾ केयर रखनी होती है और à¤à¤•à¥à¤¸à¤Ÿà¥à¤°à¤¾ सामान à¤à¥€ । फायदे हैं कि आप को घर जैसा ही अनà¥à¤à¤µ होता है और जीवनसाथी के साथ घूमने की यादगार हमेशा घर आने के बाद à¤à¥€ रोजमरà¥à¤°à¤¾ के जीवन में रोमांचकता रखती है । हम आपस में काफी चरà¥à¤šà¤¾ करते हैं जो हमारे जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को बढाती है
घà¥à¤®à¥à¤®à¤•ड़ – आपकी बहà¥à¤¤ यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤‚ काफी रोमांचक रही हैं| रोमांच के साथ खतरा अकà¥à¤¸à¤° हाथ में हाथ डाल कर चलता है| हमें अपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में संयम कैसे रखना चाहिà¤?
मनॠ– नंदन जी , खतरा तो सब जगह होता है चाहे आप यातà¥à¤°à¤¾ कर रहे हों या रोजमरà¥à¤°à¤¾ का काम । मै अकà¥à¤¸à¤° पढता हूं कि हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ में इतने लोग तो आतंकवाद से à¤à¥€ नही मरते जितने सडक दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾à¤“ में । मै मानता हूं कि इस लाइन को हमेशा अपनाया नही जा सकता पर मà¥à¤à¥‡ लगता है कि रोमांच मेरे जीवन के कà¥à¤› साल बढा देता है वैसे मै कà¤à¥€ à¤à¥€ बेवकूफी नही करना चाहता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि रोमांच और बेवकूफी में थोडा सा ही अंतर होता है जो लोग रोमांच में आकर सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नही रखते वो बेवकूफी करते हैं
अगर कोई à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ आ जाये तेा बस अपना दिमाग ठंडा रखें और चिलà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ या रोने की बजाय आगे कà¥à¤¯à¤¾ करना है यही सोचे तो बेहतर होगा पर à¤à¤¸à¤¾ सà¤à¥€ कर à¤à¥€ नही पाते ये à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ पता है
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ –  छह महीनों और ४१ कहानियों के बाद, यह कहना तो महज à¤à¤• औपचारिकता है की घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ों में आपने à¤à¤• ख़ास जगह बना ली है| इतने कम समय में आप इतनी कहानियां कैसी लिख पाà¤?
मनॠ– मà¥à¤à¥‡ आप को टाप पर देखकर रशà¥à¤• होता है और यही मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देता है (lol )
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ये तो मेरा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¸à¤¾ मंच मिला है जिस पर मैने किसी को नही पर सबने मà¥à¤à¥‡ ढूंढा है और अपनाया à¤à¥€ है । à¤à¤• घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड ही à¤à¤¸à¤¾ मंच है जहां पर आपकी पहली कहानी के साथ ही आप हजारो पाठको और सैकडो लेखको के साथ आतà¥à¤®à¥€à¤¯ हो जाते हैं । कà¥à¤› लोगो को आप अपना दीवाना बना लेते हो और कà¥à¤› लोगो के कमेंट से ही वो आपके पà¥à¤°à¤¿à¤¯ बन जाते हैं à¤à¤¸à¤¾ मैने आज तक तो कहीं और देखा ही नही ।
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कहानिया लिखने के बारे में मेरा इतना ही कहना है कि अब जैसे ही मै पिछले यातà¥à¤°à¤¾ संसà¥à¤®à¤°à¤£à¥‹ को देखता हूं तो मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• पहाड सा नजर आता है जैसे कोई आफिस का बाबू फाइलो के ढेर की ओर देखता है कि उसे अà¤à¥€ कितना काम निपटाना है तो अगर घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड की गाइडलाइन ना होती तो मै तो रोज à¤à¤• पोसà¥à¤Ÿ लगा दिया करता | शà¥à¤°à¥‚ शà¥à¤°à¥‚ मे लवी ने जब मà¥à¤à¥‡ लिखते देखा और घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड पर लेखको की लिसà¥à¤Ÿ देखी तो उसमे मेरा नाम नही था जो कि 3 पोसà¥à¤Ÿ के बाद आया । उस दिन से वो हमेशा देखती थी कि अब तà¥à¤® टाप 50 में हो अब 20 में और अब 10 में । ये à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करता था । पता नही आपको किसने ये विचार दिया कि यहां फोटो लगाओ यहां पर नाम दो ये सब चीजे à¤à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देती हैं आगे बढने की कà¥à¤› अलग करने की इसके लिये घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड की परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ ही जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° है और à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कारक à¤à¥€ , उसके लिये मेरी ओर से साधà¥à¤µà¤¾à¤¦ |Â
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घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर लिखना शà¥à¤°à¥‚ करने के बाद, कोई मूल परà¥à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¨ आपने महसूस किया अपनी ताज़ा यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं में ?
मनॠ– मत पूछीये | सब कà¥à¤› बदल गया है , और अचà¥à¤›à¥‡ के लिठ| सबसे बड़ा परिवरà¥à¤¤à¤¨ आया फोटोस से मामले में | मेरी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं के मेरे पास हजारों फोटोस हैं पर उनमे में गिनती के फोटो होंगे जिसमे मैं या मेरेÂ
परिवार का कोई न हो | मणि महेश की यातà¥à¤°à¤¾ में मैने १५०० से अधिक फोटो लिà¤, बहà¥à¤¤ से बहà¥à¤¤ ५० होंगे जिसमे यातà¥à¤°à¥€ हैं, बाकी सà¤à¥€ में पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿, मà¥à¤–à¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ , दूकान, रासà¥à¤¤à¤¾, रेल, फाटक , सà¤à¥€ कà¥à¤› इंसानों के सिवा :-) .Â
नूरपà¥à¤° के होटल का चितà¥à¤° मैने केवल घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के लिठखीचा जिससे आगे जाने वाले घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ों को इसका लाठहो सके |Â
दूसरा बड़ा परिवरà¥à¤¤à¤¨ ये है, की जिमà¥à¤®à¥‡à¤µà¤¾à¤°à¥€ बढ़ गयी है | आपने थोडा काम बढ़ा दिया है | दिमाग में ये चलता रहता है की सà¤à¥€ जानकारी कैसे मिले, कà¥à¤› छà¥à¤Ÿ तो नहीं गया, à¤à¤¸à¤¾ नया कà¥à¤¯à¤¾ है यहाठजो जाते ही घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर साà¤à¤¾
कर दिया जाठ| निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ तौर पर मेरी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी पहले से पà¥à¤°à¤šà¥à¤° और बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ हो गयी है |Â
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – आपके कà¥à¤› पसंदीदा लेखक ?
मनॠ– कई हैं, जो इस वक़à¥à¤¤ दिमाग में आते हैं उनमे नाम लेना चाहूà¤à¤—ा संदीप जी, विशाल à¤à¤¾à¤ˆ, SS जी, सà¥à¤¶à¤¾à¤‚त सिंघल जी, D L सर, औरोजित à¤à¤¾à¤ˆ, सà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° शरà¥à¤®à¤¾ , मनीष कामसेरा , कविता जी, रितेश जी | Â
1986 में अपने बडे à¤à¤¾à¤ˆ से नाराज कांवड में ना ले जाने पर
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ -  घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ और बाकी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ों के साथ अà¤à¥€ तक जो वकà¥à¤¤ आपने गà¥à¤œà¤¼à¤¾à¤°à¤¾ है वह कैसा रहा?
मनॠ– घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड तो मेरे परिवार में à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ सदसà¥à¤¯ बन गया है जिसे मै लवी और अनà¥à¤·à¥à¤•ा के बाद और कà¤à¥€ कà¤à¥€ तो उनसे à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय देता हूं और इससे पतà¥à¤¨à¥€ और बेटी कà¤à¥€ कà¤à¥€ चिढ à¤à¥€ जाती हैं । बाकी मà¥à¤à¥‡ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड से कई मितà¥à¤° à¤à¥€ मिले हैं जिनमें से विपिन, विशाल राठौड के साथ मै घूमने à¤à¥€ गया हूं और ये बेहतरीन अनà¥à¤à¤µ रहा है । बाकी मà¥à¤•ेश जी , à¤à¤¸ à¤à¤¸ जी , रितेश जी से à¤à¥€ बात होती रहती हैं और हम सब इसे à¤à¤‚जाय करते हैं
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घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़-  अà¤à¥€ तक का आपका सफ़र घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर काफी संयमित और सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤£ रहा है| घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के नठपाठकों से आप कà¥à¤¯à¤¾ कहना चाहेंगे इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ कमà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤Ÿà¥€Â पर à¤à¤• आदरà¥à¤¶ आचरण के बारे में?
मनॠ– नंदन जी हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की अपनी सोच होती है आचरण के बारे में , खासतौर से नेट पर , बहà¥à¤¤ से लोग अà¤à¤¦à¥à¤° à¤à¤¾à¤·à¤¾ लिखना अपनी शान समà¤à¤¤à¥‡ हैं गलत कमेंट करके दूसरो को विचलित करना चाहते हैं या अपनी शेखी बघारते हैं लेकिन मेरी राय इसके विपरीत है । मै मानता हूं  सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ कमेंट और शालीन à¤à¤¾à¤·à¤¾ में आप सà¤à¥à¤¯ आलोचना कर सकते हैं |
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इस बारे में à¤à¤• बात और कहूंगा कि चाहे समाज हो कालोनी हो या वेबसाइट किसी à¤à¥€ जगह को उसके रहने वाले ही उंचा उठाते हैं यानि हम लोग ही घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड का सà¥à¤¤à¤° तय करते हैं तो हमारा सà¥à¤¤à¤° उंचा है तà¤à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड का सà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ उंचा है । मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— सà¤à¥€ करते हैं और कà¥à¤›à¥‡à¤• अवसरो और कà¥à¤› अमरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ आगंतà¥à¤• जो कि घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड के निवासियो की परीकà¥à¤·à¤¾ लेने के लिये कà¤à¥€ कà¤à¥€ आ जाया करते हैं के सिवाय मैने आज तक यहां यही पाया है कि सà¤à¥€ लोग बहà¥à¤¤ ही मिलनसार और उचà¥à¤š विचारो के हैं और वो à¤à¤¸à¤¾ ही बनाये रखेंगे । नये पाठको से à¤à¥€ मेरी यही विनती है कि जो माहौल आपको मिल रहा है इसमें वृदà¥à¤§à¤¿ करें |
जाते जाते à¤à¤• बोनस फोटो
à¤à¤• बार फिर से समसà¥à¤¤ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ परिवार के तरफ से धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ | आप à¤à¤¸à¥‡ hee घà¥à¤®à¤¤à¥‡ रहे और हमारे साथ अपने संसमरण बाà¤à¤Ÿà¤¤à¥‡à¤‚ रहे | जय हिंद |