ओंकारेश्वर……………चलो एक बार फिर से.
शाम करीब ७ बजे हम लोग औंकारेश्वर पहुंच गये। औंकारेश्वर में ठहरने के लिये हमेशा हमारी पहली प्राथमिकता होती है श्री गजानन महाराज संस्थान यात्री निवास, तो हमने सीधी राह पकड़ी संस्थान की और कुछ ही देर में हम संस्थान के सामने खड़े थे।
स्वागत कक्ष पर कुछ जरूरी औपचारीकतायें पुर्ण करने के बाद हमें हमारे कमरे की चाबी मिल गई। हमारा कमरा यात्री निवास नंबर ४ में था. अब चुंकी बहुत जोरों की भुख लगी थी अत:निर्णय लिया गया की सबसे पहले भोजन किया जाये। यहां यह बता देना सही रहेगा की श्री गजानन महाराज संस्थान के हर यात्री निवास में किफ़ायती दर पर भोजन की व्यवस्था होती है, चुंकी हम पहले भी श्री गजानन संस्थान (शेगांव) में रह चुके थे तथा भोजन भी कर चुके थे और वहां हमें भोजन बहुत पसंद आया था अत: हमने आज भी भोजन यहीं भोजनालय में करने का निश्चय किया और चल पड़े भोजनालय की ओर।
खाना सचमुच बड़ा स्वादिष्ट था, ३० रु. में थाली जिसमें दो सब्जी, रोटी, दाल, चावल तथा एक मिष्ठान्न के रुप में हलुवा……शुद्ध सात्वीक भोजन और हमें क्या चाहिये था? सो भरपेट करने के बाद हम लोग अपने रुम में आकर थोड़ी देर के लिये लेट गये। अब हमें ओंकारेश्वर मंदिर में शयन आरती में शामिल होना था जो की रात नौ बजे शुरु होती है. इस समय साढे आठ बज रहे थे और यही समय था शयन आरती के लिये निकलने का, अत: हम लोग मन्दीर जाने के लिये तैयार होने लगे.
चुंकि वातावरण में बहुत ठंडक थी अत: बच्चे तो इस समय बाहर निकलने में आनाकानी कर रहे थे लेकिन उन्हें हमने चलने के लिये मना ही लिया और अन्तत: हम लोग उनी कपड़े वगैरह पहनकर अपने रुम से बाहर निकल गये। बाहर सचमुच बहुत ठंड थी और हमें तो नर्मदा नदी पर बने झुला पूल से होकर ओंकारेश्वर मन्दीर की ओर जाना था जहां और ज्यादा ठंड लगने की संभावना थी।
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