अनजान सफ़र : दिल्ली – यमुनोत्री – उत्तरकाशी
जानकारी मिली की पहले यमनोत्री जाओ फिर गंगोत्री फिर बद्रीनाथ और केदारनाथ. श्याम को वो सज्जन भी आ गए जो मसूरी से पैसे लाये थे, अच्छा ये बता दूँ की उत्तराखंड मे बसे तडके निकाल पड़ती है कियु की रूट लम्बा होता है, पता चला की सुबह ३.३० बजे की बस है यमनोत्री की, और अभी टिकिट खिड़की बंद हो गयी है और सुबहे ३.०० बजे खुलेगी, अब रात काटने के लिए एक होटल मे १५० रूपए मे कमरा लिया और सुबहे २.३० बजे सो कर उठा, फटाफट मुह हाथ धो कर सीधे बस अड्डे पंहुचा, यात्रा का समय होने के कारण बहुत भीड़ थी पता चला की यमनोत्री की बस पूरी फुल है पैर रखने की भी जगह नहीं है, तो सोच मे पड़ गया की क्या करू अगर ये बस छूट गयी तो फिर टाइम से यमनोत्री नहीं पहुच पाउँगा (आप को ये बताना जरूरी है की मैं गढ़वाल से तो हूँ पर पौड़ी गढ़वाल से, और मुझे टिहरी और चमोली गढ़वाल के बारे मे कुछ भी नहीं पता नहीं है.)
Read More